"आखिर येह ड्रागो है कौन??? क्या येह भी ड्रैगन की तरह मुंह से आग निकालता है?? या फिर उड़ता है??" उस आदमी ने मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा।
"वज्ज ड्रैगन की तरह ना ही मुंह से आग निकालता है और ना ही उड़ता है मगर वोह खुद एक आग है जो दुश्मनों को अपनी चपेट में ले कर उन्हें जला कर भस्म कर देता है। वोह उड़ने की बजाए दुश्मनों को ऐसे जकड़ता है कि वोह फड़फड़ा भी नही सकते।"
"और जिस दिन वोह सब के सामने आ गया ना उस दिन इन दरिंदो को ड्रागो के कहर से बचने के लिए जमीन भी कम पड़ जाएगी। और अगर वोह खुद को नोच नोच लर खत्म करने की भी कोशिश करेंगे तो उन्हें वोह आसमान लगेगा। हमे का ड्रागो तक वाइल्ड वुल्फ ही पहोंचा सकता है और जब ड्रागो कि अदालत में येह फ़ाइल खुलेगी तो अपने वुल्फ के साथ वोह आपमे शिकार के लिए निकलेगा ना तब उन्हें छुपने के लिए जमीन भी कम पड़ जाएगी"
दूसरे आदमी ने कहा तो पहले आदमी ने गहरी सांस ले कर आसमान की तरफ देखा।
"हमारा पेशा जितना ही बदनाम सही, लोग हमें जिस भी नज़र से देखते हो लेकिन वोह ऊपर वाला हमरी नियतों को अच्छे से जानता है अजर मेरी उस ऊपर वाले से बस एक ही दुआ है कि हमारी येह नियत और मेहनत का सिला दुश्मनों के लिए एक तूफान की शक्ल में दे दे।"
"मुझे लोगो की बातों की परवाह नही है मगर फिर भी येह मेरी खवाहिश है कि वोह देखें कि हम पुलिस वाले भी अपने देश से इश्क़ करते है। वोह सब पर ना सही मगर हम पर हमारी वर्दी पर यकीन ज़रूर करे। कुछ लोगो की वजह से वोह हमे अपने पेशे से गद्दारी करने वाला ना समझे।" पहले आदमी ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए दूसरे आदमी से कहा।
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"आपकी नजर में कोई अच्छी लड़की है तो बताएगा।" हायत बेगम के सामने बैठी औरत ने कहा तो उन्होनो अपनी गर्दन हां में हिलाते हुक्का होंठो से लगा लिया।
"उस लड़के की उम्र कितनी है।" हयात बेगम ने पूछा तो उस औरत का चेहरा गुलाब की तरह खिल उठा।
"मेरा बेटा पचीस साल का गबरू जवान है। बस अब आप उसके लिए कोई चांद सी लड़की ढूंढ दे।" सामने बैठी औरत ने जोश से कहा।
हायत बेगम ने अपना सिर हां में हिलाते हुए सामने देखा जहां पेड़ पर डेल झूले पर नादिया बैठी झूल रही थी और हाथ मे पकड़ी इमली खाने में बिजी थी। वोह इस वक़्त उन्हें कोई इक्कीस साल की लड़की नही बल्कि दस साल की चोटी बच्ची लग रही थी।
उसने अपने घने काले लम्बे बालो को कमर पर खुला छोड़ा हुआ था और दुप्पटा सिर की बजाए कंधे पर अच्छे से फैला हुआ था।
उसे इस तरह देख कर हयात बेगम ने गहरी सांस ली क्योंकि दोपहर के इस वक़्त रेहान घर ज़रूर आता था और अगर वोह नादिया के खुले बाल और दुप्पटा सिर के बजाए कंधे पर देखता तो गुस्सा ज़रूर करता था।
"कोई लड़की है क्या आपकी नजर में!" उस औरत ने फिर से पूछा तो हायत बेगम चोंक कर होश में आई।
"अहाँ.....हां अछि बात है। लड़का लड़की की इस उम्र में शादी जो जानी चाहिए। मैं देखती हूं अगर कोई लड़की हो तो तुम्हे बताती हु। वैसे तुम्हारा बेटा क्या करता है???" हायत बेगम ने मेड से इशारे से हुक्का ले जाने के लिए कहा और दोनों टांगे चारपाई से लटका कर बैठ गयी।
उन्होंने बैठने के बाद एक नज़र नादिया को देखा और फिर बरामदे में काम कर रही मेड को देखा।
"करता तो वोह कुछ भी नही है। बाप की ज़मीन है मगर हर वक़्त वोह नशे में धुत रहता है इसीलिए मैं सोचा कि उस शादी कर दूंगी तो वोह थोड़ा सुधर जाएगा।" उस औरत ने उदासी से कहा तो हायत बेगम का चेहरा बिल्कुल सपाट हो गया।
"हे झल्ली औरत जो तेरा ना हुआ, अपने बाप का ना हुआ वोह दो दिन की आयी लड़की का कैसे हो जाएगा?? जिस माँ बाप ने उसे पैदा की, पाल पोस कर जवान किया उसे तो उनका अहसास नही है और तू कह रही है पराई लड़की उसे संभाल लेगी। थोड़ी तो शर्म कर।"
"जब उसके सिर पर बूढ़े माँ बाप की ज़िम्मेदारी है तो वोह नशे में धुत रहता है। वोह जो अपने बाप का सहारा नही बन सकता है तो क्या वो कल की आयी लड़की की ज़िम्मेदारी क्या खाक उठाएगा। जो आज खुद को नशा करके बर्बाद कर रहा है वोह कल को उस मासूम की भी ज़िन्दगी बर्बाद कर देगा।"
"तू मेरी बात ना कान खोल कर सुन ले। पहले तू अपने बेटे को इंसान बना फिर किसी की बेटी को ब्याह कर आने घर लाना।"
"क्योंकि अब कोई तेरे बेटे के साथ रिश्ता करे या ना करे मगर हायत बेगम किसी भी लड़की की शादी तेरे नशेड़ी बेटे से नही जोन देगी।"
हायत बेगम तो उस औरत की बात सुन कर भड़क ही उठी थी। उनका तो बस नही चल रहा था कि उसका बेटा वहां होता और वोह उसको कान के नीचे दो लगा कर देती।
"लेकिम हयात बेगम!!!" अभी वोह औरत आगे कुछ बोलती की तभी हायत बेगम ने अपनी लाठी उठा कर उसे खामोश रहने का इशारा किया।
"बेटी की तकलीफ बाप की कमर तोड़ देती है और माँ को जीते जी मार देती है। वोह भले ही मुंह से ना कहे लेकिन अपने बच्चे को तकलीफ देख कर उनक मुंज से सिर्फ बद्दुआ ही निकलती है। क्यों चखे किसी के माँ बाप की बद्दुआएं लेनी है। अभी तेरे बेटे की कोई उम्र गुज़र नही रही है। पहले उसका इलाज करा फिर ब्याह भी रचा देना मगर बिना इलाज के अगर उसकी शादी करने का सोचा भी ना तो!!!"
हायत बेगम में उस औरत को बर्निंग देते हुए कहा और बरामदे की तरफ बढ़ गयी।
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नादिया भागने वाले अंदाज़ में किचन से निकल कर सीढियो की तरफ बढ़ ही रही थी कि तभी सीढियो से उतरते रेहान से बुरी तरह टकरा गई
नादिया को पीछे की तरफ गिरते देख कर रेहान ने बौखला कर नादिया का हाथ पकड़ कर उसे गिरने से बचाया मगर नादिया को ऐसा लगा जैसे उसका सिर किसी चट्टान से टकरा गया हो।
"तुम किस खुशी में बंदरों की तरह उछलती फिर रही हो??" नादिया को अपना माथा सहलाते देख कर रेहान ने गुस्से से पूछा।
रेहान की आवाज़ सुन कर सदमे से नादिया की आंखे खुली की खुली रह गयी और उसका माथा सहलाता हाथ रुक गया।
वोह किचन में खाना देखने के लिए गयी थी। उसे नही पता था कि रेहान घर आ चुका है और ना ही किसी मेड ने उसे बताया था।
"अब येह जल्लाद मुझे छोड़ेगा नही।" नादिया ने दिल ही दिल मे सोचा और फिर अपने सूखे पडे होंठो लर जुबाज़ फेरते हुए चेहरे पर मासूमियत सजये अपनी ग्रे ग्रीन आंखे पटपटाते हुए उस ने रेहान की तरफ देखा।
"मैं...मैं तो छत पर से कपड़े उतारने जा रही थी।" रेहान ने दो कदम की दूरी पर खड़े हो कर नादिया ने नज़रें झुकाए हुए कहा।
"तुम्हारा दुपट्टा कहा है??" रेहान ने गुस्से से पूछा।
नादिया के गले मे झिओल रहे दुप्पटे को देख कर रह के माथे पर बल पड़ गए और उसकी हेज़ल हनी आंखे एक पल में गुस्से से लाल हो गई।
बिना नादिया को समझने का मौका दिए उसने उसके हाथ को सख्ती से पकड़ा और वापस सीढियां चढ़ने लगा।
"मम्मा!!" नादिया ने उसकी पकड़ से अपना हाथ छुड़ाते हुए हायत बेगम को मदद के लिए पुकारा लेकिन रेहान के घुर कर देखने की वजह से उसकी आवाज़ गले मे ही अटक गई।
"तो अब बताओ तुम्हारा दुप्पटा कहा है??" नादिया को सोफे पर पटकने वाले अंदाज़ में बिठाते हुए रेहान ने ठंडी आवाज़ में गुर्रा कर पूछा तो नादिया की आंखों से आंसू बहने लगे।
रेहान ने गहरी सांस लर कर उस नौटनकी को देखा।
"नादिया मुझे मेरी बात का जवाब दो और इस नौटनकी को तुम मम्मा के सामने खाली कर लेना क्योंकि मुझ पर इन मगरमच्छ वाले आंसूओं का कोई असर नही होने वाला है।" रेहान अपना पैर सोफे पर नादिया के करीब रख कर ठंडी आवाज़ में बोला तो नादिया ने झूठी हिचकियो के साथ रट हजये रेहान को देखा जो उसके देखने पर अपनी नज़रे फेर गया।
रेहान का दिल अलग ही ट्रैक पर दौड़ रहा था। उस ने अपना पैर नादिया का पास से हटाया और पीछे हाथ बांध कर नादिया के सामने खड़ा हो गया।
"मैं....मैं आपकी डांट की वजह से नही बल्कि आपके लिए रो रही हु।" नादिया ने अपने आंसू पोछते हुए आंखे पटपटाते हुए मासूमियत से कहा तो रेहान ने अपनी आंखें छोटी करके उसे देखा।
"देखें ना भी येह दो मीटर लम्बा तम्बू मेरे गले मे ही तो है मगर अफसोस शायद आपकी आंखें कमज़ोर हो गयी है जो इसे देख नही पा रही है।" नादिया ने अपने दुप्पटे को हाथ मे थाम कर रेहान को दिखाते हुए कहा।
नादिया की बात सुन कर रेहान ने झटके से उसका हाथ पकड़ कर अपने सामने खड़ा किया।
उसकी इस हरकत पर नादिया तो भौंचक्का ही रह गई और आंखे फाड़े चेहरे पर खुंखार एक्सप्रेशन सजाए रेहान चौधरी को देखने लगी।
"ना ही येह तंम्बू है और ना ही येह गले का पट्टा है। येह तुम्हारे सिर की इज़ात है। तुम मेरी एक बात अपने दिमाग मे बिठा को तुम मेरी....रेहान चौधरी की इज़्ज़त हो और रेहान चौधरी अपनी इज़्ज़त पर किसी और का साया बरदाश्त नही लर सकता है।"
"अपनी इज़्ज़त को बचाने के लिए मैं मर भी सकता और जो भी इस परी बुरी नज़र डालेगा या इसे खराब करने की कोशिश करेगा तो मैं उसे मार भी सकता हु फिर चाहे वोह तुम खुद ही क्यों ना हो नदिया बेगम।" अपनी आग सी दहकती सांसो को नदिया के चेहरे पर छोड़ते हुए रेहान ने धीरी आवाज़ में गुर्रा कर कहा तो नादिया को अपनी जान निकलती हुई महसूस होने लगी।
उसकी आंखें आंसुओं से भर गई जिसे देख कर रेहान ने गहरी सांस और उसका हाथ छोड़ दिया।