14 जून 2022
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Writters D
बहुत खूब कृपया मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10086366
thanks ji
<p>।। राम ।।</p> <p>श्रीमद्भागवत प्रसंग - (६४३)</p> <p>प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन।</
<div>मर्यादा का पालन करो मॉडर्न थीम के चक्कर में विवाह जैसे पवित्र रिश्तों एवं सामाजिक वातावरण को मत
मौन सबसे अच्छा उत्तर हैकिसी ऐसे व्यक्ति के लिएजो आपके शब्दों को महत्व नही देता.!!
काग़ज़ वज़नदार होता हैजब नोट बन जाता हैरौंद डालता हैसारे आदर्श, मानवीयता, रिश्तेनिगल लेता है जीवन मूल्यझोपड़ी से लेकर महलों तकराज करता है वज़नदार काग़ज़ लेकिन उससे भी ज़्यादावज़नदार हो जाता
नदी से - पानी नहीं , रेत चाहिएपहाड़ से - औषधि नहीं , पत्थर चाहिएपेड़ से - छाया नहीं , लकड़ी चाहिएखेत से - अन्न नहीं , नकद फसल चाहिएउलीच ली रेत, खोद लिए पत्थर,काट लिए पेड़, तोड़ दी मेड़रेत से पक्