19 मार्च 2016
बनारस की छोटी बहन ग़ाज़ीपुर की तरफ से संगेमील उस्ताद जी को उनके सौवे जन्मदिन के शुभ अवसर पर श्रद्धा सुमन
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जब भी मिलती है मुझे अजनबी लगाती क्यों है, ज़िन्दगी रोज़ नए रंग बदलती क्यों है.D
न जाने कौन सा फिकरा कहा रकम हो जाएदिलो का हाल भी अब कौन किस से कहता है
इस अदा से वो जफ़ा करते हैकोई जाने कि वफ़ा करते है. यूँ वफ़ा अहद-ए-वफ़ा करते है, आप क्या कहते है क्या करते है.
हमारा कतल करने की उनकी साजिश तो देखो, गुज़रे वो जब करीब से रुख से नक़ाब हटा लिया.
बुराई पर अच्छाई का प्रतिक इस विजयादशमी के पर्व पर आप सभी मित्रगणो तथा आपके सभी आपनो को हार्दिक शुभकामनाये
बहुत अनजान शहर है ये, हर चेहरे पे एक नया चेहरा है . कत्ल-ए-खौफ मंजर है, हर भीड़ में कातिल है .
आप सब जानते होंगें लेकिंन फिर भी न जाने क्यों आज फिर ये दिल कहता है के- है शहर तेरा दीवाना के रब जाने क्या होगा उस पर ये तेरा सर्मना के रब जाने क्या होगा?
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृताया वीणावरदण्डमंडितकरा या श्वेतपद्मासना।या ब्रह्माच्युतशंकर प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दितासा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
ख्वाहिशें और माचिस मेरे जेबें में है, पूरी ना हुई तो जलना मुमकिन है .
साले IBN7 वाले केजरी सरकार का प्रचार इतना गौरव के साथ कर रहे है जैसे इसने अपनी बेटी की शादी केजरी के लौंडे से कर दी हो.....बेशर्म.....!
अगर आप इस तरह का कदम उठा रहे है तो आपको सादर प्रणाम है आपके इस सोच का हम दिल से सम्मान करते हुए इस पोस्ट को साझा कर रहे है
मै क्या अपनी वफ़ा साबित करू मेरे दोस्त तेरी बेवफाई के आगे, तूने तो मेरी मान को भी नहीं छोडा अपनी अभिमान के आगे