shabd-logo

व्यापार

18 दिसम्बर 2021

20 बार देखा गया 20

जैसा की हम और आप देख रहे है की आजकल हर एक चीज का व्यापार हो रहा है , आजकल हर इंसान केवल अपने मुनाफे के बारे में सोचता है सहानुभूति या दया नाम की चीज लोगो में खतम हो गई है। 

अभी कुछ दिनों पहले मैने देखा की एक बुजुर्ग महिला जिनके पति काफी बीमार थे , वो उनके लिए दवा लेने के लिए मेडिकल स्टोर पर खड़ी थी।

फटे कपड़े , पैरो में चप्पल भी नही , हांथ में दवा की पर्ची और 50 रु हांथ में लिए अपनी बारी का इंतजार कर रही थी , जैसे ही उनकी बारी आई डरते हुए उसने अपनी दवा की पर्ची दुकानदार को पकड़ा दी ।

दुकान दार ने 440 रु मांगे तो उस बुजुर्ग महिला ने 50 रु का नोट आगे बढ़ाया । दुकानदार ने उसे डांट फटकार कर भगा दिया वो महिला रोते हुए बोलने लगी ,की दवा दे दे उसके पति की जान बच जाएगी लेकिन दुकानदार को कोई फर्क नही ।

मैंने सोचा मैं ही मदद कर देता हु तब तक एक व्यक्ति ने उस महिला को 1000 रु दिए और बोला की दवा ले लीजिए और चला गया।


उस व्यक्ति ने तो पीड़ा समझी लेकिन वो दुकानदार लखनऊ शहर का नामी दुकानदार था और उसके पास पैसे की भी कोई कमी नही थी लेकिन 500 रु की दवा भी ना दे पाया वो तो समझो कितना गरीब हुआ।

आजकल व्यापारी बस अपना फायदा देखता है । किसी की गरीबी ,मजबूरी से कोई ताल्लुक नही है।



सौजन्य से 

अतीत गुप्ता

ATIT GUPTA की अन्य किताबें

ममता

ममता

संवेदन हीनता का उदाहरण देती अच्छी रचना।

18 दिसम्बर 2021

ATIT GUPTA

ATIT GUPTA

22 दिसम्बर 2021

शुक्रिया

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए