"मुझे.....मुझे छोड़ दो..मैं...मैं ने कुछ नही किया है???"वोह आदमी गिड़गिड़ाते हुए अपने सामने खड़े चेहरा मास्क से छुपाए हुए आदमी से बोला।
"माफी....हाहाहाहा ड्रागो की अदालत में सिर्फ सज़ा होती है।" ड्रागो ने अपनी गन निकाल कर उस आदमी के सिर पर रखते हुए कहा।
"मैं ने कुछ नही किया है।" वोह आदमी ड्रागो के पैर को पकड़ते हुए बोला।
"तू ने अगर कुछ नही किया है तो इस वक़्त ड्रागो की अदालत में क्यों मौजूद है। तुम मुझे बताओ इस का क्या जुर्म है??" ड्रागो ने पहले अपने पैरों में बैठे आदमी और फिर अपने साथ खड़े भेड़िये का मास्क लगाए आदमी से पूछा।
"इस ने एक दस साल की बच्ची को हैरेस किया है।" वाइल्ड वुल्फ ने गुस्से से उस आदमी को देखते हुए कहा।
"ड्रागो किसी बेगुनाह को नही मारता औरर साथ ही ना ही कोई अदालत से कोई मुजरिम ज़िंदा बच कर जाता है।" ड्रागो ने कहा और उस आदमी को कुछ और कहने का मौका दिए बिना ही उस ने गोली चला दी।
.........
येह मंज़र है जौनपुर, उत्तर प्रदेश के ऐक छोटे से गांव का..
"नादिया बेटा आ जा तू भी खाना खा ले और अब उस चूल्हे की जान छोड़ दे।" हयात बेगम ने चाय का कप होंठो से लगाये डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए गर्दन मोड़ कर किचन में काम करती नादिया को देख कर कहा।
"बस रेहान भाई के लिए लस्सी बना कर आ रही हु माँ।" नादिया ने जग में दही डालते हुए कहा तो शान साहब ने सपना सिर झटक कर हयात बेगम को देखा।
"मैं ने इस लड़के से कहा भी था कि मेरे साथ पंचायत चले मगर मजाल है जो येह अपने बाप की बात मान ले।" शान साहब ने थोड़ा सख्त लहजे में कहा तो हयात बेगम ने चाय का कप टेबल पर रख दिया।
"आप जानते तो है हमारे खानदानी रिवायतों के मुताबिक वोह शादी के बाद ही सरपंच बनेगा तो आप उसे फालतू में तंग क्यों करते है। जब वक़्त आएगा तो आप देखना मेरा बेटा सब कुछ संभाल लेगा।" हयात बेगम ने मुस्कुराते हुए शान साहब से कहा।
शान साहब नादिया को आते देख कर कंधा उचका कर अपनी जगह से उठ गए और उसके सिर पर हाथ रखते हुए वहां से चले गए।
"अब जा कर तू अपने भाई को बुला ला वोह अभी तक आया क्यों नही??" हयात बेगम ने लसी टेबल पर रखती नादिया को देख कर कहा।
हयात बेगम और शान साहब के तीन बच्चे थे।
उनकी दो बेटियां समीन और रमीन थी। उन दोनों की शादी उनके फुफ्फो के बेटे से हो गयी और वोह दोनो शादी के बाद अमेरिका शिफ्ट हो गयी थी।
हयात बेगम की बड़ी बेटी जब पन्द्रह साल की हुई थी तो उनके घर एक नंन्हा मेहमान आया जिसका नाम उन्होंने रेहान रखा था।
नादिया शान साहब के दोस्त की बेटी थी। शान साहब के दोस्त और बीवी की डेथ के बाद वोह दो साल की नादिया को बेटी बना कर अपने घर लाये थे।
"उस वक़्त उनकी छब्बीस साल की बड़ी बेटी समीन और चौबीस साल की रमीन की शादी को कुछ ही दिन हुए थे।
जब नादिया को घर लाया गया था तो उस वक़्त रेहान इग्यारह साल का था।
रेहान को अपनी दोनों बहनों से बहोत प्यार था और इसी वजह से वोह उनकी जगह नादिया को नही दे पाया था।
रेहान बहोत ही सेंसिटिव्स दिल का था और इस मामले को वोह नादिया से बहोत चिढ़ता था और नादिया भी येह बात अच्छे से जानती थी मगर उसके दिल मे रेहान के लिए उतनी ही इज़्ज़त थी जितनी वोह बाकी घरवालों की करती थी।
"जी मम्मा।" नादिया ने मुस्कुराते हुए कहा और डाइनिंग रूम से बाहर निकल गयी।
येह चौधरियों की लाल हवेली थी जिसके एंट्रेंस से अंदर आते ही बहोत बड़ा आँगन था। उसके दाएं तरफ पेड़ लगे हुए थे। आँगन से नज़रे सीधा बरामदे पर जाती थी जहां छह बड़े बड़े पिल्लर बने हुए थे।
बरामदे के दाएं तरफ डाइनिंग हाल था जिसके अंदर अलग से किचन बना हुआ था।
डाइनिंग हाल और किचन के बीच एक छोटा सा दरवाज़ा था जबकि किचन की खिड़किया आँगन में ही खुलती थी।
बरामदे में जाते ही वहां बहोत सारे कमरे थे जबकि बीच मे बनी सीढिया जो दूसरी मंजिल पर जाती थी वहां रेहान चौधरी का राज था।
राज तो उसका पूरे गाँव मे था लेकिन उसे लोगों से ज़्यादा उनक दिलों पर राज करने का शौक था।
येह हवेली शान साहब के दादा जी ने बनवाई थी और अभी तक इस मे बस कुछ चीज़ो को ही बदला गया था जो कि रेहान चौधरी ने ही किया था।
नादिया छोटे छोटे कदम लेते सीढियो के पास आई। अभी वोह पहेली सीढ़ी पर कदम रखने ही वाली थी कि तभी उसे दाएं तरफ सीढियो से एटीट्यूड के साथ उतरते हुए रेहान चौधरी दिखाई दिया।
अपनी इक्कीस साल की ज़िंदगी मे नादिया ने उसे सिर्फ फो ही रंग में देखा था। काला या सफेद उसके इलावा आज तक उस ने कोई दूसरे रंग के कपड़े में रह को नही देखा था।
सफेद रंग पर ब्लैक पैंट पहेने, पैरों में जूते, अपनी आस्तीन के कफ को फोल्ड किये हुए, आज उसके चॉकलेटी ब्राउन बाल सेट करने के बावजूद माथे पर बिखरे हुए थे।
अपनी शर्ट को ठीक करते हुए वोह तेज़ी से नीचे उतर रहा था लेकिन तभी उसकी ब्राउन आंखे अपनी तरफ टकटकी बांधे देखती हुई हरी आंखों से टकराई।
रेहान चौधरी ने नादिया को घूर कर देखा।
"ज़िंदा हो या इस दुनिया से जा चुकी हो!"
रेहान चिढ़ हुए दो सीढियो के फासले पर रुक कर नदिया को देख कर बोला।
उसकी बात सुन कर नदिया हड़बड़ा कर दो कदम पीछे हट गई।
"न...नही नही भाई ज़िंदा हु।"
नदिया शरमिंदा हो कर ज़बरदस्ती हस्ते हुए जो मुंह मे आया बोल गई।
लेकिन रेहान के घूर कर देखने की वजह से हड़बड़ा कर पीछे हई तो वोह सिर झटक कर आगे बढ़ गया।
"तुम ने नाश्ता बना दिया है???"
रेहान जानता था वोह नाश्ता बनाने के बाद ही उसे बुलाने आयी है लेकिन वोह बात जारी रखने के लिए उससे पूछने लगा।
उसकी बात सुन कर नदिया ने बस अपनी गर्दन में हां में हिला दी।
"अपनी येह मुंडी हिलाना बन्द करो और अपनी इस ज़ुबान को बोलने की ज़रा तकलीफ दे दो जो मेरे इलावा हर किसी के सामने फर्राटे की तरह चलती है और वैसे भी येह मेरे सामने चलने से येह घिस नही जाएगी!!"
रेहान ने उसे खुंखार नज़रो से देख कर कहा और डाइनिंग रूम की तरफ बढ़ गया।
नदिया उसे जाते देख कर गुस्से से उसे घूरने लगी जो उसकी ज़िन्दगी में किसी नाग की तरह कुंडली मार कर बैठ गया था।
रेहान डाइनिंग टेबल के पास गया और अपनी मां की साथ वाली कुर्सी पर बैठ गया।
उसकी इस हरकत पर नादिया खून के घूंट पी कर रह गयी क्योंकि वोह कुर्सी उसकी थी मगर जब रेहान चौधरी उस पर बैठ गया था तो वोह उसकी हो गुई थी।
और फिर लार्ड साहब के होते हुए किसी और का उस कुर्सी पर बैठना बहोत बड़ा गुनाह माना जाता।
"अब कहा जा रही हो??? अब अगर सब काम मुझे खुद करने थे तो तुम ने नाश्ता बनाने की भी तकलीफ क्यों कि! वोह भी मैं खुद ही बना लेता।" नादिया को किचन में जाते देख कर रेहान पलट कर उस पर तंज कसते हुए बोला।
नादिया तो आंखे फैलाये उस जल्लाद को देख रही थी जो जग की तरफ इशारा कर रहा था।
"ए रेहान येह क्या तुझ में जिन्नातो की आत्मा घुस जाती है। हम ने आज तक अपनी बेटी के साथ ऐसा सुलूक नही किया जैसे तू लार्ड साहब करता है अगर किसी दिन मेरा सब्र जवाब दे गया ना फिर मेरी लाठी होगी और तेरी टांगे!!" हयात बेगम ने रेहान को घूरते हुए कहा जो नादिया के लस्सी ग्लास में डालने के बाद कुर्सी से टेक लगाए पीने में बिजी थी।
"और तू अब चुप चाप बैठ जा अब किचन में जाने की कोई ज़रूरत नही है मेड सारा ककम देंगी।" हयात बेगम ने नादिया की कलाई पकड़ कर शान साहब की कुर्सी पर बैठाते हुए कहा।
हयात बेगम की बात सुन कर रेहान अपना सिर झट कर लस्सी पीने लगा।
"येह ले छोटे साहब आपका नाश्ता।" मेड ने टरे में सजाया नाश्ता रेहान के आगे रखते हुए कहा तो उस ने एक नज़र नाश्ते को देखा और फिर अपने सामने बैठी नादिया को देखा।
पिछले छह साल से रेहान को उसके हाथ का खाना खाने की आदत हो गयी थी।
अब तो शायद उसे किसी और के खाने का टेस्ट भी याद नही था।
कभी कभी वोह अपने दोस्तों के साथ बाहर खाना खा लेता था लेकिन वापस घर आने के बाद नादिया के हाथ से कुछ ना कुछ बना कर ज़रूर खाता था। अपनी माँ के बाद अगर उसे किसी और क हाथ का खाना पसंद था तो वोह नादिया थी।
जब से पंद्रह साल की नादिया ने किचन संभाला था तब से रह को उसी के हाथ के खाने की लत लग गयी थी।
"मुझे भूख नही है हटाओ इसे!!"
रेहान ने टरे अपने सामने से खिसकाते हुए सख्ती से अपने पास खड़ी मेड से कहा तो नादिया ने चोंक कर उसे देखा लेकिन फिर सिर झटक कर अपना खाना खाने लगी।
"मम्मा मुझे आप से कुछ बात करनी!?"
रेहान ने आपने बालो में हाथ फेरते हुए हयात बेगम से कहा तो वोह पूरे ध्यान से उसकी बात सुनने लगी।
"हां बोलना बेटा।" उसे डांटना भूल कर अपने लहजे में ममता की चाशनी लिए हयात बेगम ने कहा तो रेहान के होंठो पर मुस्कुराहट आ गयी।
"वोह मेरा दोस्त है अमान जो दी कि पास गया था।" हयात बेगम का हाथ अपने हाथ मे लिए रेहान ने उनकी तरफ देखते हुए कहा जो कुछ सोचने में बिजी थी।
"अहां याद आया वोह जो पढ़ने के लिए आया था ना!" हयात बेगम ने याद आने पर कहा तो रेहान ने अपना सिर हां में हिला दिया।
"हां बिल्कुल, असल मे उसकी खाला की शादी है तो वोह इंडिया आया है और उस ने हम सबको इनवाइट.....मतलब दावत दी है। इसीलिए एक हफ्ते बाद हमे शहर जाना है तो क्या आप मेरे साथ शहर चलेगी???" रेहान ने हयात बेगम को देखते हुए कहा तो उन्होंने ने मुस्कुराते हुए अपना सिर हां में हिला दिया।
"वैसे सोचों तो क्या बात है लड़का जवान हो गया है और उसकी माँ की बहेन की शादी अब हो रही है।"
हयात बेगम ने ठोड़ी पर उंगली रखे सोचते हुए कहा तो नादिया हँसने लगी।
रेहान ने उसे घूर कर देखा और फिर हयात बेगम को देखा जो उसे ही घूर रही थी।
"असल मे वोह उसकी माँ की सगी बहेन नही है। उसके पेरेंट्स की एक कार एक्सीडेंट में डेथ हो गयी थी तो अमान के परेंट्स उसे अपने साथ ले आये थे क्योंकि उस वक़्त वोह बहोत छोटी थी। अब वोह लोग उसकी शादी करा रहे है। वोह रिश्ते में अमान की खाला लगती है लेकिन उससे सिर्फ दो साल ही बड़ी है।" रेहान ने नादिया को सख्त नज़रो से घूरते हुए हाइट बेगम से कहा।
उसकी बात सुन कर हायत बेगम ने अपना सिर हिलाया और अपनी सीट से उठ गई।
"मेरी दुआ है कि उसकी किस्मत अच्छी हो। मेरी तो बस यही है ईश्वर हर बेटी पर उसके माँ बाप का साया सलामत रखे।" हायत बेगम ने कहा और अपने कमरे की तरफ चली गयी।
उनकी बात सुन कर नादिया उदास हो गयी।
रेहान जो अपनी नज़रे उसी पर टिकाये हुए था पल भर में उसके चेहरे पर उदासी और उसकी आँखों मे आंसू देख कर उस ने अपने होंठो को भींच लिया।
"अगर आज मुझे पता चला कि तुम अपनी निकम्मी सहेलियों के साथ गाँव की गली गली में मटरगश्ती करती फिर रही हो तो याद रखना नादिया बेगम घर आ कर वजह पूछने की बजाए मैं तुम्हारी टांगे तोड़ कर कमरे में बंद कर दूंगा।"
रेहान ने ठंडी आवाज़ में कहा तो नादिया ने झटके से ऊना सिर उठा कर उसे देखा जो मोबाइल पर कुछ टाइप कर रहा था।
"मग....मगर भाई आज तो राज सिमरन को बताने वाला है कि वोह उससे कितनी मोहब्बत करता है।"
नादिया ने एक ही सांस में चिल्ला कर कहा तो रेहान ने खूंखार नज़रो से उसकी तरफ देखा।
अपनी कहि हुई बात पर ध्यान देते ही नादिया अपनी ज़ुबान दांत तले दबा ली और सिर झुकाए दो कदम पीछे हटने लगी क्योंकि अब रेहान गुस्से से उसकी तरफ ही बढ़ रहा था।