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भाग 2

20 जुलाई 2022

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"भाई....मेरा...मेरा मतलब था कि वोह टी वी पर आज शो लगने वाला है जिसमे एडुकेशन के बारे में बताया जाएगा ताकि हमे कुछ इन्फॉर्मेशन मिल सके।"

नादिया अपनी उंगलिया चटकाते हुए बात बदल कर बोली।

"इस टी वी से तुम्हे जो इन्फॉर्मेशन मिलती है हक़ मुझे उसके बारे में सब पता है। एजुकेशन का तो पता नही लेकिन मायके और ससुराल को कैसे तुग़नी नाच नचाना है इस बारे में उस पर बहोत अच्छी इन्फॉर्मेशन मिलती है। और येह भी की अपने हस्बैंड को उल्लू कैसे बनाना है! उसकी जेब कैसे खाली करवानी है! कैसे उसे दूसरी औरतो के नाम पर ब्लैकमेल करने है और फिर मगरमच्छ के आंसू बहा कर उसे कैसे पागल करना है। ऐसी इन्फॉर्मेशन में तो उस टी वी मे डिटेल्स में मिलती है।" रेहान के ठंडी आवाज़ में तंज़ कसने पर नादिया को झुका हुआ सिर और झुक गया।

वोह तो दिल ही दिल मे अपनी फर्राटे भरी ज़ुबान को दो चार गालियां तो दे ही चुकी थी।

हवेली बेशक पुरानी थी लेकिन उस मे ऐशो आराम की सारी चीजें मौजूद थी।

हवेली नक्शा तो नही बदला गया था लेकिन रेहान हर साल या हर महीने वहां किसी ना किसी चीज़ को बदलता रहता था।
मगर हवेली में जिस एक चीज़ की कमी थी वोह थी टी वी।
ना छोटा ना बड़ा! सिर्फ रेहान के पास आई फोन और लैपटॉप था वोह भी सिर्फ वोह नादिया को अपनी बहेनो से बात करने देता था वोह भी उसकी मौजूदगी में उस के इलावावोह नादिया को अपनी चीज़े छूने भी नही देता था।

या अगर लैपटॉप घर पर होता था तो उसमें स्काईप के इलावा हर चीज़ पर पासवर्ड होता था।

घर के एक लैंडलाइन था लेकिन नादिया के किसी भी काम का नही था।

नादिया का तो कहना था कि लार्ड साहब भी वोह लैंडलाइन उतरवा दें।

क्योंकि उसका मानना था उसे भी रेहान ने अपने काम के लिए ही लगवाया है। रेहान को जब भी अपने दोस्तों को दावत देनी होती थी वोह फोन करके उसे खाना बनाने का आर्डर दे देता था।

"अब खड़ी खड़ी किस के खयालो में खो गयी??" रेहान ने सख्त आवाज़ में पूछा तो नादिया होश में आई और हड़बड़ा का अपने सिर ना में हिलाने लगी।

"नही,...नही.... भाई आज जल्दी घर आ जाएंगे ना?" नादिया ने बात बदलते हुए पूछा तो रेहान ने अपनी एब्रो उचका कर उसे देखा।

"वोह मुझे दी से बात करनी है।" नादिया ने अपने सूखते होंठों पर ज़ुबान फेरते हुए कहा और रेहान के पीछे जाने लगी जो लम्बे लम्बे  कदम लेता है बाहर की तरफ जा रहा था।

"कोशिश करूंगा और हां...अगर आज मुझे आने के बाद पता चला तुम घर से बाहर गयी हो या मैं ने देख लिया तो तुम इस दिन को अपनी आजादी का आखिरी दिन समझना।" बरामदे से निकल कर आँगन में कदम रखते ही कुछ याद आने पर रेहान ने पलट कर कहा तो नादिया ने मुंह बनाते हुए अपना सिर हां में हिला दिया।

रेहान के जाने के बाद नादिया कुछ देर वही पर खड़ी  आंखे बंद किये हुए सुबह की ताज़ी हवा ले रही थी। थोड़ी देर बक़द उसने अपनी आंखें खोली तो उनकी नज़र मेड पर गयी जो हयात बेगम की चारपाई बाहर बिछा कर उन का हुक्का रख रही थी। नादिया ने गहरी सांस ली और हयात बेगम के कमरे की तरफ चली गयी।

..........

मुम्बई, नेरुल:-

"सानिया बेटा मुझे तुम से कुछ बात करनी है।" शाज़िया ने शीशे के सामने खड़ी सानिया से कहा जिसके काले लम्बे घने बाल कमर पर झूल रहे थे, उसके ग्रे ग्रीन आंखों में इस वक़्त सीरियसनेस भरी हुई थी, उसके गुलाबी होंठो सख्ती से आपस मे मिले हुए थे।

शाज़िया की आवाज़ सुन कर सानिया होश में आई और चोंक कर उसे देखा।

"अप्पी आप खड़ी क्यों है??? और मैं ने आप से कितनी बार कहा है आपको मुझ से परमीशन लेने की ज़रूरत नही है जो भी बात है आप बिला झिझक मुझ से बोल दीजिए।" सानिया ने होंठो पर मुस्कुराहट सजाए पलट कर शाज़िया को देखते हुए कहा तो वोह भी पलट कर सोफे पर बैठ गयी और एक मोहब्बत भरी नज़र सानिया के चांद से चेहरे पर डाली जो मुस्कुराते हुए खिल सा गया था मगर उसकी आँखों मे अभी अभी सीरियसनेस भरी हुई थी।

"सानिया तुम खुश तो हो ना??? तुम्हे पता है चाचा चाची की डेथ के बाद जब मैं तुम्हे यहां लायी थी तो मेरे दिल मे हज़ारो डर थे। मुझे डर था कि मैं तुम्हे अच्छे से पाल पोस पाऊंगी या नही, तुम्हे वोह सब दे पाऊंगी जो एक माँ बाप।अपने बच्चे को देते है, मैं येह नही कहूंगी की मैं येह सब देने में कामयाब हो गयी हु।"

"मैं नही जानती मैं एक।अच्छी बहेन या माँ बन पाई हु या नही लेकिन तुम ने हमेशा मुझे एक अच्छी बहेन और बेटी होने का सबूत दिया है और हमेशा मेरा और मेरे हस्बैंड का सिर फख्र से ऊंचा किया है।" सानिया के हाथ को थाम कर शाज़िया ने मोहब्बत से कहा।

"आप ने मुझे वोह सब दिया है जो शायद मेरे सगे माँ बाप या भाई बहेन मुझे ना दे पाते, मैं ने अगर आप लोगो का सिर फख्र से ऊंचा किया है तो उसकी वजह आप लोहा की जिम्मत, सपोर्ट और हौसला ही था कि आज मैं इस मुकाम पर हु।" सानिया ने मुस्कुराते हुए कहा।

"मैं जो बात पूछने आयी तो वोह तो मैं भूल गयी।" शाज़िया ने याद आने पर अपना हाथ सिर पर मारते हुए कहा तो सानिया हँसते हुए अपनी जगह से उठ वार्डरोब के पास चली गयी और उस मे से ड्रेसेज़ निकाल कर देखने लगी।

"बस एक हफ्ता है उसके बाद तुम अपने घर की हो जाओगी, मैं तुम्हे बहोत मिस करूँगी सानिया, तुम्हारे रूप में उस ऊपर वाले ने बेटी, बहेन, कज़िन मुझे सब कुछ दिया है। काश मेरा कोई देवर होता!" शाज़िया ने ठंडी आह भरते हुए कहा तो सानिया की हंसी पूरे कमरे में गूंज गयी।

"चलो आ जाओ डिनर रेडी है तब तक मैं जा कर उस नवाब साहब को भी उठा दु। सुबह ही आया था और कुछ देर माँ बाप के पास बैठ कर सोने के लिए चला गया था। इस लड़के को ज़रा भी अहसास नही है। पूरे पांच साल बाद आया है और उसे ठेठ भी ख्याल नही की कुछ घड़ी माँ बाप के साथ बैठ कर सुकून से बातेंकर ले।" शाज़िया ने बड़बड़ाते हुए कहा और कमरे से बाहर निकल गयी।

अमान के बारे में सुन कर सानिया ने गहरी सांस ली और वार्ड रोब बन्द करके बाहर चली गयी।

..........

"तुम्हारा बेटा अभी तक उठा नही!!" रुहान ने प्लेट में खाना निकालते हुए सख्त लहजे में शाज़िया से पूछा।

"मैं उसे बुलाने गयी थी लेकिन वोह फोन पर किसी से बात कर रहा था इसीलिए मैं बिना कुछ कहे वापस आ गयी। सानिया तुम जा कर अमान को बुला कर लाओ अब तक तो वोह फ्री हो गया होगा।" शाज़िया ने रुहान को जवाब देने के बाद सानिया से कहा तो वोह सिर हिलाते हुए अमान के कमरे की तरफ चली गयी।


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रचनाएँ
ᴹʸˢᵗᵉʳʸ ᵒᶠ ᵐʸ ˡᵒᵛᵉ:  ᵐᵒʰᵃᵇᵇᵃᵗ ᵏⁱ ᵉᵏ ᵃⁿˢᵘⁿⁱ ᵈᵃˢᵗᵃⁿ
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येह कहानी है एक मसूम सी लड़की की जो इस दुनिया के हर पहलू और अपने अतीत से है बिल्कुल अनजान। येह कहानी है रेहान चौधरी के इश्क़ की। येह कहानी अमान के दिल मे सानिया  के लिए अपने दिल मे पनपती मोहब्बत को नफरत में बदलने की। येह कहानी है ड्रागो हर वाइल्ड वुल्फ के इंसाफ की। येह कहानी है नदिया की मोहब्बत के अनजाने राज़ की। येह कहानी है अपनी खोई हुई बहेन के लिए तड़पती हुई लड़की। तो क्या है येह कहानी जानने के लिए पढ़िए इसकी एक छोटी सी झलक। ........... "ज़िंदा हो या इस दुनिया से जा चुकी हो!" वोह चिढ़ कर कहते हुए दो सीढियो पर रुक कर नदिया को देख कर बोला। उसकी बात सुन कर नादिया हड़बड़ा कर दो कदम पीछे हट गई। "न...नही नही भाई ज़िंदा हु।" नदिया शरमिंदा हो कर ज़बरदस्ती हस्ते हुए जो मुंह मे आया बोल गई। लेकिन रेहान के घूर कर देखने की वजह से  हड़बड़ा कर पीछे हई तो वोह सिर झटक कर आगे बढ़ गया। "तुम ने नाश्ता बना दिया है???" रेहान जानता था वोह नाश्ता बनाने के बाद ही उसे बुलाने आयी है लेकिन वोह बात जारी रखने के लिए उससे पूछने लगा। उसकी बात सुन कर नदिया ने बस अपनी गर्दन में हां में हिला दी। "अपनी येह मुंडी हिलाना बन्द करो और अपनी इस ज़ुबान को बोलने की ज़रा तकलीफ दे दो जो मेरे इलावा हर किसी के सामने फर्राटे की तरह चलती है और वैसे भी येह मेरे सामने चलने से येह घिस नही जाएगी!!" रेहान ने चिढ़ कर कहा और डाइनिंग रूम की तरफ बढ़ गया। नदिया उसे जाते देख कर गुस्से से उसे घूरने लगी जो उसकी ज़िन्दगी में किसी नाग की तरह कुंडली मार कर बैठ गया था। ........ "मेरी एक बात याद रखना अगर मुझे पता चला आज तुम ने इस घर से एक कदम भी बाहर निकाला है तो मैं तुम्हारी टांगे तोड़ दूंगा।" रेहान ने गुस्से से अपने सामने खड़ी लड़की को देखते हुए कहा। ...... "हे रेहान येह जो तू हर वक़्त मेरी बेटी को धमकाता रहता है ना अगर कभी मेरा दिमाग घूम गया ना तो मेरी लाठी होती और तेरा सिर येह बात यार रखना।" ......... "तुम्हे कोई काम था???" उस ने चेहरे पर सख्त एक्सप्रेशन सजाए हुए अपने सामने खड़ी लड़की से पूछा। "तुम नही आप.....येह मत भूला करो कि  मैं रिश्ते में तुम्हारी खाला भी लगती हु मान।" सानिया ने उसे टोकते हुए कहा तो अमान ने समझने वाले अंदाज़ में अपना सिर हां में हिला दिया।
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"मुझे.....मुझे छोड़ दो..मैं...मैं ने कुछ नही किया है???"वोह आदमी गिड़गिड़ाते हुए अपने सामने खड़े चेहरा मास्क से छुपाए हुए आदमी से बोला। "माफी....हाहाहाहा ड्रागो की अदालत में सिर्फ सज़ा होती है।" ड्रागो ने

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सानिया अमान के कमरे बाहर आई और उसे दरवाज़ा नॉक किया लेकिन अंदर से कोई आवाज़ नही आई तो वोह दरवाज़ा खोल कर अंदर चली गयी। अंदर आते ही उसकी नज़र ब्लैक ट्रॉज़र और ब्लैक बांयाज पहेने अपनी तरफ पीठ करके खड़े कानो म

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"आखिर येह ड्रागो है कौन??? क्या येह भी ड्रैगन की तरह मुंह से आग निकालता है?? या फिर उड़ता है??" उस आदमी ने मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा। "वज्ज ड्रैगन की तरह ना ही मुंह से आग निकालता है और ना ही उड़ता है मगर वोह ख

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