संसार ने रावण को एक दैत्य के रूप में तो जाना है,पर इस पुस्तक के द्वारा परम शिवभक्त,परम पांडित्य ज्ञाता ,लंकेश ,रावण को एक भिन्न दृष्टि से देखकर अपनी बुद्धि अनुसार लिखने का प्रयास किया हैं।
जय श्री राम
ॐ नमः शिवाय
एक छोटी सी उम्र में लेखक वरुण ने अपनी प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन किया है । रावण के प्रति लोगो के मन में एक नकरतम सोच स्थित हो गई है उस विषय पर लोगो का ध्यान आकर्षित करने का ये बेहतरीन प्रयास है ।बेहद अच्छा प्रयास किया है वरुण ने आप सभी को एक बार अवश्य ये किताब पढ़ना चाहिए।
"मैं वरुण शुक्ला... मूल रूप से आजमगढ़ जिला (उत्तर प्रदेश) से संबंधित हूं व लखनऊ का निवासी हूं। वर्तमान समय में बी. ए. (प्रथम वर्ष) का छात्र हूं। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की शिक्षा "संस्कृत", "हिंदी" व "राजनीति विज्ञान" आदि विषयों से प्र