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खतरनाक खेल

17 अगस्त 2021

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कुछ दिन पूर्व जी टी वी पर ब्लू व्हेल खेल के विषय में चर्चा हो रही थी जिसे मैंने सुना। इस चर्चा में वह बच्चा भी शामिल था, उसका नाम ध्यान नहीं, जिसने इस खेल को तीन-चार लेवल तक खेल था। बाद में उसे यह ध्यान आया कि वह अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान है। उसके चले जाने के बाद उनका क्या होगा? यह बच्चा तो समय रहते बच गया परन्तु उन बच्चों का क्या जो इस खेल को खेलते हुए अपने जीवन को समाप्त कर देते हैं। उनके माता-पिता पीछे रोते-बिलखते रह जाते हैं।         दरअसल इस गेम में ऐसे लोगों को निशाना बनाया जाता है जो अवसाद में होते हैं या अकेलेपन का शिकार होते हैं। जब यह गेम वे अपने मोबाइल पर लोड करते हैं तो उसे उसी समय अपने बारे में पूरी जानकारी देनी होती है। ऐसे लोगों को 50 दिनों तक 50 टास्क दिए जाते हैं जिसमें आखिरी टास्क होता है खुद की जान लेना।         यह खेल चैलेंजर्स (खिलाडी अथवा प्रतिभागी) और प्रशासकों के बीच होता है। इसमें व्यवस्थापकों द्वारा दिए गए कर्तव्यों की एक श्रृंखला शामिल होती है जिसे खिलाड़ियों को पूरा करना होता है। प्रायः प्रतिदिन एक कार्य करना होता है, जिनमें से कुछ आत्म विकृति से जुडे होते है। कुछ कार्य अग्रिम में दिया जा सकता है, इस खेल के अन्तिम कार्य में आत्महत्या करने के लिए कहा जाता है। कार्यों की सूची को 50 दिनों में पूरा किया जाना होता है। जिसमें - प्रातः 4.20 पर जागना, क्रेन पर चढ़ाई, एक विशिष्ट वाक्याँश या चित्र व्यक्ति के अपने हाथ या बाजू पर गुदवाना, गुप्त कार्य करना, एक सुई को अपने हाथ या पैर में चुभोना, किसी पुल या छत पर खडा होना, व्यवस्थापक द्वारा भेजे गये डरावने संगीत को सुनना और वीडियो को देखना होता है।         कुछ दिन पूर्व जी न्यूज पर बता रहे थे कि विश्व में लगभग 3000 और भारत में 16 बच्चों की मौत इस आत्मघाती खेल से हो चुकी है। दुनियाभर में कई लोगों की जान लेने के बाद ब्लू व्हेल नाम का गेम भारत में भी तेजी से फैलता जा रहा है। कई मासूम बच्चे इस गेम का शिकार बन रहे हैं। इस ब्‍लू व्‍हेल गेम से बच्‍चों की मौत का सिलसिला जारी है। इन मौतों का कारण वे चैलेंज हैं, जो इस गेम को खेलने वाले बच्‍चों को दिए जाते हैं। यह आत्मघाती ब्लू व्हेल खेल, खेलने वाले को अन्त में आत्महत्या करने के लिए विवश किया जाता है और न करने वालों को डराया-धमकाया जाता है। आत्महत्या करने का तरीका कोई भी हो सकता है, जैसे बहुत ऊँची मंजिल से कूदना, रेल की पटरी पर लेट जाना आदि।         ये चैलेंज किस तरह के होते हैं, इनकी जानकरी NCPCR यानी National Commission for Protection of Child Rights ने अपनी वेबसाइट पर दी है- 1. हाथ पर रेजर की मदद से f57 कुरेदना और उसकी फोटो क्‍यूरेटर को भेजना। 2. सुबह 4.30 बजे उठना और वो डरावने, विकृत वीडियोज देखना जिन्‍हें क्‍यूरेटर ने आपको भेजा है। 3. बाजू को अपनी नसों के पास से होते हुए रेजर से काटना। ये कट ज्‍यादा गहरे नहीं होने चाहिए। केवल 3 कट हों और उनकी फोटो क्‍यूरेटर को भेजना। 4. एक पेपर शीट पर व्‍हेल बनाना और उसकी फोटो क्‍यूरेटर को भेजना। 5. अगर आप 'व्‍हेल बनने को तैयार' हैं तो पैरों पर रेजर से 'YES' के निशान में निशान बनाना। अगर आप तैयार नहीं हैं, तो आपको खुद को सजा देनी है और कई कट खुद को मारने होंगे। 6. हाथ पर f40 का निशान बनान और उसे क्‍यूरेटर को भेजना। 7. सुबह 4.20 बजे उठना है और जो छत सबसे ऊंची हो वहां पहुँचना है। 8. रेजर से हाथ में व्‍हेल की आकृति बनाना और उसकी फोटो क्‍यूरेटर को भेजना। 9. पूरा दिन डरावने वीडियोज देखना। 10. जो संगीत क्‍यूरेटर आपको भेजे उन्‍हें ध्‍यानपूर्वक सुनना। 11. अपने होंठो को काटना। 12. अपने साथ कुछ भी ऐसा करना जिससे आपको दर्द का अनुभव हो। 13. सबसे ऊंची छत पर पहुँचो और वहाँ किनारे पर कुछ देर खड़े रहो। 14. किसी पुल पर जाओ और वहां किनारे पर खड़े रहो। 15. छत पर जाकर किनारे पर बैठो और अपने पैरों को हिलाओ। 16. सुबह 4.20 पर उठो और रेलवे लाइन पर जाओ। 17. पूरे दिन किसी से भी बात मत करो। 18. हर रोज अपने शरीर पर एक कट मारो। 19. ऊँची बिल्डिंग से कूद जाओ और अपनी जिन्दगी को खत्‍म करो। 20. किसी क्रेन पर चढ़िए या इसकी कोशिश करिए।           उन सभी 50 कार्यों को करने वालों को सरलता से पहचाना जा सकता है। ये लोग खेलने वाले कि सहनशक्ति की परीक्षा लेते हैं कि सामने वाला उनके करतबों से कहाँ तक डर सकता है। ऐसा व्यक्ति या बच्चा डरा-सहमा रहता है। उसे भूख नहीं लगती और सारा समय वह अकेला रहना चाहता है। उसके शरीर पर कुछ खुदा हुआ होता है। आपके आसपास अगर किसी भी ऐसे लक्षण देखने को मिलें तो जल्दी-से-जल्दी पुलिस को रिपोर्ट करें।           जो लोग इस गेम को बीच में छोड़ना चाहते हैं उन्हें जान से मार देने की धमकी दी जाती है। उन्हें यह भी धमकाया जाता है कि उनके माता-पिता या पूरे परिवार को मार दिया जाएगा। इसलिए डर के मारे भी बच्चे इस खेल की छोड़ने का साहस नहीं कर पाते। यदि ऐसे बड़ या व्यक्ति अपने घर वालों को सब बात दें तो उनके घर के लोग उन्हें सान्त्वना देकर बचा सकें। उन खेल प्रशासकों की वे पुलिस में शिकायत कर सकें।           माता-पिता का या दायित्व बनता है कि वे बच्चों को ब्लू व्हेल जैसे खेलों से सावधान करें। अपने बच्चों में आने वाले परिवर्तन पर ध्यान देकर उसका उपचार करें। बच्चे अधिक समय अकेले रहते हैं या माता-पिता की अपेक्षा के कारण स्वयं को अकेला समझने लगते हैं। इस कारण अवसादग्रस्त हो जाते हैं। उन्हें समय दें और बच्चों को आश्वस्त करें कि ये बच्चे उनके लिए अनमोल हैं, वे उन्हें किसी भी मूल्य पर खो नहीं सकते। चन्द्र प्रभा सूद

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6 जुलाई 2021
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7 जुलाई 2021
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13 जुलाई 2021
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पीढ़ी-दर-पीढ़ी संस्कारसंस्कार पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरित किए जाते रहते हैं। उनसे ही मनुष्य के कुल या परिवार की एक पहचान बनती है। मनुष्य अपने संस्कारों की बदौलत अस्तित्व में आता है। उसके संस्कार ही इस समाज में उसे महान बनाते हैं और एक सुनिश्चित स्थान भी देते हैं। संस्कारों से बढ़कर अन्य कोई और दौलत मनुष्य

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लोकप्रिय होने के लिएजीवनकाल में लोकप्रिय होने वाले व्यक्ति को सदा विनम्र होना चाहिए। उसे अपने ज्ञान, धन-वैभव, सौन्दर्य, यौवन, शक्ति, कुल आदि का घमण्ड नहीं करना चाहिए। अपने लिए अभिमानसूचक शब्दों का प्रयोग करने से भी बचना चाहिए। इसी कड़ी में स्वयं के लिए यथासम्भव ‘हम’ शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस

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जीते जी की माया'सब जीते जी की माया है' या 'मुँह देखे की माया है' ऐसी उक्तियाँ हमें प्रायः सुनने को मिल जाती हैं। इनके पीछे छिपा सार बहुत ही गम्भीर और मन को कष्ट देने वाला होता है। अपनों से जाने-अनजाने दूरी बन जाती है परन्तु सामने पड़ जाने पर ऐसे प्रदर्शित किया जाता है कि उस व्यक्ति विशेष से बढ़कर इस द

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हावी होते स्वार्थ

16 जुलाई 2021
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हावी होते स्वार्थबहुत दुर्भाग्य का विषय है कि आधुनिक समय में अन्य जीवन मूल्यों की भाँति ही लोगों के हृदय में मित्रता के प्रति भी सन्देह का भाव कुछ अधिक बढ़ने लगा है। उनके विचार में हर मित्रता के पीछे कोई-न-कोई स्वार्थ छिपा होता हैं। उनका मानना यही है कि ऐसी कोई भी मित्रता इस संसार में नहीं हो सकती जि

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धन का सदुपयोग

17 जुलाई 2021
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धन का सदुपयोगअपने परिश्रम या खून-पसीने से कमाए गए धन का सदुपयोग करना प्रत्येक मनुष्य को सीखना चाहिए। यानी घर-परिवार, देश, धर्म और समाज के लिए अपने धन को व्यय करना चाहिए। धन को मनुष्य का सहायक या रक्षक बनना चाहिए न कि उसे अपने पैर की बेड़ी बनने देना चाहिए। यदि कोई मनुष्य धन के आगमन पर नकचढ़ा बन जाएगा य

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सफलता महत्त्वपूर्ण

18 जुलाई 2021
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सफलता महत्त्वपूर्णइन्सान को हर परिस्थिति में सदैव प्रसन्न रहने का प्रयास करना चाहिए। सफलता मिले अथवा असफलता, हर परिस्थिति से शिक्षा लेकर या सबक लेकर उसे आगे बढ़ने का अभ्यास करना चाहिए। यहाँ मैं यही कहना चाहती हूँ कि अपनी सफलता की प्राप्ति पर उसे खुश अवश्य होना चाहिए और अपनी ख़ुशी अपने बन्धु-बान्धवों क

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स्वर्गिक सुख

19 जुलाई 2021
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स्वर्गिक सुखजन्म और मरण के बन्धनों से मुक्त होकर प्रत्येक मनुष्य तथाकथित स्वर्गिक सुखों का भोग करना चाहता है। इसलिए मोक्ष या मुक्ति किस प्रकार सम्भव हो सकती है, इस विषय को लेकर उसके मन में सदा ही जिज्ञासा बनी रहती है। इस विषय पर वह समय-समय पर चर्चाएँ करता रहता है और स्वर्ग के सुखों की कल्पना में खोय

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शुभाशुभ कर्मों का भुगतान

20 जुलाई 2021
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शुभाशुभ कर्मों का भुगतानअपने हिस्से के दुःख और कष्ट मनुष्य को स्वयं अकेले ही झेलने पड़ते हैं। आप कह सकते हैं कि हमारा भरा-पूरा परिवार है, हम सदा अपने बन्धु-बान्धवों से घिरे रहते हैं। सभी हमारी परवाह भी करते हैं। फिर यह कथन तो उपयुक्त प्रतीत नहीं हो रहा है। मेरा यह कथन अपने-आपमें एक बहुत गहरा अर्थ समे

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असफलताओं से निराश नहीं

21 जुलाई 2021
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असफलताओं से निराश नहीं प्रत्येक मनुष्य जन्म से महान या गुणवान नहीं होता। उसके लिए उन्हें निरन्तर अभ्यास करना पड़ता है। कई प्रकार की परीक्षाओं में भी उन्हें उत्तीर्ण होना होता है। तभी वे योग्य बन करके समाज में अपना एक  महत्त्वपूर्ण स्थान बना पाते हैं। कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जिन्हें हम गॉड गिफ्टेड कहत

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मूर्खों की मूर्खता

22 जुलाई 2021
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  मूर्खों की मूर्खतामनीषी मनुष्य को उसके आचार और व्यवहार से परखते हैं कि वह कितने पानी में है अर्थात् वह बुद्धिमान है अथवा मूर्ख है। विद्वत्ता विद्वानों का निकष होती है और दूसरी ओर मूर्खों की मूर्खता उन्हें सबसे अलग कर देती है। उनके हाव-भाव, उनकी छिछली बातें उनकी मूर्खता का प्रत्यक्ष प्रमाण बनती हैं

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सरल हृदय की इच्छा अवश्य पूर्ण

23 जुलाई 2021
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सरल हृदय की इच्छा अवश्य पूर्णसरल हृदय लोगों के सभी इच्छित कार्य देर-सवेर अवश्य पूर्ण होते हैं। इसमें कोई सन्देह है नहीं कि उनकी सरलता ही उनकी महानता का परिचायक होती है। उनकी सच्चाई और ईमानदारी उनका मान होती है। निश्छल हृदय ये लोग सभी को अपना समझते हैं। अपने-पराए के फेर में नहीं पड़ते यानी ये किसी भी

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अन्धेरे से डर

24 जुलाई 2021
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अन्धेरे से डरअन्धकार से बच्चों को ही नहीं बड़ों को भी डर लगता है। कहने और सुनने में भले ही हमें विचित्र लगे परन्तु यह सच्चाई भी है और वास्तविकता भी। बचपन से ही मनुष्य अन्धेरे से डरने लगता है। बच्चे को यदि अन्धेरे में जाने के लिए कहा जाए तो वह साफ इन्कार कर देता है। यदि गलती से कहीं अन्धेरे का उसे साम

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पेट में कोई बात नहीं पचती

25 जुलाई 2021
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पेट में कोई बात नहीं पचतीअपने आसपास बहुधा लोगों को यह कहते सुना जाता है कि तुम्हारे पेट में कोई बात पचती भी है क्या? इसके उत्तर में उनका कथन होता है कि क्या करें हम बात को पचा ही नहीं सकते। यदि सुनी हुई बात किसी को न बताएँ तो पेट में दर्द होने लगता है अथवा पेट में अफ़ारा हो जाता है। जब तक सुनी हुई बा

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पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर

26 जुलाई 2021
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पानी में रहकर मगरमच्छ से बैरकहते हैं पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं करना चाहिए। इस उक्ति को सरल भाषा में हम कह सकते हैं कि जिस स्थान पर मनुष्य रहता है अथवा जहाँ वह कार्य करता है, वहाँ के बॉस से या समर्थ कहे जाने वाले व्यक्तियों से शत्रुता मोल नहीं लेनी चाहिए। उनका विरोध करने का अर्थ होता है अपनी

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तथाकथित धर्मगुरुओं से किनारा

27 जुलाई 2021
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तथाकथित धर्मगुरुओं से किनाराबहुत आश्चर्य होता है यह देखकर कि लोग इतने अधिक असभ्य और असहिष्णु कैसे हो सकते हैं? जिनकी कोई गलती नहीं है, ऐसे निर्दोष लोगों को हानि कैसे पहुँचा सकते हैं? उनका मन प्रायश्चित करने के स्थान पर हिंसा के लिए कैसे उतारू हो जाता है? उनका हृदय आगजनी करने और तोड़फोड़ करने की गवाही

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मनुष्य बनो

28 जुलाई 2021
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मनुष्य बनोवेद हम मनुष्यों को निर्देश देते हैं - ‘मनुर्भव’ अर्थात मनुष्य बनो। आप कह सकते हैं कि हम अच्छे भले मनुष्य हैं, इन्सान हैं। हमारे पास दो आँखें, दो कान, दो हाथ, दो पैर, सुन्दर-सा चेहरा हैं और फिर यह इन्सानी शरीर भी है। हम किसी भी तरह से पशुओं की भाँति नहीं दिखाई देते हैं, हम उनसे सर्वथा अलग ह

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हिंसा मान्य नहीं

29 जुलाई 2021
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हिंसा मान्य नहींहिंसा किसी भी प्रकार की हो, सभ्य समाज में कदापि, किसी भी शर्त पर मान्य नहीं हो सकती, फिर वह चाहे किसी भी धर्म या जाति से सम्बन्धित हो अथवा राजनीति से ही प्रेरित क्यों न हो। अपने तुच्छ स्वार्थों की पूर्ति के लिए जन साधारण अथवा अपने देश के बहुमूल्य जान और माल को हानि पहुँचाना किसी भी त

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30 जुलाई 2021
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परिवारिक विघटनपरिवारों का विघटन या टूटकर बिखरना बहुत ही दुखदाई है। भारतीय संस्कृति में परिवार एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण इकाई हे। कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि इसमें कभी ऐसी स्थिति बन सकती है। इसका कारण चाहे कोई भी हो सकता है, पर इसका परिणाम  वास्तव में चिन्तनीय है। परिवार के हर सदस्य को चाहे-अनच

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 पर्दे की समृद्धि छलावा

31 जुलाई 2021
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 पर्दे की समृद्धि छलावाटी वी सीरियल्स, सिनेमा आदि में दिखाई जाने वाली चकाचौंध, अमीरी, पात्रों का रौबदाब, रुतबा आदि देखकर आज युवा दिग्भ्रमित हो रहे हैं। वे सपने लेते रहते हैं कि वे भी इसी तरह का साम्राज्य अपने लिए जुटा लेंगे। इसलिए वे जिन्दगी की सच्चाइयों से दूर अपने लिए, अपने चारों ओर एक छद्म संसार

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स्त्री का चरणस्पर्श

1 अगस्त 2021
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2 अगस्त 2021
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6 अगस्त 2021
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शुभकर्मों की ओर ध्यानमनुष्य बच्चे के रूप में इस संसार में जन्म लेता है, धीरे-धीरे बड़ा होता है, युवा होता है, फिर अशक्त होता हुआ वृद्ध हो जाता है। इसी क्रम में एक दिन उसे यह दुनिया छोड़कर परलोक सिधार जाना पड़ता है। प्रतिदिन उसकी आयु घटती जाती है। इससे बेखबर वह अपने तानेबाने बुनता रहता है। अपने भावी जीव

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हिन्दी का दुर्भाग्य

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हिन्दी का दुर्भाग्यहिन्दी भाषा का दुर्भाग्य है कि उसके नाम पर केवल राजनीतिक रोटियाँ ही सेकी जाती है। हिन्दी के नाम पर बस एक-दूसरे पर छींटाकशी चलती रहती है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि तथाकथित हिन्दी प्रेमी केवल भाषणों का आदान-प्रदान करके अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। उससे ही उनका हि

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8 अगस्त 2021
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  छिद्रान्वेषण नहींदूसरों की कमियाँ खोजने में हम सभी लोग बहुत निपुण होते हैं। बुरे लोग तो अनायास ही हमे दिखाई दे जाती हैं। दूसरों पर टीका-टिप्पणी करना या आलोचना करने का अधिकार हम स्वतः ही ले लेते हैं। ऐसा करते समय रस ले लेकर दूसरे को अपमानित करने कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देते। जो श्रोता सामने बैठता

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स्वर्ग और नरक की परिकल्पना

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स्वर्ग और नरक की परिकल्पनास्वर्ग और नरक दोनों ही मनुष्य इसी संसार मे अपने कर्मों के फलस्वरूप भोगता है। शुभकर्मों की अधिकता होने पर उसे सुख-समृद्धि, अच्छा स्वस्थ, आज्ञाकारी सन्तान, मान देने वाले बन्धु-बान्धव, परवाह करने वाले परिवारी जन मिलते हैं। इनके सानिध्य में मनुष्य स्वर्ग के समान सुख भोगता है। ऐ

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चिन्ताओं का मकड़जाल

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चिन्ताओं का मकड़जाल मनीषी समझाते हैं चिन्ता मत करो। सांसारिक मनुष्यों के लिए यह कदापि सम्भव नहीं हो पाता। जीते जी मनुष्य को घर-परिवार, बच्चों की शिक्षा, उन्हें सेटल करना, उनके शादी-ब्याह, स्वास्थ्य, धन, लेनदेन, नौकरी-व्यापार आदि कई प्रकार की चिन्ताएँ हैं, जो उसे सताती रहती हैं। चिन्ताओं का मकड़जाल उसे

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जल्दबाजी अच्छी नहीं

11 अगस्त 2021
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जल्दबाजी अच्छी नहींप्रत्येक कार्य को योग्यतापूर्वक करना चाहिए। उसके सभी पक्षों पर मनन करके ही उसे सम्पन्न करना चाहिए। आवश्यक नहीं है कि हड़बड़ाहट में अपने कार्य को बिगाड़ दिया जाए। हर कार्य को करने का एक उचित समय होता है। एक उदाहरण लेते हैं। बच्चा नौ मास माता के गर्भ में रहकर इस संसार मे जन्म लेता है।

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जीवन भरपूर जीना

12 अगस्त 2021
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जीवन भरपूर जीनामानव का यह शरीर मनुष्य को एक ही बार मिलता है। इसलिए इस सुअवसर को यूँ ही नष्ट नहीं करना चाहिए। अपने जीवनकाल में इसे भरपूर जीना चाहिए और अपने सभी दायित्वों का पूर्णरूपेण से पालन करना चाहिए ताकि इस संसार से विदा लेते समय मन में यह मलाल न रहने पाए कि उसने यह जीवन बरबाद कर दिया है। काश हम

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सन्त समाज का दायित्व

13 अगस्त 2021
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सन्त समाज का दायित्वसाधु-सन्तों का देश, धर्म और समाज के प्रति महान दायित्व होता है। जब देश, धर्म और समाज पर कष्ट का समय आता है अथवा बाहरी शक्तियाँ उसकी अस्मिता को चुनौती देती  हैं तब साधु समाज हाथ पर हाथ रखकर कदापि नहीं बैठ सकता। वह उस परीक्षा की घड़ी में आपसी मनमुटाव का त्याग करके देश, धर्म और समाज

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बच्चों के साथ दुर्व्यवहार

14 अगस्त 2021
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बच्चों के साथ दुर्व्यवहारस्कूल में बच्चों  के साथ किसी-न-किसी तरह की दुर्व्यवहार की घटनाएँ प्रायः होती रहती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है हमारा बदलता हुआ पारिवारिक ढाँचा। आजकल एकल परिवारों के चलते बच्चे अनावश्यक लाड-प्यार पाकर असहिष्णु बनते जा रहे हैं। प्रायः घरों में एक या दो बच्चे होते हैं। संयुक्त प

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स्कूल बस कितनी सुरक्षित

15 अगस्त 2021
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हमारे देश मे सड़क दुर्घटनाएँ बहुत होती हैं। इन दुर्घटनाओं में अनेक लोगों की मौत हो जाती है, वे तो चले जाते हैं पर पीछे वालों को सदा के लिए दुख दे जाते हैं। कुछ लोग अपाहिज भी ही जाते हैं और फिर जीवनभर कष्ट भोगते हैं। अपने लाडलों को स्कूल बस में या वैन में स्कूल खुशी-खुशी भेजने वाले माता-पिता निश्चिन्त

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तान्त्रिकों-मान्त्रिकों से सावधान

16 अगस्त 2021
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तान्त्रिकों अथवा मान्त्रिकों के फेर में मनुष्य न ही पड़े तो अच्छा है। उनके चक्कर में पड़कर मनुष्य बरबाद हो जाता है। ये लोग अनावश्यक रूप से लोगों को बरगलाते हैं। उन्हें मन्त्रमुग्ध करके उनके सोचने की शक्ति को प्रभावित कर देते हैं। उस समय मनुष्य उनके कथनानुसार कार्य करने के लिए विवश हो जाता है। केवल गाँ

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खतरनाक खेल

17 अगस्त 2021
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कुछ दिन पूर्व जी टी वी पर ब्लू व्हेल खेल के विषय में चर्चा हो रही थी जिसे मैंने सुना। इस चर्चा में वह बच्चा भी शामिल था, उसका नाम ध्यान नहीं, जिसने इस खेल को तीन-चार लेवल तक खेल था। बाद में उसे यह ध्यान आया कि वह अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान है। उसके चले जाने के बाद उनका क्या होगा? यह बच्चा तो सम

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जीवनदायिनी शक्ति

18 अगस्त 2021
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आत्मिक शान्ति मनुष्य की जीवनदायिनी शक्ति कहलाती है। जो मनुष्य इस शक्ति को प्राप्त कर लेता है, वह प्रसन्न रहता है व उत्साहित रहता है। यदि मनुष्य का मन प्रसन्न रहेगा तो उसके अन्तस में उत्साह बना रहता है। उस समय वह किसी भी शर्त पर खाली नहीं बैठ सकता। उसके पैर नहीं टिकते और वह कहता हैं मेरा काम करने का

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किसी से शिकायत नहीं

19 अगस्त 2021
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जीवन में जितने कदम भी कोई अपने साथ चले उतना ही उसका आभार मानना चाहिए। अतः किसी से शिकवा-शिकायत नहीं करनी चाहिए। इससे मनुष्य को स्वयं को ही कष्ट होता है। यदि मनुष्य यह सोच ले कि वह भी तो किसी एक का हाथ सारी आयु नहीं थामता बल्कि एक को छोड़कर दूसरों का हाथ थाम लेता है। तब उसके मन में किसी के प्रति विद्व

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