हम पढ़ेंगे लघु कहानी के बारे जो दो छोटे भाइयों के बारे है | एक का नाम था हंसराज और दूसरे का नाम था अंशराज |
एक दिन हंसराज निराश था । वह मन ही मन में कुछ गुस्से से बड़बड़ा रहा था ! और दूसरी तरफ अंशराज भी बैठा हुआ था, वह बहुत खुश नजर आ रहा था। जब उनके मित्रों ने दोनों को देखकर कहा कि, हंसराज इतना दुखी क्यों है ?और अंशराज आप इतने खुश क्यों हो ?
हंसराज ने कहा कि देखो ना पापा ने मुझे सिर्फ 5 रुपिये ही दिए हैं, मुझे ऐसा लगा था कि पापा कम से कम मुझे 10 रुपिये देंगे | यही सवाल अंशराज को पूछा क्या आप इतने खुश क्यों हो तो अंशराज ने कहा कि मुझे लगा पापा सिर्फ मुझे 2 रुपिये देंगे | उन्होंने मुझे 5 रुपिये दिया इसलिए मैं बहुत खुश हूं !
निष्कर्ष :-
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सुख और दुख इंसानों के विचारों पर निर्भर है । आज इंसान हालातों से दुखी नहीं है उनके विचारों से दुखी है ! अगर आप भी हंसराज की तरह खुश रहना चाहते हो तो पॉजिटिव विचार को जीवन में अपनाओ जिससे आप अपने जीवन में खुश रह सको ।
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