उपन्यास की पृष्ठभूमि में आइआइटी बीएचयू (IIT BHU) और बनारस है, वहाँ की मस्ती है, बीएचयू के विद्यार्थी, अध्यापक और उनका औघड़पन है। समकालीन परिवेश में बुनी कथा एक इंजीनियर के इश्क़, शिक्षा-व्यवस्था से उसके मोहभंग और अपनी राह ख़ुद बनाने का ताना-बाना बुनती है। यह हिंदी में बिलकुल नये तेवर का उपन्यास है, जो आपको अपनी ज़िंदगी के सबसे सुंदर सालों में वापस ले जाएगा, आपको आपके भीतर के बनारस से मिलाएगा। इस उम्मीद में कि बनारस हम सबके भीतर बना रहे, हम अलमस्त, औघड़ रहें और बे-इंतहा हँस सकें।
2 फ़ॉलोअर्स
5 किताबें