18 सितम्बर 2022
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🌸"श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ, नारायण वासुदेवा"🌸🙏🙏 हमारा नाम दिव्यांशी त्रिगुणा हैं। हम उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर अमरोहा में रहते हैं। हम एक ग्रेजुएट छात्रा हैं, जिसने इसी वर्ष कला वर्ग से अपना ग्रेजुएशन पूर्ण किया हैं। हमारी बाल्यकाल से हीं विशेष रूचि हिन्दी कविता लेखन में रही हैं और हमारी अधिकतर कविताओं का विषय हैं, हमारे प्रियतम भगवान श्रीकृष्ण,,। इसलिए हम आज़ भी अपनी इन कविताओं में वर्णित प्रेम को श्रीकृष्ण के चरणों में निरन्तर समर्पित करते रहते हैं। क्योंकि लिखना केवल हमारा शौक या पसंद हीं नहीं, बल्कि हमारे हृदय की भक्ति का विशुद्धतम और अनुपम रूप हैं, जो शब्दों को माध्यम बनाकर बाहर आता रहता हैं,,। 🌻वासुदेवाय नमः🌻 🌼।।जय श्री कृष्णा।।🌼 🌸राधे राधे,,।🌸🙏🙏D
पुष्पों जैसा ये प्रेम तुम्हारा,जिससे महका हुआ हैं, ये जीवन हमारा......ना हो कभी दूर वो साँवरा,वहीं तो हैं,इन नयनों का सुन्दर नजारा,वहीं तो हैं,मेरे जीवन का हर किनारा..
सबसे ज्यादा प्यार उनसे, सबसे ज्यादा ये प्रेम उनसे, जिनसे दिल मिलता हैं, जिनसे ये मन खिलता हैं, आने से जिनके मेरी सुबह हो, 
मेरा पहला प्यार हो तुम, मन का मेरे इजहार हो तुम,सारा प्रेम तुम्हारे लिए हैं, जीवन का उद्धार हो तुम,नयनों का ये प्रेम हैं, &n
प्रेम के उपहार में, क्या दूं मैं तुम्हें इस प्यार में,सब कुछ फीका लगता हैं, तुम्हारे लिए इस संसार में,कुछ देने लायक हैं जो,
हम तुम ऐसे हैं गिरधारी, मोर मुकुट, पीतांबर धारी जैसे सुमन में खुशबू रहती, जैसे जीवन में सांसे बहती,उस सुमन की खुशबू तुम हो, &n
हम तो किसी को जानते नहीं हैं, अपना किसी को मानते नहीं हैं, इस दुनिया ने बस दुःख हीं दिया हैं, सुख से बस.... &nbs
पल वो जीवन के, साँवरे संग के,अनुपम छवि हैं उनकी, अद्भुत वर मन के..सुन्दर पल मन के, साँवरिया संग के,तेज ज
आज तो कितना प्यारा शब्द दिया हैं, सच्चा प्रेम, हमेशा निश्चल मन ने किया हैं यह प्रेम पूरे ह्रदय ने लिया हैं, हर वक्त उसके संग जिया है
सच्चा प्रेम, इस मन ने किया हैं साथ ये उसमें सांवरिया हैं,निश्छल मन से हमने किया हैं, जीवन सुमन भी उनको दिया हैं,चरणों में फूलों का अर्पण, &nbs
दिन चाहें कोई सा भी हो, हमें हर दिन में तुम से प्यार हैं,हर दिन में तुमसे प्यार हैं, तुम्हारा ही इंतज़ार हैं,दिन तो बस एक बहाना हैं,&nbs
सुबह की नींद खुली, मन को आशाएं मिली श्याम के आने की....सब तरफ रोशनी, सब तरफ हैं ध्वनि गीत गुनगुनाने की....अब जाकर हैं नींद खुली, वो तो था ख्वाब हीं&
ये मन कहता हैं, हां ये मन करता हैं,तितली बन कर, श्याम के मधुबन में जाऊंयहां पर लौट कर ना आऊं, मधुबन में
ये प्रेम हैं या इबादत साँवरिया तुझे पाना हैं या चाहना ओ पियामन का सुकून, तेरी आंखो में दिल का जुनून, तेरी बातों में, ओ पिया..  
अँधेरे में एक साया, श्याम बन कर तू आयाजब वक्त अँधेरे का ऐसा आया, जब साथ ना था,मेरा खुद का सायातब भी श्याम तू चला आया  
मधुबन, मोहन, सांवरिया मन रहते हर पल इस अन्तरमनश्याम सुन्दर, मनमोहन वर रे मुरलीधर, मन के मनोहर सेलीलाधारी, ओ गिरधारी रहते म
इस मन दोस्ती, हैं एक प्यार की ये तो श्याम हैं, मन का मीत भीवो मन मीत हैं, उससे प्रीत हैं वो तो सुन्दर जीवन की रीत हैं,वो जीत हैं, जीवन प्रीत ह
बांके बिहारी की, दिखें एक झलक प्यारी सी..मन के मुरारी की, बस एक झलक प्यारी सी..देखूं मैं हर पल हीं, राहे
मन के पड़ोस का घर हैं ऐसा, मोहन, मनमोहन के जैसाउस घर में रहते मेरे भगवन हैं, उस घर में रहते श्याम सुमन हैंप्रेम की वो नगरी हैं, &
जीवन की खिड़की से, तुमको निहारूं मैं सतरंगी आसमां में, तुमको पुकारू मैंहो तुम कहां मेरे सांवरिया, तुम्हें हर पल पुकारू मैं सतरंगी आसमां में, तुमको न
बांके बिहारी ने, मेरे मन को मुरारी नेजादू ये कैसा किया हैं, ये उस बनवारी ने अपनी वो मोहिनी, दिल पर छोड़ जाता हैं जिसकी तरफ मोहन, मुड़ कर देख जाता है
तेरी इस नगरी में, कौन किसे जानता हैं,कुछ अपने, कुछ गैर यहां हैं ये सबका दिल मानता हैं,तू तो सबका अपना हैं, सबक
भक्तों की सुनते तुम सारी, संकट हरो श्रीकृष्ण मुरारी....दया करो कुछ तो गिरधारी, संकट हरो श्रीबांके बिहारीदुखियारे को बस आस तुम्हारी, 
कृष्ण का वो मधुबन हैं प्यारा, जिसमें लगा जीवन वृक्ष हमारा, मनमोहन का वो मधुबन प्यारा, जिसमें हैं फूलों का नजारा, जीवन में फूल खिले हैं,&nb
चरण वंदनम प्रभु के हम, चरण वंदनम करें हम सभी.... हाथ जोड़कर प्रणाम करें, पैर छूकर अंतर्ध्यान करें,इन चरणों में ही हैं सारा जगन,&nbs
वो तो श्याम हीं था, जो मन में मेरे रहता बहता हैं वहीं धड़कन में, अन्तर्मन में, वहीं जीवन में रहता हैं, उसकी छवि इस मन बसी, ऐसी इस हदय पर रहीं,
मोहन एक खत लिख भेज रहीं हूं, मैं तो उद्धव के हाथ,खत ना कभी कोई आखिरी हों, ऐसा हो ये साथ,खत जो लिखें हैं याद में तेरी,  
रोजाना तुम्हें खत भेजूं, रात से सारी बात करूं,चांद तुझ तक खत पहुंचाएं, ज़वाब का मन इंतजार कराएं,सुबह का सूरज ज़वाब ले आता हैं, &nb
सज दें जो राधा प्यारी, श्याम निहारें जाएं चाहें वो राधा को हीं..नयनों में प्रेम भरके, देखें वो मोहन तरके एसी ये राधा तेरी..राधा प्रेम गीत गाएं, बनसी
उस मन को भला कौन जान सकें, जिस मन हर पल नारायण रहें,उस मन की प्रीति समझें कौन, जिस मन की प्रीत श्याम रहें,भक्ति की शक्ति में हैं मन,&nbs
मन रहते कृष्ण मुरारी, उन पर जाऊं मैं वारी,ये मन रहता उन संग हैं, उन संग ये मन मधुबन हैं,दुनिया से हारी हारी, &
तेरे आने की ऐसी खबर, इस दिल को पता ना थी.. तुझसे यूं प्रेम होना हैं, इस दिल को खबर ना थी.. श्याम आएं हैं जीवन में, &n
जिस रंग में तुम, उस रंग में हमने तुमसे प्यार किया हैं..ना कुछ सोचा, ना कुछ जाना, बस अपना दिल तुम पर वार दिया हैं..सच्चाई हैं तेरी आंखों
आईं मैं सज के और सवर के, अपने मोहन से मुलाकात को,इन निगाहों में बरसात होती हैं, जब मेरे दिल में तेरी बात होती हैं,तुझसे से मिलने को, आईं
कभी तो आओ मोहन, अपनी सूरत दिखलाने को,श्याम ओ मोहन, तुझ संग प्रीति, इस मन से उस मन को जीती,ऐसे तुम ना तरसाओ, &n
भव बीत रहा हैं सारा, ये इंतजार में हमारा,कब आओगे तुम मोहन, कर दो अब कोई इशारा,आने की तुम कोई पहल कर दो,
अब ना कुछ बाकी रहा हैं, श्याम सदा मेरा सांवरिया हैं,हर पल बहता इन हवाओं में, मुझमें रहता, मेरी दुआओ मेंजिस ओर भी देखूं, &nbs
सारे बन्द दरवाजों को, कृष्ण मेरे खोलते हैं,ना भटकूं मैं इस दुनिया, ऐसा प्रभु मेरे बोलते हैं,समझाते हैं बार बार यूं, &
थाम लो हाथ बनवारी, नहीं फिर खो ही जाएंगे, यहां पर भीड़ इतनी हैं, कि फिर कभी मिल नहीं पाएंगे, संभालो हमको कृष्णा तुम, &nbs
दो शब्दों में लिख दी मैंने, जीवन प्रेम कहानी, श्याम सुमन, बस मोहन जानी बाकी सब अनजानी, यादों का पहरा हैं रहता,&n
जीवन में एक दिन ऐसा हो, जिसमें सांवरिया, श्याम सखा हो पूरा दिन वो वहीं पर ठहरे, जहां थे हमारे प्यार के पहरे, सुबह से लेकर शाम
जीवन में दो पल प्यार के, या होंगे बस इंतज़ार के..जब तक ये इंतजार रहेगा, सांसों में तेरा प्यार बहेगा..भूलें नहीं हम कोई तराना,  
जिस विधि श्याम मिलें हमको, ऐसी विधि बताएं..जिस विधि राम मिले हमको, ऐसी विधि सुझाएं..हे प्रभु! विनती बारम्बार,
तू आएं, होली के दिन रंग जाएं, अपने रंग दिन..तेरा रंग ऐसा हो, फिर और कोई ना चढ़ पाएं बस श्याम रंग ही चढ़ जाएं..तुझको मैं भी रंग दूं, ऐसा कोई अवसर मिल
नयनों के झरोखों से, तुझको देखूं मैं सांवरे तुम पास यहां मेरे, तुम साथ यहां मेरे..तुझको देखती रहूं, तुम जीवन प्यार मेरे ओ श्याम सांवरे, ओ मोहन श्याम
सुबह सवेरे जल्दी उठकर, हरि मन का ध्यान करूँ.. शीतल जल से स्नान करके, आरती का मन गान करूँ..सारी नजर भर नारायण देखूं, &nb
जब मन मन्दिर में श्याम बसें हो, और कहीं कुछ नज़र ना हों..बस जीवन का नजारा वहीं हो, जिसमें श्याम सुमन मन हो..श्याम बसें हो मन के भवन में,  
घूम आए कहीं, हम तुम्हारे संग भी दूर ना सही तो पास कहीं, तेरे दिल की गलियों में, तेरे मन के रास्तों पर हम चाहते हैं घूमना वहीं....ऐसा रास्ता तू
मोहन एक खत लिख भेज रही हूं, मैं तो उद्धव के हाथ..चिठ्ठी भेज रहीं हूं साजन, लिखकर मन की बात..मिलने को तुमसे बेकरार हम थे,
रंग चढ़ता हैं जो, वो मेरे श्याम का रंग गहरा हैं जो, वो उसके नाम का उसकी आदत सी मुझको होने लगी, वो हीं दिखता हैं अब, हर जगह यूं हीं
तुम हो तो हम हैं प्रभुजी, तुम बिन हम नाही तुम नहीं तो, हम नहीं हैं, हम नहीं कुछ भी भक्त बिना भगवान अधूरे, बिन भगवन भक्त भी भगवान से
रंगों की होली सुहानी हैं, राधा मोहन की दीवानी हैं..ये रंग प्यार के गहरे हैं, इस दिल पर श्याम के पहरे हैं..वो रंगना चाहें उनके रंग में,&n
होली के रंग है नए-नए, लेकिन हम तो वही पुराने हैं, गुलाल है नया-नया, लेकिन जिंदगी के वही फसाने हैं,हम तो श्याम के दीवाने हैं....&nbs
होली खेल रहें गोपाल, प्रेमिन की गलिन गलिन में.. प्रेमिन की गलिन गलिन में, श्रद्धा की हर नगरिन में..ओ, होली खेल रहें गोपाल, &nb
मन बहते कृष्ण मुरारी, उनका ये मन मधुबन में हैं, उनकी हैं राधा प्यारीजीवन समर्पण अर्पण, छोड़ के अब दुनिया दारी सुबह का सूरज तुझमें, शाम भी ढले
छत पर, अपने हीं पथ पर सोचा मैंने, जीवन रथ पर..कहां तक ले जाना हैं इसको या कहीं रुक जाना हैं इधर.. हवाओं के झोंके ये कहते रहते,  
तेरे मेरे रिश्ते का दोस्ती हीं नाम हैं, जाना, अंजाना हैं ये, ये तो गुमनाम हैं मेरे जीवन का प्रीत हैं तू, मेरे इस मन का मीत हैं तू ब
राधा मोहन झूले सावन का दिन.... सावन सावन झूलों सजन, ये हैं तुम्हारे प्रेमी का मन, राधामोहन झूले सावन का दिन....मन बांवरा हैं, जो तुम्हें
तुम जानो ना जानो, ये दिल सबकुछ जाने तुम मानो ना मानो, ये दिल सबकुछ मानेजानी हैं अंजानी, ये दिल सब पहचाने ना भूलें हैं कुछ भी कहीं, हमें याद हैं सभीय
दो पल के लिए ही सही, इस समां को ठहर जानें दो..दो पल के लिए ही सही, इस हवा को बिखर जाने दो..दूर से आई ये हवा, &
सुबह सवेरे आँख खुली तो, चेहरे पर मुस्कान रहीं सो..एक सपना था, देखा हमने देखा हमने, श्याम सुमन ने..मिलने का वो दृश्य हमारा,
तुम बिना अब कोई नहीं हैं, मन का मीत हमारो.. तुम हीं स्वामी, अन्तर्यामी जग जीवन अब सारो.. याद में तेरी, रैना बीती,
पवन बह रहीं हैं, कुछ इस तरह से जैसे कि तुम आ गए हो..मेरी निगाहें रस्ते पर जाएं, जैसे कि तुम आ गए हो..निकलता सा सूरज कह रहा हैं मुझसे, &
मधुसूदन, श्याम मनमोहन तेरा रहना हो अंतर्मन.. तुम ही तो भाग्य विधाता हो, तुम्हीं सब मन के ज्ञाता हो.. तुम बिन हम अधूरे हैं,&nbs
जब तुम याद में आएं, मेरी फरियाद में आएं तो तुम ही रहते हो मेरे दिल में.. तुम्हारे बिन हम अधूरे हैं, तुम्हीं से हम पूरे हैं तो तुम ह
ऐसे ना देखो, ऐ श्याम सुमन कि तुमको प्यार हों जाएं..अगर ये प्यार हुआ मोहन, तो जीवन पार हों जाएं..अगर हम श्याम को मांगें तो,
मेरा मन जो ख्वाब बुने हैं, वो तो बस नारायण के हैं..मन में उनकी छवि बसाकर, चाहती हूं मैं दिल लगाकर..तारों सा ये मेरा जहां हैं,  
राधिका- तुम साधना, आराधना हां तुम्हारे संग, हीं मन बांधना..किस डोर से ये मन बंधे, तेरी ओर श्याम रे बोलो सांवरे, अब हम क्या करें..श्याम- ये प्रेम की
हर बात में हो श्याम बसेरा, यूं बीत जाएं जीवन सवेरा,चंचल मन की प्रीत जुड़ीं हैं, सांवरिया के मन से,और ना भाए कोई, अब इस जन्म से &n
पिंजरा नहीं, मैं तो पंख चाहूं जिसे लगाकर, उड़ी उड़ी जाऊंउड़ जाऊं, दुनिया के भंवर से उड़ जाऊं, पाबंद डगर सेउड़ती उड़ती मधुबन जाऊं,  
तुम तो हमारे हो, हरि नाम प्यारे हो..रहते हो इस मन में, रहते हो जीवन में..कभी तुम प्रेम सुमन हो, कभी पुलक
ओ श्याम, मेरे श्याम....... यहां पर भीड़ इतनी हैं, क्या तुम हमें ढूंढ पाओगे कहीं हम मिल गए तो क्या, क्या तुम पहचान जाओगे ओ श्याम, मेरे श्याम....... 
दिन भी सारा बीत गया, मोहन अभी भी आए ना.. नैयनो में इंतजार रहा, अंखियों में बस नीर हीं था.. मैं तो सांवरे की राह देखूं, &n
होले होले आना तुम, मन में मेरे बस जाना तुम आने का कोई शोर ना हो, ऐसे चलकर आना तुम..धीमे स्वर से कह जाना तुम, मन की बात बताना तुम
श्याम हंसे तो, ऐसा लगें, जैसे मधुबन के फूल झड़ रही हो.. श्याम मुस्कुराए तो, ऐसा लगें, जैसे मुख पर कमल खिल रहे हो..श्याम हंसी, मन भा
श्याम नाम का श्रृंगार करके, चमक रहीं हूं मैं श्यामा बनके..करके सोलह श्रृंगार सारे, हो गई मैं, नाम सांवरे..प्रियतम से वो बात होंगी, &nbs
शरण ले लो मेरे भगवन, कि तुम बिन कौन सहारा हैं..ये दुनिया झूठ हैं सारी, कि तुम बिन कौन हमारा हैं..तुम रख लेना हमें चाकर, &nbs
स्वप्न पधारे, मोहन प्यारे नैयनो के तारे, जगत उजियारे..उस सारी रात, भर मैं ना सोई, बस अपने श्याम के स्वप्नों में खोई..जानें कैसे आते हैं वो, &n
कर दो ना एक बार, प्रेम की वर्षा तुम अपार..कि मिट जाएं सारे जन्म की, प्यास ये तुमसे जो..प्रभु ये प्यास ये तुमसे जो, &n
पायो जी मैंने प्रेम रतन धन पायो, प्रेम रतन धन पा लिया इस मन, भव सागर तर जाओ, पायो जी मैंने प्रेम रतन धन पायो,प्रेम रूपी हरि नाम मिल
कोई प्रेम से लिखें, कोई अपने मन से लिखें..कोई जीवन मनन से लिखें, कोई दिल धड़कन से लिखें..किस शब्द से तुम रिझोगे, &nb
नयनों के चंचल इशारों, में हीं बात करतें हों..कुछ ना कहते, बस हंसते रहते ऐसा क्यों करतें हों..कुछ तो सोचों, हमारा भी तुम &n
तुम हीं कृष्ण मुरारी हों, तुम हीं गिरवर धारी हों..झिलमिल सपने इन अंखियों के, श्याम से पूरे होते..मन में रहते, बहते बहते, उ
फूलों की प्यारी मुस्कान, लगती हैं प्यारे मोहन समान..रंग बिरंगे फूल यहां हैं, जिनसे महका सारा समां हैं..जिनसे चमका मेरा जहां हैं,
ये मन तो हैं मोहन का,ये दिल भी हैं उन्हीं का.. उन्हीं का मैं इंतज़ार करूं, उन्हीं से मैं इतना प्यार करूं..श्याम मिले तो, बात बनें सोजीवन की सारी..&n
मेरे गोविन्द, ओ गोपाला तुम्हीं संग मन, बांध डाला..प्रियतम हों, हदय तम हों तुम्हीं तो प्यारे हरि मन हों..तुम्हारे सिवा, ना कुछ चाहूं &nb
श्री राधे गोविन्द हरि, श्रीमन रहते नारायण हीं..नारायण रहें अन्तर्मन में, श्याम सुमन रहें, इस जीवन में..हम कहते हैं हरि नाम को, &
नगरी हों द्वारिका सी, वृंदावन जाना हो,चरण हों माधव के, जहां मेरा ठिकाना हों..भक्ति हों मीरा सी, राधा प्रेम खजाना हों
सुना सावन सा ये मन मेरा, जिसकी बारिश हैं, तेरा बसेरा..हरियाली आती यहां जब हैं, जब मनमोहन हो सवेरा..चांद सा सुन्दर और प्यारा, &nb
श्याम नाम भाता हैं, वहीं मन में, वहीं तन में..हर पल यूं समाता हैं... प्यार का ये रिश्ता हैं, दिल की दिल लगी हैं.. &nb
ओ मोहन मुरारी, सुनो तुम हमारी एक विनती प्यार भरी, एक विनती पुकार भरी.. कहां तुझको ढूंढूं, कहां तुझको पाऊंकहीं ना मिले तू, यहीं मैं बताऊं.. 
मन के मुरारी, सुनते हों सारी अरज, विनती हमारीतुम बिन अब ना जी सकेंगे, जग जीवन सब हारी,लीलाधारी, ओ गिरधारी सुन लो विनती हमा
ये मन सांवरे, तेरा हुआ रे मैं इस मन की हों चुकी हूं..ये दिल सांवरे, तेरा हुआ रे मैं इस दिल की हों चुकी हूं..हर आस मन की, पाना चाहें &nb
सुबह सवेरे राह निहारे, मेरी अखियां प्यारी..कब आओगे मोहन मिलने, दिन, तारीख़ दो सारी..रहम निग़ाहों पर कर दीजे, दर्शन देकर गि
मेरे श्याम आइए, प्रभु श्याम आइए..प्रभु आइए, श्याम आइए मेरे भोजन का भोग लगाइए..छप्पन भोग तो बन ना सके प्रभु, बस थोड़ी
वृंदावन की गलियन में, जहां पर तू रहता हैं.. द्वारिकाधीश भी कहते हैं, लोग तुझे यहां हैं..मैं तो चाकरिया बनी, &nb
सबके हीं तुम हों सांवरिया, मेरे भी मनमोहन हों..तुमको देखूं, देखती रहूं सांवरिया तन, मन हों..मुरलीधर, चित चोर कहाओ मन मन्दि
जब से तुमसे प्रेम किया हैं सबकुछ जैसे हीं पा लिया हैं..और नहीं हैं कोई अभिलाषा, बस मिलन की तुमसे आशा..श्रृंगार रस का स्वाद चखा हैं, &nb
प्रेम के वश यूं चले आते हैं, श्री गोविन्द मुरारी..आकर फिर मन बस जाते हैं, मनमोहन, गिरधारी..कोई भी उनकी प्रेम माया से, बच न
तेरे पास हीं मेरा, ये मन हैं सांवरे..तेरे पास हीं मेरा, जीवन हैं बांवरे..हां, तेरे बिना तो कोई कल्पना नहीं हैं
मेरे मन की श्याम खुशी हैं, मैं तो बस इतना जानूं..मेरे मन का मीत वहीं हैं, मैं तो बस इतना मानूं..तेरे हीं पास मेरा, य
हम होते होते हो जाएंगे तेरे, हम होते होते....क्योंकि, क्योंकि, क्योंकि.. हम तुम डोरी से, बंधे हैं चोरी सेहैं राधा मोहन स्वरूप..
शब्द.इन पर अब आप केवल लिख और पढ़ ही नहीं सकते बल्कि अब अपनी किताबें भी छपवा सकते हैं, और तो और, पैसे भी कमा सकते हैं।