जिनकी जन्मकुंडली नहीं है वह कैसे जाने कि उनका गुरु कमजोर है या मजबूत
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तर्जनी ऊँगली और गुरु पर्वत का विश्लेषण कर जानें आपका गुरु कमजोर है या मजबूत
जन्मकुंडली में गुरु (बृहस्पति) यदि बलवान है तो व्यक्ति ज्ञान, सत्कर्म, ईमानदारी, विद्या, बुद्धि, प्रसिद्धि और संपदा के मामले में श्रेष्ठ होता है, लेकिन यदि गुरु कमजोर हो तो व्यक्ति का जीवन संकटपूर्ण रहता है। वैवाहिक सुख के लिए भी गुरु का मजबूत होना आवश्यक है। लेकिन कई लोगों की जन्मकुंडली नहीं होती है। क्योंकि या तो उन्हें अपनी सही जन्म तारीख याद नहीं होती है ना जन्म का सही समय
इसके अभाव में उनकी कुंडली नहीं बन पाती और वे अपना सही भविष्य नहीं जान पाते। ऐसे में क्या किया जाए?
हस्तरेखा शास्त्र के जरिए भी सभी ग्रहों की स्थितियों का सटीक आकलन किया जा सकता है। हस्तरेखा में तर्जनी अंगुली बृहस्पति की अंगुली कहलाती है और उसके नीचे बृहस्पति पर्वत होता है। इस पर्वत की स्थिति देखकर पता कर सकते हैं कि उस व्यक्ति का बृहस्पति कमजोर है या मजबूत। इसके लिए ध्यान से तर्जनी अंगुली और गुरु पर्वत का अध्ययन करने की जरूरत होती है।
कमजोर बृहस्पति की पहचान
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हस्तरेखा शास्त्र में बृहस्पति के कमजोर या मजबूत होने को उसके पर्वत से देखा जाता है। यदि बृहस्पति पर्वत दबा हुआ, रूखा हो तो व्यक्ति का गुरु कमजोर होता है।
यदि बृहस्पति पर्वत पर कई लाइनें एक-दूसरे को काटते हुए जाल बनाती है तो व्यक्ति को बृहस्पति की नकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
यदि तर्जनी अंगुली मध्यमा अंगुली की तरफ अत्यधिक मुड़ी हुई या झुकती हो तो बृहस्पति कमजोर होता है।
मजबूत बृहस्पति की पहचान
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यदि बृहस्पति पर्वत उभरा हुआ, लालिमा लिए हुए, चिकना, चमकदार हो तो तो व्यक्ति का गुरु मजबूत होता है।
यदि तर्जनी अंगुली एकदम सीधी हो और इसका झुकाव किसी भी ओर ना हो तो बृहस्पति अत्यंत मजबूत होता है।
यदि तर्जनी अंगुली बाहर की ओर झुकी हुई हो तो व्यक्ति असंभव कार्य भी आसानी से कर सकता है।
कमजोर बृहस्पति के लक्षण
बुद्धि और ज्ञान की कमी
लिवर और पेट संबंधी रोग होना
शादी में देरी
रूखी-सूखी त्वचा
व्यक्ति का बार-बार बीमार होना
वैवाहिक जीवन में परेशानी, कमजोर पारिवारिक जीवन
बहुत ज्यादा गुस्सा और घमंड
जीवन में स्थायित्व का अभाव
अनैतिक संबंध, विवाहेत्तर संबंध
कोई भी नया कार्य प्रारंभ करने में हिचकिचाना
मजबूत गुरु के लक्षण
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यदि विरासत में संपत्ति प्राप्त हो
यदि घर के बड़े बुजुर्ग प्रसन्न रहते हो
यदि घर के बच्चे सभ्य संस्कारी हो
यदि घर में संत महात्माओं का आवागमन लगा रहता हो
यदि मन पवित्र हो बुरे विचार न आते हो
तो समझ जाए की आपकी कुंडली में गुरु मजबूत है
मजबूती के लिए क्या उपाय करें
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१.समय समय पर वृद्धाश्रम और विधवाश्रम में जाकर समाज की उपेक्षित विधवा स्त्रियों और बुजुर्ग लोगो का और परिवार के वुजुर्ग सदस्य का नियमित रूप से दोनों हाथो की समस्त उंगुलियो से चरण स्पर्श करे.
२.स्वर्ण में पीला पुखराज धारण करें
३.लगातार आठ दिनों तक किसी मंदिर में हल्दी का दान करें
४.अंधे और असहाय लोगों की सेवा करें
५.गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करना या
अपने साथ हमेशा पीला रंग का रूमाल रखना
६.अपने गुरु, गाय और परिजनों की सेवा करना
७.गुरुवार के दिन गाय को गुड़ और चना दान खिलाएं
८.जमीन के अंदर उगने वाले फल और सब्जियों का दान करें
९.हमेशा मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं
१०.बृहस्पति की शुभता पाने के लिए रुद्राष्टाध्यायी एवं शिवसहस्त्रनाम का पाठ अथवा रुद्राभिषेक करना भी एक अत्यंत प्रभावी उपाय है.
११.बृहस्पति की शुभता पाने के लिए गुरुवार का व्रत रखें. गुरुवार का व्रत एक बार शुरु करने के बाद लगातार 5,11 अथवा 43 सप्ताह तक लगातार करें.
१२.बृहस्पति की शुभता पाने के लिए प्रत्येक दिन या फिर गुरुवार के दिन विशेष रूप से हल्दी या केसर मिलाकर स्नान करें. स्नान के बाद नाभि में केसर लगाया करें.
१३.बृहस्पति की शुभता पाने के लिए कभी भी भूलकर अपने गुरु या किसी साधु-संत का अपमान न करें, बल्कि उनकी सेवा करें और उन्हें दान-दक्षिणा से प्रसन्न करें. पीले कनेर का फूल अपनी गुरु प्रतिमा पर चढ़ाया करें.
१४.बृहस्पति ग्रह की शुभता पाने के लिए किसी तोते को चने की दाल खिलाएं. इस उपाय से बुध एवं बृहस्पति दोनों की शुभता मिलेगी.
१५.बृहस्पति की शुभता पाने के लिए स्वर्णपत्र में बना हुआ बृहस्पति यंत्र या फिर पुखराज न धारण कर सकें तो उसकी जगह हल्दी की गांठ को पीले कपड़े में बांधकर अपनी बाजु में धारण करें. साथ ही गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा करें.
१६.गुरूवार को गन्ने का रस पिए .
गुरु को प्रसन्न करने के अचूक और विशेष मंत्र
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गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।
ॐ गुरुभ्यो नम:।
ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।
ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।
हर हर महादेव
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