अगर कुएँ में पत्थर फेंकने की ख़ुशी पानी है तो कुछ कबूतरों की ज़िंदगी तो हराम करनी ही पड़ती है—किसी मासूम बच्चे को ऐसे विचारों और सिद्धांतों तक पहुँचने में कितना दर्द और कितनी नफ़रत लगती है उसका आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। आहिल एक छोटे-से गाँव के एक छोटे से घर में जन्मा, पला-बढ़ा लेकिन उसकी दुनिया आप और मेरे से बहुत अलग रही और उसी दुनिया की सैर कराने के लिए यह किताब लिखी गई है। आहिल के हिसाब से दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक तो वे जो किसी रास्ते पर चलते हैं कहीं पहुँचने के लिए और दूसरे वे जहाँ हैं वहाँ से निकल पाने के लिए बस किसी भी रास्ते पर चल पड़ते हैं। और दूसरी तरह के लोग जब घर से निकल जाते हैं तो ज़िंदगी उन्हें कहाँ ले जाती है, उसके लिए पढ़ें राहगीर का पहला उपन्यास ‘आहिल’।
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