गांव की ज़िन्दगी ,अब पहले जैसी नहीं जहाँ रिश्ते तो हैं ,वह मिठास नहीं जहाँ मिट्टी तो है ,पर खुशबू नहीं जहाँ तालाब तो है ,पर पानी नहीं जहाँ आम बौराते तो हैं ,पर सुगन्ध का महकना नहीं गांव की ज़िन्दगी ,अब पहले जैसी नहीं यहाँ लोग बेगाने से हो गये लोग सुख साधन के भूंखे हो गये गांव अब शहरों में तब्दील हो