मैने अपनी इस पुस्तक में हमारी ज़िंदगी के कई मोड़ों पर कविताएं लिखने की कोशिश की है।
0.0(0)
9 फ़ॉलोअर्स
12 किताबें
वह हर व्यक्ति खास है। जिसे लगन से मेहनत करने की प्यास है, जिसको दुखों में भी सुख मिलने की आस है। वह हर व्यक्ति खास है,…............... कभी भी इंसानियत से मुख न मोड़ें, गरीब अमीर जानकर रिश्तेदारी न ज
राम, शाम और मिनी दादी जी के पास जाते हैं दादी जी से कहानी सुनाने के लिए। दादी जी भी बच्चों से कहती हैं, "आओ बच्चों, तुम्हें सुनाएंगी कहानियां और तुम्हें बताएंगी बातें पुरानी।" राम दादी से सवाल करता
हमारी किस्मत खुद नहीं बदलती, किस्मत को हमें बदलना पड़ता है। हमारे माता-पिता तो हमें रास्ता दिखा सकते हैं, उस रास्ते पर हमें खुद चलना पड़ता है। जो किस्मत बदलने के सहारे बैठ जाता है, मुश्किलों
कुदरत ने हमें बहुत कुछ दिया है। हमारी कितनी जरूरतों को पूरा किया है। कुदरत की देन का एहसान आज तक कोई नहीं चुका पाया। कुदरत ने हमें पीने को पानी के स्रोत दिए हैं। समुद्र, नदियाँ और झरने दिए हैं
करे कीर्त कमाई ईमानदारी से। जरूरतमंदों की सहायता करे, अपनी कमाई से बांटकर खाना चाहिए सबके साथ। एक दिन खाने की मदद से पेट भरेगा, वह मगता रह जाएगा फिर, हे मानव जरूरतमंदों की ऐसी सहायता कर,
कब परमात्मा ने संसार बनाया, यह बात आज तक कोई नहीं जान पाया। जब संसार बना, तब कौन सा दिन था, कौन सी थी तिथि, कौन सी थी ऋतु, अब तक कोई न बता पाया। जो सृजनहार इस जगत को पैदा करता है, वही बता
जब से मोबाइल फोन आया है तब से बच्चो ने खेलना बंद किया है सारा दिन मोबाइल फोन में गेम ही खेलते हैं अब हमसे बात करना भी भूल गए हैं वो भी क्या दिन थे जब बच्चे, ………… वो भी क्या दिन थे जब बच्चे हस्ते खेल
जिसकी हों ऊंची जात, वही नहीं ऊंचा। ऊंची जात के लोग करते हैं छोटी जात, वालों की निंदा और भीटिया, देखना भी पसंद नहीं करते उनका परछाया। जिस मानव की है ऊंची जाति, उसमें क्रोध, वैर और किसी के लि
समय हमारे साथ नहीं चलता, हमें समय के साथ चलना पड़ता है। बुरे वक्त में सभी साथ छोड़ जाते हैं, सबके साथ छोड़ने के बाद भी अकेले, माता-पिता ही होते हैं, जो मरते दम तक भी हमारा साथ नहीं छोड़ते।
करू मैं परमात्मा से यहीं अरदास, मैं नहीं बनना चाहता आम या ख़ास। करू मैं परमात्मा से यहीं अरदास , मुझे धन-दौलत नहीं चाहिए, बस मेरे अपने हों मेरे पास। करू मैं परमात्मा से यहीं अरदास, मुझ पर अ
जिन्हें बनी-बनाई रोटी आसानी से हो जाती है नसीब, वही लोग रोटी की कीमत नहीं जानते। बनी-बनाई रोटी पर अनेकों नखरे दिखाते हैं। जिन लोगों को सारा दिन काम करके भी दो वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से खाने क
रंग-बिरंगी सुंदर तितलियां। फूलों पर बैठती तितलियां। हर किसी के मन को भाती तितलियां। रंग-बिरंगी सुंदर,… रंग-बिरंगे फूलों पर बैठकर। फूलों के रंगों से ही अपने पंख सजाती तितलियां, सुंदर पंखों की वज
मोर, मोर, मोर, मोर। कितने सुंदर पक्षी हैं मोर। सबको अपनी सुंदरता से भाता मोर। देखो, कितना सुंदर है मोर। सिर पर मोर की होती है कलगी। मोर की पोशाक होती है रंग-बिरंगी। पोशाक पर हैं डिज़ाइन निराल
एक इंसान को मारती है, गरीबी। इंसान की ख्वाहिशें पूरी नहीं होने देती, गरीब। एक इंसान के लिए श्राप होती है, गरीबी। दो वक्त की रोटी भी नहीं खाने देती, गरीबी। एक इंसान को आगे बढ़ने से रोकती है,
आ गई बारिश, आ गई बारिश। छम-छम करती आई है बारिश। आसमान में काले बादल। जोर से गरजते हैं बादल। फिर बरखा गिराते हैं बादल। दूर बागों में बारिश में नाचते मोर। बारिश में अपने पंख फैलाकर नाचते मो