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विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास

9 अगस्त 2023

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दिसंबर 1992 में, UNGA ने 1993 को विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष बनाने का संकल्प अपनाया. 23 दिसंबर 1994 को, UNGA ने अपने प्रस्ताव 49/214 में निर्णय लिया कि विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दशक के दौरान हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाएगा. दुनिया के मूल निवासियों के अधिकारों के समर्थन और सुरक्षा के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। आज पर्यावरण संरक्षण जैसी बेहतर दुनिया बनाने की दिशा में दुनिया भर के आदिवासी समुदायों के महत्वपूर्ण योगदान और उपलब्धियों को स्वीकार करने का भी दिन है।  आदिवासी लोगों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. इस जनजाति को संरक्षण और बढ़ावा देने, इनकी संस्कृति व सम्मान को बचाने के लिए आदिवासी दिवस मनाया जाता है. विश्व आदिवासी दिवस (अंग्रेज़ी: International Day of the World's Indigenous Peoples), आदिवासी आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।आदिवासी को वनवासी से जोड़कर भी देखते हैं। 400 पीढ़ियों पूर्व वन में तो सभी भारतीय रहते थे लेकिन विकास के कारण पहले ग्राम बने फिर कस्बे और अंत में नगर। यहीं वनवासी लोग ग्राम, कस्बे और नगर में बसते गए। विज्ञान कहता है कि मानव ने जो भी यह अभूतपूर्व प्रगति की है वह 200 पीढ़ियों के बाद 400 पीढ़ियों के दौरान हुई है। 1938 जनवरी में उन्होंने आदिवासी महासभा की अध्यक्षता ग्रहण की जिसने बिहार से इतर एक अलग झारखंड राज्य की स्थापना की मांग की। इसके बाद जयपाल सिंह देश में आदिवासियों के अधिकारों की आवाज बन गए।  संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 9 अगस्त 1982 को आदिवासियों के हित में एक विशेष बैठक आयोजित की गई थी। तब से जागरूकता बढ़ाने और दुनिया की स्वदेशी आबादी के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस World Tribal Day मनाया जाता है।इस दिन संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने आदिवासियों के भले के लिए एक कार्यदल गठित किया था जिसकी बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। उसी के बाद से (UNO) ने अपने सदस्य देशों को प्रतिवर्ष 9 अगस्त को 'विश्व आदिवासी दिवस' मनाने की घोषणा की। 2. आदिवासी शब्द दो शब्दों 'आदि' और 'वासी' से मिल कर बना है और इसका अर्थ मूल निवासी होता है। विश्व आदिवासी दिवस पुरे विश्व में इस दिन इस दिवस को मनाने के लिए सबसे पहली बार शुरुआत सयुंक्त राज्य अमेरिका में 1994 में मनाया गया था। पुरे विश्व में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस यानी World tribal day मनाया जाता हैं। यह त्योहार नागालैंड की नागा जनजातियों द्वारा मनाया जाता है। यह एक रंगीन और जीवंत त्योहार है जो नागा लोगों की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करता है। त्यौहार में पारंपरिक नृत्य, संगीत और भोजन के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी शामिल होते हैंये पूरे विश्व की जनसंख्या का पांच प्रतिशत हैं. दुनिया में लगभग 5000 आदिवासी समुदाय हैं. इनकी सात हजार भाषाएं है।   भगवान शिव को आदिदेव, आदिनाथ और आदियोगी कहा जाता है। आदि का अर्थ सबसे प्राचीन प्रारंभिक, प्रथम और आदिम। शिव आदिवासियों के देवता हैं। शिव खुद ही एक आदिवासी थे। उनमें सेकुछ समुदाय झूम खेती करते थे। झूम खेती घुमंतू खेती को कहा जाता है। इस तरह की खेती अबधकांशतः जंगलों में छोटे‑छोटे भूखंडों पर की जाती थी।
            हम सभी आदिवासी जनजाति के विकास में योगदान करना चाहिए और हम सभी को सहयोग देना चाहिए क्योंकि यह भी एक मानवता है।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत सारगर्भित लेख लिखा है आपने 😊🙏🙏🙏🙏

9 अगस्त 2023

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विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास
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विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास दिसंबर 1992 में, UNGA ने 1993 को विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष बनाने का संकल्प अपनाया. 23 दिसंबर 1994 को, UNGA ने अपने प्रस्ताव 49/214 में निर्णय लिया कि विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दशक के दौरान हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाएगा. दुनिया के मूल निवासियों के अधिकारों के समर्थन और सुरक्षा के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है।

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