(रेयान इंटरनेशनल स्कूल,गुरुग्राम के छात्र सात साल के प्रद्युमन के लिए.....जिसके साथ स्कूल परिसर में निर्ममता हुई)----
*।।प्रद्युमन..तुम्हारी याद में।।*----
*(द्वारा :-कुमार मनीष)*----
( 8418056591)-----
प्रद्युमन...तुम गए नहीं हो---
प्रद्युमन...तुम यहीं कहीं हो---
मैंने देखी तुम्हारी तस्वीर,---
मासूम चेहरा-भोला बचपन;---
आँखों की रौनक,---
गालों की तासीर ।।---
मैंने महसूस किया,बिना छुए,---
तुम्हारी कोमल उँगलियों को;---
और बिना सुने सुनी,---
तुम्हारी खिलखिलाती हँसीं ।।---
प्रद्युमन...ऐसा कौन जो तुम्हारे लिए न रोता ।।---
प्रद्युमन...काश कि मैं वहां होता ।।---
प्रद्युमन...काश कि यह न होता ।।---
प्रद्युमन...जिसने तुम पर वार किया,---
वह न कोई इन्सान था;---
वह पापी,अमानुष निश्चित ही,---
शैतानों का शैतान था ।।---
प्रद्युमन...तुम्हारे छोटे से जीवन का,---
समय इन्साफ करेगा;---
ऐसे बेरहम शैतान को,---
भगवान भी न माफ़ करेगा ।।---
प्रद्युमन...तुम गए नहीं हो---
प्रद्युमन...तुम यहीं कहीं हो---
प्रद्युमन.......
अब नहीं किसी पर रहा भरोसा,---
वर्तमान में-आज में;---
खल ही खल हैं,छिपे हुए हैँ,---
निर्दयी क्रूर समाज में ।।---
"किसी जान की कीमत क्या है ?",---
कोई कैसे आंक सकेगा ?,---
भाव-वेदना का न मानक,---
कोई कैसे माप सकेगा ?---
तुम थे एक बहादुर बच्चे,---
सबकी आँखों के तारे थे;---
धोखे से तुम्हें छीन लिया,---
तुम नहीं किसी से हारे थे ।।---
तुम जो छोड़ गए सूनापन,---
मुश्क़िल उसको सहना है कि...--
और तुम्हारे अपनों से ,---
मेरा बस यह कहना है कि...--
प्रद्युमन...तुम गए नहीँ हो---
प्रद्युमन...तुम यहीँ कहीँ हो---
सोचता हूँ कि...--
रोज़ की तरह उस रोज़ भी...--
तुम्हारी मम्मी ने तुम्हें जगाया होगा,---
तुम अलसाते से उठे,उठकर,---
मम्मी को गले लगाया होगा ।।---
"जल्दी से तैयार हो जाओ,---
स्कूल जाना है"---
मम्मी तुमसे बोली होगीं,---
"स्कूल"-तुमने मन ही मन सोचा;---
"पढ़ाई के संग दोस्त,मस्ती,हँसी, ठिठोली होगी।।"---
तैयार होकर स्कूल ड्रेस में तुम,---
डाइनिंग टेबल पर आये होगे;---
न-नुकुर कर मम्मी के हाथों से,---
दूध-ब्रेकफास्ट खाये होगे ।।---
फिर,"आओ..जल्दी करो बेटा",---
पापा तुमसे बोले होगें;---
और तुम्हारे चहरे को,---
बड़े प्यार से टटोले होंगें ।।---
बैग-लंचबॉक्स-थर्मस लेकर,---
स्कूल को तुम चल दिए थे;---
अपने घर के जगमग-जगमग,---
रौशन करते तुम दिये थे।।---
"बाय् मम्मी" कहकर तुम जब,---
स्कूल के लिए निकले थे;---
किसी ताजे फूल की तरह,---
उस दिन तुम खिले खिले थे ।।---
तुम्हें चहकते-महकते देख,मम्मी की,---
आँखों में कितना प्यार था;---
उन्हें न पता था कि यह देखना,---
उनका आखरी बार था ।।---
लेकिन....--
प्रद्युमन...तुम गए नहीं हो---
प्रद्युमन...तुम यहीं कहीँ हो---
प्रद्युमन..तुम थे बहुत ही प्यारे,---
भगवान् को तुम पर प्यार आया;---
यही वजह वो रह न पाये,---
तुमको अपने पास बुलाया ।।---
तुम नन्हे फ़रिश्ते ,---
लेने तुम्हें फ़रिश्ते आये थे;---
सफेद घोड़ों संग बंधी हुई;---
सोने की गाड़ी लाये थे ।।---
जिसमें झूलतीं छोटी घंटियां,---
रुनझुन-रुनझुन बजती थी;---
जड़े थे जिसमें हीरे-मोती,---
खूब ही सुन्दर सजती थी ।।---
नरम-मुलायम-रेशम का,---
जिस पर बिछा बिछौना था;---
लहराती गोली सी लड़ियां,---
जिसमें चाँदी सोना था ।।---
बैठ उसी घोड़ा गाड़ी में,---
दूर स्वर्ग के द्वार गए तुम;---
और इस दुनिया में अपना,---
देकर सबको प्यार गए तुम ।।---
द्वार स्वर्ग के भगवान स्वयं ही,---
लेने तुमको आये थे;---
गोद में लेकर सिंहासन पर,---
अपने साथ बिठाये थे ।।---
स्वर्ग में मीठी चीं-चीं करती,---
सतरंगी सी चिड़ियां होगीं;---
प्यार से तुमको पालेगी जो,---
पंखों वाली परियाँ होंगीं।।---
"मम्मी-पापा में खुश हूँ"तुम,---
यही स्वर्ग से कहते होगे;---
नन्हे से तुम एक फ़रिश्ते,---
भगवान के साथ में रहते होगे ।।---
दिल में प्यार ही प्यार तुम्हारे,---
प्यार स्वर्ग में तुम पाओगे;---
इस धरती पर खुशियाँ देने,---
रूप बदलकर फिर आओगे ।।---
प्रद्युमन..तुम गए नहीँ हो---
प्रद्युमन..तुम यहीं कहीँ हो-----
*(द्वारा:-कुमार मनीष)*---
(8418056591)-----
*।।प्रद्युमन...तुम्हारी याद में।।*