आज के समय में जहां तमाम पुरानी और पौराणिक मान्यताएं हर क्षेत्र में टूट रहीं हैं, या तोड़ी जा रहीं हैं। खेल में भी लड़कियों के लिये अघोषित वर्जनायें बहुत पहले ध्वस्त हो चुकी हैं। आप बहुत सी ऐसी बेटियों को जानते भी हैं जिन्होंने अपनी कामयाबी से लोहा मनवाया है।
अब नये युग में, धुरंधर धनुर्धरों के लिये अर्जुन, द्रोण, भीष्म, एकलव्य के रूप में स्थापित मानकों को बड़े ही कौशल, परिश्रम व अभ्यास से देश की बेटियां पुनर्स्थापित कर रही हैं। आज एक ऐसी ही बेटी के बारे में जानिए जिसने निशानेबाजी में बहुत छोटी सी उम्र में विश्व पटल पर अपने देश का नाम ऊंचा किया है। इनका नाम है गौरी श्योराण।
महज 12 की उम्र में शुरु किया था प्रशिक्षण लेना
साल 1997 में जन्मीं गौरी अभी महज़ 20 साल की हैं। गौरी हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में रहती हैं। वे मूलरूप से हरियाणा के भिवानी की तहसील लोहारू के गांव घग्गरवास की रहने वाली हैं। गौरी चंडीगढ़ के डीएवी स्कूल में पढ़ती हैं। बचपन से ही उनका स्पोर्ट्स के प्रति लगाव था पर निशानेबाजी उन्हें कुछ ज्यादा ही पसंद थी। धीरे-धीरे निशानेबाजी के प्रति उनका झुकाव बढ़ता गया और उनके पैरेंट्स को भी इस बात का एहसास होने लगा था। महज़ 12 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने निशानेबाजी का अभ्यास व ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया था।
30 इंटरनेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में ले चुकी है हिस्सा
2010 से ही गौरी ने निशानेबाजी के टूर्नामेंट्स में शिरकत करना शुरू कर दिया। चंडीगढ़ में गौरी के कोच दिलीप चंदेल हैं। गौरी फिलहाल विदेशी कोच जर्मनी के मुंखव्यार से भी ट्रेनिंग लेती हैं। जबकि उनके राष्ट्रीय कोच जाने माने शूटर जसपाल राणा हैं। जसपाल के अलावा अन्य ट्रेनर्स के महत्वपूर्ण योगदान से ही गौरी ने शूटिंग की हर एक छोटी-बड़ी बारीकियां सीखी हैं। गौरी ने अब तक 30 इंटरनेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया है जिसमें से उन्होंने 23 मेडल अपने नाम किये हैं। साथ ही नेशनल और इंटर यूनिवर्सिटी लेवल पर 75 मेडल उनके नाम पर दर्ज है। उन्होंने राजस्थान में आयोजित शूटिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था। जबकि उससे पहले साल 2017 में त्रिवेंद्रम में आयोजित नेशनल गेम्स में 2 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। शूटिंग की होनहार खिलाड़ी गौरी विदेशों में भी अपना दमखम दिखा चुकी है। 2017 में उन्होंने जर्मनी में आयोजित शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।
विश्व यूनिवर्सिटी शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड
इसके अलावा हाल ही में मलेशिया के कुआलालम्पुर में आयोजित 7वीं विश्व यूनिवर्सिटी शूटिंग चैंपियनशिप में भारत की गौरी श्योराण ने गोल्ड पर निशाना लगाया है। ओलंपिक के बाद यह सबसे महत्वपूर्ण शूटिंग प्रतियोगिता में से एक है जो हर दो साल बाद आयोजित होती है। भारत की ओर से इस बार गोल्ड मैडल जीतने वाली गौरी श्योराण एकमात्र खिलाड़ी बनीं। गौरी के भाई विश्वजीत सिंह भी एक इंटरनेशनल निशानेबाज हैं। उन्होनें भी कई इंटरनैशनल शूटिंग प्रतियोगिताओं में पदक जीत कर देश का नाम रौशन किया है। गौरी के पिता जगदीप सिंह आईएएस हैं और हरियाणा के स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट में डायरेक्टर के पद पर तैनात हैं। गौरी के पिता गौरी को शूटर बनाने का फैसले से बहुत खुश नजर आते हैं। एक आईएएस होने के बाद भी उन्होनें अपनें बच्चों को अन्य फील्ड में जाने या फिर सिविल सर्विसेज के बजाय स्पोर्ट्स में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्हें उम्मीद है कि गौरी ओलंपिक में मैडल जीत कर देश का नाम रौशन करेगी।
‘भीम’ अवॉर्ड से सम्मानित
गौरी की प्रतिभा और शूटिंग में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए हरियाणा सरकार द्वारा 2017 में ‘भीम’ अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। यह अवार्ड उन्हें हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के हाथों दिया गया था।
गौरी ने साबित कर दिया कि अगर आपके अंदर लक्ष्य के प्रति चाहत हो तो उम्र भी बाधा नहीं बन सकती।
12 की उम्र में अपने लक्ष्य के साथ बढ़ी आगे, 20 की उम्र में ही रच दिया इतिहास