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"अब कितनी बार बाँटोगे"

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"अब कितनी बार बाँटोगे"अब कितनी बार बाँटोगे यही कहकर सुनयना ने सदा के लिए अपनी बोझिल आँख को बंद कर लिया। आपसी झगड़े फसाद जो बंटवारे को लेकर हल्ला कर रहे थे कुछ दिनों के लिए ही सही रुक गए। सुनयना के जीवन का यह चौथा बंटवारा था जिसको वह किसी भी कीमत पर देखना नहीं चाहती थी सबने

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