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अँधेरे में

गजानन माधव मुक्तिबोध

8 अध्याय
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गजानन माधव मुक्तिबोध की प्रचलित महाकाव्य अंधेरे में का संकलन  

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पुस्तक के भाग

1

अंधेरे में / भाग 1 / गजानन माधव मुक्तिबोध

4 अप्रैल 2023
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ज़िन्दगी के... कमरों में अँधेरे लगाता है चक्कर कोई एक लगातार; आवाज़ पैरों की देती है सुनाई बार-बार....बार-बार, वह नहीं दीखता... नहीं ही दीखता, किन्तु वह रहा घूम तिलस्मी खोह में ग़िरफ्तार कोई ए

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अंधेरे में / भाग 2 / गजानन माधव मुक्तिबोध

4 अप्रैल 2023
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सूनापन सिहरा, अँधेरे में ध्वनियों के बुलबुले उभरे, शून्य के मुख पर सलवटें स्वर की, मेरे ही उर पर, धँसाती हुई सिर, छटपटा रही हैं शब्दों की लहरें मीठी है दुःसह!! अरे, हाँ, साँकल ही रह -रह बजती है

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अंधेरे में / भाग 3 / गजानन माधव मुक्तिबोध

4 अप्रैल 2023
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समझ न पाया कि चल रहा स्वप्न या जाग्रति शुरू है। दिया जल रहा है, पीतालोक-प्रसार में काल चल रहा है, आस-पास फैली हुई जग-आकृतियाँ लगती हैं छपी हुई जड़ चित्रकृतियों-सी अलग व दूर-दूर निर्जीव!! यह सि

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अंधेरे में / भाग 4 / गजानन माधव मुक्तिबोध

4 अप्रैल 2023
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अकस्मात् चार का ग़जर कहीं खड़का मेरा दिल धड़का, उदास मटमैला मनरूपी वल्मीक चल-विचल हुआ सहसा। अनगिनत काली-काली हायफ़न-डैशों की लीकें बाहर निकल पड़ीं, अन्दर घुस पड़ीं भयभीत, सब ओर बिखराव। मैं अपन

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अंधेरे में / भाग 5 / गजानन माधव मुक्तिबोध

4 अप्रैल 2023
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एकाएक मुझे भान !! पीछे से किसी अजनबी ने कन्धे पर रक्खा हाथ। चौंकता मैं भयानक एकाएक थरथर रेंग गयी सिर तक, नहीं नहीं। ऊपर से गिरकर कन्धे पर बैठ गया बरगद-पात तक, क्या वह संकेत, क्या वह इशारा? क्य

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अंधेरे में / भाग 6 / गजानन माधव मुक्तिबोध

4 अप्रैल 2023
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सीन बदलता है सुनसान चौराहा साँवला फैला, बीच में वीरान गेरूआ घण्टाघर, ऊपर कत्थई बुज़र्ग गुम्बद, साँवली हवाओं में काल टहलता है। रात में पीले हैं चार घड़ी-चेहरे, मिनिट के काँटों की चार अलग गतियाँ,

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अंधेरे में / भाग 7 / गजानन माधव मुक्तिबोध

4 अप्रैल 2023
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रिहा!! छोड़ दिया गया मैं, कोई छाया-मुख अब करते हैं पीछा, छायाकृतियाँ न छोड़ी हैं मुझको, जहाँ-जहाँ गया वहाँ भौंहों के नीचे के रहस्यमय छेद मारते हैं संगीत-- दृष्टि की पत्थरी चमक है पैनी। मुझे अब

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अंधेरे में / भाग 8 / गजानन माधव मुक्तिबोध

4 अप्रैल 2023
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एकाएक हृदय धड़ककर रुक गया, क्या हुआ !! नगर से भयानक धुआँ उठ रहा है, कहीं आग लग गयी, कहीं गोली चल गयी। सड़कों पर मरा हुआ फैला है सुनसान, हवाओं में अदृश्य ज्वाला की गरमी गरमी का आवेग। साथ-साथ घूमत

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