भाग- 1.
एक साधारण सा दिखाई देने वाला सनातनी धर्म संस्कृति का प्रतीक, लगभग भारत के हर घर में अपना एक विशिष्ठ स्थान रखता है।
जिसके प्रस्फुटन मात्र से दसों दिशाएं गुंजायमान हो उठती हैं। मान्यता है कि शंख बजाने से जहां तक उसकी ध्वनि जाती है, वहां तक सभी बाधाएं, दोष आदि दूर हो जाते हैं। शंख से निकलने वाली ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर उसे सकारात्मक ऊर्जा में परिणित करती है। जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है।
शंख हमारे जीवन से जुड़ी वो पवित्र वस्तु है जो उपासना से लेकर उपचार तक में काम आती है। प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि-मुनि अपनी पूजा-साधना में शंख ध्वनि का प्रयोग करते रहे हैं। श्रीहरि का प्रिय वाद्य यंत्र किसी साधक की मनोकामना को पूर्ण करके उसके जीवन को सुखमय बनाता है।
शंख में जल भरकर घर में छिड़काव करने से भी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आसपास का वातावरण पवित्र एवं शुद्ध हो जाता है।
शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं होते।
सनातन परंपरा में होने वाली पूजा में शंख का अत्यधिक महत्व है। हिंदू धर्म में लगभग सभी देवी-देवताओं ने अपने हाथों में शंख धारण किए हुए हैं। शंख को जैन, बौद्ध, शैव, वैष्णव आदि परंपराओं में अत्यंत शुभ माना गया है।
जहां कहीं भी भगवान श्री नारायण की पूजा होती है, वहां शंखनाद जरूर ही होता है। कहा जाता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां भगवान विष्णु का वास होता है, और जहां भगवान विष्णु होंगे वहां महालक्ष्मी स्वयं आ जाती हैं। माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के पास शंख रखने से घर में सुख, समृद्धि और वैभव आता है। इस कारण इसे घर के मंदिर में रखना बहुत शुभ माना जाता है।
वास्तुशास्त्र में भी शंख का विशेष महत्व है। घर के दक्षिण दिशा में शंख रखने से व्यक्ति को यश, कीर्ति और उन्नति मिलती है। वही घर के उत्तर पूर्व दिशा में शंख रखने से शिक्षा में सफलता प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है। शंख को पूजा स्थान या लिविंग रूम में रखना भी लाभदायक माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि शंख में रखा हुआ पानी खराब नहीं होता है। शंख में कैल्शियम, फास्फोरस और गंधक के गुण होते हैं। उसके जल को पीने से हड्डियां मजबूत होती हैं। दांत भी स्वस्थ रहते हैं।
शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का व्यायाम होता है। शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है। शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है।
पेट में दर्द रहता हो, आंतों में सूजन हो, अल्सर या घाव हो तो दक्षिणावर्ती शंख में रात में जल भरकर रख दिया जाए और सुबह उठकर खाली पेट उस जल को पिया जाए तो पेट के रोग जल्दी समाप्त हो जाते हैं। नेत्र रोगों में भी यह लाभदायक है। यही नहीं, कालसर्प योग में भी यह रामबाण का काम करता है।