रेहान ने नादिया को रोते देख कर गहरी सांस ली और उसका हाथ छोड़ दिया।
"पहले अपना दुपट्टा ठीक करो और फिर यहां से चली जाना।" रेहान ने सख्त आवाज़ में कहा और तो नादिया ने जल्दी से अपना दुपट्टा ठीक किया और कमरे से बाहर जाने के लिए वोह पलटी ही थी कि तभी रेहान ने दुप्पटे समेत नादिया के बालों को पकड़ लिया।
नादिया तो उसकी इस हरकत पर अपनी जगह जम सी गयी थी।
जबकि रेहान चेहरे पर सीरियस एक्सप्रेशन सजाए नादिया के दुप्पटे को सिर से उतार कर उसके लम्बे घने बालों की चोटी करने लगा
"इतना मुश्किल तो किसी दो साल के बच्चे को समझाना नही होता जितना मुश्किल तुम्हे समझाना और किसी काम से रोकना है।" नादिया के खुले बाल की चोटी बना के रेहान ने उसके सिर पर दुप्पटा डालते हुए अपना सिर ना में हिलाते हुए कहा तो नादिया के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी।
रेहान जानता था नादिया अगर उसकी कोई बात सिरियस ना लेना चाहे तो फिर वोह उसे लाख आंखे दिखाए गुस्से करे, उसे डांटे, उस पर चिल्लाए लेकिन उस पर कोई असर नही होता था और ना ही वोह उसकी बात दिल पर लेती थी।
मगर जब वोह रेहान की कोई बात या उसकी डांट दिल पर ले लेती थी तो उसकी पूरी रात रो कर गुज़रती थी और फिर वोह कई दिन बुखार में तपती रहती थी।
और अब वोह उसके मगरमच्छ से बहने वाले आंसुओ के इलावा शेर्मिन्दगी में बहने वाले आंसुओं को भी पहचान गया था।
और वोह येह बात जान चुका था कि नादिया ने इस बार उसकी बात को दिल पर ले लिया है।
"दोबारा मैं तुम्हे खुले बालो और दुपट्टे के बगैर न देखु वरना तुम्हारी टांगे तोड़ कर मैं इसी तंम्बू के साथ बांध कर कमरे में बंद कर दूंगा।" रेहान ने सख्ती से कहा तो नादिया आने सूखे हलक़ को तर करते हुए फुल स्पीड में उसके कमरे से निकल कर बाहर की तरफ भाग गई।
उसे इस तरह से भागते देख कर रेहान के होंठो पर मुस्कुराहट आ गयी और वोह अपना सिर झटक कर बाहर की तरफ चला गया।
रेहान किसी काम से शहर गया था। वो जल्दी अपना काम पूरा करके आ गया था तो वहां से सीधा खेतो में चला गया था।
वोह खेतो में गया तो वहां काम करते किसानों को देख कर वोह उनका हाथ बटाने लगा था और इसी चक्कर मे उसके कपड़े खराब हो गए थे और इसीलिए वोह घर आ गया था और बिना हयात बेगम से मिले अपने कपड़े चेंज करने के लिए कमरे में चला गया था।
पूरे घर मे शांति देख कर उसे लगा था कि नादिया को थोड़ी अक्ल का गयी होगी मगर ऐसा मुमकिन ही कहाँ था।
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"आप लोग ऐसा कैसे कर सकते है?? शाज़िया ने फोन पर चिल्ला कर कहा तो सामने वाले ने बिना जवाब दिए फोन रख दिया।
"क्या हुआ अप्पी सब ठीक तो है ना??" सानिया ने शाज़िया के कंधे पर हाथ रख कर परेशानी से पूछा तो शाज़िया फूट फूट कर रोने लगी।
"क्या हुआ शाज़िया तुम रो क्यों रही हो??? और किस का फोन था??" रुहान ने शाज़िया को सोफे पर बिठाते हुए पूछा।
वोह भी शाज़िया के इस तरह रोने की वजह से परेशान हो गए थे।
सानिया भागते हुए शाज़िया के लिए पानी लायी तो रुहान ने उससे गिलास पकड़ कर शाज़िया के होंठो से लगा दिया।
"उन लोगो ने शादी से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि लड़का किसी और को पसंद करता है और आज सुबह ही वोह अपनी पसंद की लड़की से शादी करके उसे घर ले आया है।" शाज़िया ने रोते हुए रुहान को बताया तो वोह भी दंग रह गया और फिर उसकी नज़र सुकून से खड़ी सानिया पर गयी जिसे येह सब सुन कर कोई फर्क ही नही पड़ा था।
"अच्छा पहले तुम चुप हो जो शायद इन सब मे सानिया की ही भलाई थी। वोह तो तुम शुक्र करो हमे पहले ही पता चल गया वरना अगर शफाई ई बाद येह सब प्रॉब्लम होती तो हम क्या करते!" रुहान ने शाज़िया के आंसू पोछते हुए कहा।
"क्या भलाई हां!! उन लोगो ने मेरी बहेन की जिंदगी बर्बाद कर दी। चार दिन बाद शादी है और कल से ही सब मेहमान आने शुरू हो जाएंगे। हम लोगो से क्या कहेंगे!! हम शादी कैंसिल क्यों कर रहे है?? लड़का कहा गया है?? हम उन्हें लड़के की सच्चाई बता भी देंगे ना तब भी वोह लड़की की कोई ना कोई गलती ज़रूर निकलेंगे।" शाज़िया गुस्से से बोली।
"अभी आप उनके घर जाए और उन लोगो से बात करे अगर उस लड़के को कोई और लड़की पसंद थी तो वोह हमे पहले बताते। हमारे सामने तो उनका बेटा ऐसे शो कर रहा था जैसे उससे ज़्यादा खुश कोई और है ही नही और अब देखो किसी और को अपनी बीवी बना कर ले आया।" शाज़िया ने उठते हुए कहा तो सानिया उनके सामने आ कर खड़ी हो गयी।
"आप लोगो की फिक्र ना करे अप्पी किसे क्या और कैसे जवाब देना है येह मेरी प्रॉब्लम है और भाई आप उन लोगो से बात करने नही जाएंगे क्योंकि मुझे ऐसा बटा हुआ आदमी नही चाहिये।" सानिया ने उन दोनों को देख कर सीरियस हो कर कहा और कमरे से चली गयी।
"शाज़िया सानिया बिल्कुल ठीक कह रही है और हमे ऐसे गिरे हुए लोगो को मुंह लगाने की ज़रूरत नही है। मेरे पास इस प्रॉब्लम का एक सलूशन है। तुम फिक्र मत करो येह शादी ज़रूर होगी और उसी दिन होगी जिस दिन को तै किया गया था।" रुहान ने शाज़िया को परेशान देख कर आराम से कहा।
"आप का क्या मतलब है??" रुहान की बात सुन कर शाज़िया ने हैरानी से पूछा तो वोह मुस्कुराते हुए उसे देखने लगा।
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"आप लोगो ने सोच भी कैसे लिया कि मैं सानिया से शादी करूँगा??" अमान ने चिल्ला कर कहा तो रुहान साहब ने उसे घूर कर देखा।
"तुम्हे शादी करने में प्रॉब्लम क्या और वैसे भी एक न एक दिन तुम्हारी शादी करनी ही थी तो अब हो जाएगी तो क्या क़यामत आ जायेगी!?" रुहान साहब ने दहाड़ते हुए कहा तो अमान ने गुस्से से टेबल पर लात मारी तो उस पर रखा हुआ जग और गिलास नीचे गिर गया।
शाज़िया बेगम ने दहल का मुंह पर हाथ रख लिया मगर रुहान साहब का दिल जर रहा था कि वोह उस जानवर को दो थप्पड़ लगा दे।
"मुझे शादी करने से नही बल्कि सानिया से प्रॉब्लम है। मैं उससे शादी नही करना चाहता हु......और मॉम आप ही तो हर वक़्त कहती थी कि वोह मेरी खाला है। मैं उसकी इज़्ज़त कर और अब आप ही कह रही है कि मैं उससे शादी कर लूं।" अमान ने चिल्लाते हुए कहा और आखिर में शाज़िया बेगम का हाथ थाम के उस ने नरमी से पूछा।
"कर वोह तुम ही थे जो कहते थे कि वोह मेरी खाला नही है और मरते दम तक उसे खाला नही मनुगा तो देखो तुम्हारी दुआ क़ुबूल हो गयी और अब दे वोह तुम्हारी खाला नही रहेगी।" शाज़िया ने प्यार से उसे समझाते हुए कहा तो अमान की नसें गुस्से से तन गयी।
"वोह मुझ से पूरे दो साल बड़ी है। मुझे अपने लिए बीवी चाहिए कोई टीचर नही क्योंकि मैं अपनी बीवी के मुंह से प्यार भरी बातें सुनने चाहता हु ना कि लेक्चर।" अमान ने झुंझला कर कहा तो शाज़िया अपने मुंह पर हाथ रख कर अपनी हंसी छुपाने लगा।
"और तुर्की में जब तुम खुद से चार/ आठ से बड़ी गर्लफ्रैंड बनाते थे तब तुम्हे इस बात का होश नही रहता था। उन से तो तुम्हे कोई प्रॉब्लम नही थी तो शादी करते वक़्त तुम्हे क्यों मौत पड़ रही है।"
"और सानिया तो तुम से दो साल ही बड़ी है मगर तुम खुद को देखो कैसे साँड बन गए हो। उस नाज़ुक सी बच्ची से दो साल छोटे नही बली दस पन्द्रह साल बड़े ही लगते हो।"
"पांच साल पहले मैं ने अपने बेटे को तुर्की भेजा था लेकिन पांच साल बाद उन लोगो ने किसी गोरैल को मेरे बेटे की शक्ल दे कर वापस भेज दिया।"
"चार दिन बाद तुम्हारी शादी है चुप चाप आ कर इज़्ज़त से येह शादी कर लेना वरना मैं समझूंगा पहले बाप की नही मानते थे और अब बाप को बाप नही मानते हो।" रुहान साहब ने ठंडे लहजे में एक एक शब्द चबा कर कहा और शाज़िया का हाथ पकड़ कर कमरे का दरवाज़ा बन्द करते हुए बाहर चले गए।