भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां कोई भी फैसला लोकतंत्र के दायरे में रहकर करना चाहिए। अगर आप इस देश को निरंकुशता की तरफ धकेलना चाहते है तो फिर तो कोई बात नहीं लेकिन अगर लोकतंत्र की गरिमा बरकरार रखनी है तो फैसले सोच समझ कर लेने चाहिए।
बुलडोजर न्याय
कानून और सरकार की नज़र में सभी जाति धर्म के लोग समान होने चाहिए और अगर बुलडोजर चलाना है तो बिना पक्षपात किए चलना चाहिए और सारे नियम कानून और लॉ को ध्वस्त करके सिर्फ और सिर्फ एक कानून बनाना चाहिए " बुलडोज़र न्याय "।
खैर, ये है ग़ज़ब का तरीका, कोई सरकार के ख़िलाफ़ बोले तो बुलडोजर चला दो, कोई तुम्हारे हिसाब से ना चलें तो बुलडोजर चला दो।
बाद में सरकार का explanation आता है कि " फलाना, झोपड़ी या मकान अवैध जमीन पर था और ये बेस्ट explanation है।
अब कोई समझाये उस सरकारी बाबु और सरकार को कि जब " वोट " कि बात आती है तो सरकार इसी अवैध जमीन पर बसे लोगों को झुग्गी के बदले मकान देने की घोषणा करती है ताकि उनका वोट बैंक बचा रह सके पर जब सरकार को किसी के सवाल उठाने से खतरा महसूस होने लगता है तो उन्हें जरा भी शर्म ( खैर वो तो बेच खाए है ) नहीं आती की किसी के सपनों का महल तोड़ गिराया है उन्होंने।
इसमें भी सरकार ग़ज़ब खेल खेलती है और सरकार से भी ज्यादा चालाकी से सरकारी अफसर खेलते है।
जब लोग अपना सपनों का आशियाना बना रहे होते है तो सरकारी अफसरों की नींद नहीं खुलती, बाज़ारों में जब अवैध निर्माण के रूप में रास्तों की चौड़ाई कम होती जाती है तो पुलिस वाले घूस की कमाई खाने में व्यस्त रहते है पर जब सरकार के खिलाफ कोई जायें तो ये उस घूसखोरी वाले नमक का कर्ज भी अदा नहीं करते है।
सरकारें तो बनती, गिरती रहेगी पर इस देश की जो खूबसूरती है वो इसका लोकतंत्र है और वो जिवित रहना चाहिए।
आप बेशक कड़े फैसले लीजिए दंगा फैलाने वालों के खिलाफ, अपराधियों के खिलाफ , अवैध निर्माण के खिलाफ पर एक लोकतांत्रिक तरीके से।
अब एक बात और कह देते है।
मैं किसी भी पार्टी का सपोर्टर नहीं हूं, मेरे लिए मेरा MP और MLA पहले है और उसके आधार पर मैं वोट करता हूं तो किसी पार्टी का समर्थक नहीं हूं।
दूसरी बात मुझे इस बात से भी कोई लेना देना नहीं है कि किस जाति धर्म या समुदाय का घर उजाड़ा गया या किसे बसाया गया क्योंकि अगर मुझे पावर दिया जायें तो मैं सबसे पहले लोकतांत्रिक तरीके से अवैध निर्माण और अतिक्रमण का सफाया करूंगा पर ये " बुलडोजर न्याय " गलत है और लोकतंत्र के ख़िलाफ़ है ......