सफलता की कामना
अपने जीवन में सफलता की कामना करने वालों को हर कदम फूँक-फूँककर रखना चाहिए। स्वयं की सफलता के लिए प्रयत्न करने से पूर्व यह जानना महत्त्वपूर्ण है कि जो भी व्यक्ति आगे बढ़ने के लिए कदम उठा रहा है, उसकी टाँग पीछे खींचने का प्रयास नहीं करना चाहिए। इसका सबसे बड़ा कारण है कि जो दूसरों की उन्नति की राह में रोड़े अटकाते हैं उसे भी पीछे की ओर धकेलने के लिए बहुत से लोग तैयार खड़े रहते हैं।
मनुष्य को सदा ही सावधान रहना चाहिए। वह जो भी कमाता है, उसे उससे कम ही खर्च करना चाहिए। सफलता पाने के लिए यह आवश्यक हे कि उसके पास जितनी चादर हो उतने ही उसे अपने पैर फैलाने चाहिए। यह सुख और शान्ति का भी मूल मन्त्र है। अपना बचा हुआ धन अपने धूप-छाँव के समय के लिए बचाकर रखना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर किसी के समक्ष हाथ न फैलाना पड़े। उसे अपनी जिन्दगी को इस तरह लचीला बना लेना चाहिए जिससे किसी भी तरह की परिस्थिति में वह स्वयं को एडजस्ट कर सके। रोने-धोने अथवा लानत-मलानत करने के स्थान पर जो कुछ अपने पास है, उसी में प्रसन्न रहने का स्वभाव बनाना चाहिए।
जब तक बहुत अधिक आवश्यक न हो तब तक कोई चीज उधार नहीं माँगनी चाहिए। कहते हैं कि उधार रिश्तों में कैंची का कार्य करती है। इसी प्रकार कर्ज लेने से भी सदा ही बचना चाहिए। यदि मनुष्य ऐसा कर सके तो इस कारण होने वाले उसके शत्रुओं की संख्या कभी बढ़ती नहीं है। ऋण लेने वाले के अपने ही प्रिय बन्धु-बान्धव यथाशीघ्र पराए हो जाते हैं। उसे अकेला छोड़ने में बिल्कुल समय नहीं लगते।
इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता। यह केवल मनुष्य की अपनी सोच पर निर्भर करता है। प्रत्येक कार्य का अपना एक महत्त्व होता है। इन्सान को सदा यह सोचना चाहिए कि जो काम वह कर रहा है यदि वह उसे नही करता तो दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ता? उसे स्वयं के बाहुबल पर पूरा भरोसा होना चाहिए। अपनी गलती को स्वीकार करने के लिए उसे सदा तैयार रहना चाहिए, कभी भी हिचकिचाना नहीं चाहिए। बल्कि अपना बड़प्पन दिखाते हुए, निस्संकोच होकर क्षमा याचना कर लेनी चाहिए।
सफलता को चाहने वालों के लिए समय पर नियन्त्रण करना अथवा Time ka Management करना बहुत आवश्यक होता है। समय बहुत ही मूल्यवान है, इसे व्यर्थ के कार्यों में, टीका-टिप्पणी करने मेँ या दूसरों का अहित करने में बरबाद नहीं करना चाहिए। इन्सान को हमेशा अपने काम से काम रखना चाहिए। उसे यह भी सदा स्मरण रखना चाहिए कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना ही नहीं होता बल्कि विशेष प्रकार के प्रयत्न करने पड़ते हैं। अपने उन ईमानदार प्रयत्नों के बूते पर उन्हें सफल बनाना होता है।
सफलता सदा उनकी दासी बनती है, जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए दिन और रात एक कर देते हैं, हाथ पर हाथ रखकर निठ्ठले नहीँ बैठते अपितु अथक परिश्रम करते हैं। वे यह भी नहीं देखते कि कोई उनके पीछे चल रहा है अथवा जंगल के राजा शेर की तरह वे निपट अकेले चले जा रहे हैं। वे किसी की भी परवाह किए बिना अपने लक्ष्य को साधते हैं और उसे प्राप्त करके ही दम लेते हैं।
सफल होने के लिए अपनी सोच को सदा सकारात्मक रखना चाहिर। साथ ही ईश्वर की उपासना करना कभी नहीं भूलना चाहिए। प्रार्थना मेँ अपार शक्ति होती है और इससे मनुष्य को आत्मिक तथा मानसिक बल मिलता हैं। इन बलों के साथ मिल जाने पर मनुष्य में ऊर्जा और स्फूर्ति बनी रहती है। वह कुछ भी कर गुजरने के लिए अपना मानस तैयार कर लेता है। उस समय कोई भी शक्ति उसे सफल होने से नहीं रोक सकती। अन्तत: वे अपने उद्देश्यों में सफल हो जाते हैं और फिर सफलता उनके कदम चूमती है।
चन्द्र प्रभा सूद