जैसा कि कुछ ही दिनों पहले अमृतसर में हरमंदिर साहिब में एक व्यक्ति की पीटपीट कर हत्या कर दी गई। देखा जाये तो बिल्कुल ही गलत हुआ। इसके पष्चात कपूरथला में भी इसी प्रकार की घटनाएं सामने आई जिसमें सिक्खों के धार्मिक ग्रन्थ गुरू ग्रन्थ साहिब की बेअदबी और निशान साहिब की बेअदबी की बात कहकर किसी व्यक्ति को बेहरमी से मार दिया गया। क्या हम सभी को इसी तरह के धर्म की चाह थी? भारत में इस प्रकार की घटनाएं पहले हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर हुआ करती थी। जैसे कभी कोई किसी मंदिर के आगे गौमांस फैंक देता था, तो कभी ईद के माहौल में मस्जिद के सामने सुअर का। जिसके कारण फसाद का माहौल पैदा हो जाता था। जिसमें फैंकने वाले तो बहुत कम ही पकड़े जाते थे लेकिन न जाने कितने बेगुनाह लोगों का रोजगार छिनता था और न जाने कितने शारिरिक- मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना को सहते थे। लेकिन चाहे कुछ भी हो, इस बात को कोई भी पढ़ा-लिखा और समझदार आदमी बड़ी आसानी से समझ सकता है कि यह कृत्य किसी धार्मिक विचारधारा वाले व्यक्तियों का काम नहीं हैं फिर चाहे वह इस कृत्य को करने वाला हो या फिर इस कृत्य के हो जाने के बाद दंगा-फसाद और हत्या करने वाले। इन दोनों के पीछे शक्तिषाली राजनीतिज्ञों का साथ सदा की दिखता है। क्योंकि जब भी इस प्रकार की वारदात में इन दोनों प्रकार के व्यक्तियों में से कोई पकड़ा जाता है तो कुछ दिनों के बाद वह किसी न किसी राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण बच निकलता है। फिर चाहे वह दंगा करवाने वाला हो, या फिर करने वाला। किन्तु इस बार कुछ अलग ही हुआ जो दंगा करवाने वाला था उसी की हत्या कुछ कथित अति धार्मिक लोगों ने कर दी। इसमें सभी के अपने अपने तर्क हैं कि अपने गुरू ग्रन्थ साहिब जो कि उनके पवित्रतम ग्रन्थ हैं और साक्षात गुरू तुल्य हैं यदि कोई उनका अपमान करता है तो उसकी हत्या कर देना कुछ भी गलत नहीं.....
19 फ़ॉलोअर्स
17 किताबें