रंगभेद, या अपार्थेड, एक ऐसा अभिशाप था जिसने न केवल दक्षिण अफ्रीका, बल्कि पूरी दुनिया को गहरे जख्म दिए। यह एक ऐसी नृशंस प्रणाली थी, जिसने नस्ल, रंग, और जाति के आधार पर मानवाधिकारों का उल्लंघन किया। दक्षिण अफ्रीका में 1948 से 1990 के दशक तक लागू इस नीति ने अश्वेतों, भारतीयों और रंगभेदी समुदायों को बुरी तरह दबा दिया था। रंगभेद ने समाज को विभाजित किया, जहां लाखों लोग शिक्षा, रोजगार, और नागरिक अधिकारों से वंचित थे। उन्हें अपनी इच्छानुसार स्थानांतरित होने, बेहतर चिकित्सा सेवाओं का उपयोग करने या सार्वजनिक स्थानों पर समान अधिकारों का आनंद लेने की अनुमति नहीं थी। इस नीति ने एक अव्यवस्था और असमानता की संस्कृति को बढ़ावा दिया, जिससे समाज में गहरी नफरत और विघटन फैल गया।
छाया एक 24 साल की लड़की थी जो दिल्ली शहर में पैदा हुई थी और वह शुरू से ही काफी आत्मविश्वासी और तर्क-वितर्क करने में कुशल थी | छाया के परिवार वाले उसकी शादी के लिए कई रिश्तेदारों से बात चला रहे थे लेकिन
कहानी का शीर्षक"वो अनकही सच्चाई"राधा ने पहली बार स्कूल में कदम रखा, तो उसकी छोटी आँखों में न जाने कितने सपने तैर रहे थे। अपनी माँ के प्यार भरे हाथों से सँवारी उसकी दो चोटी और उसका मामूली सा स्कूल बैग,