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एक गीत

17 अप्रैल 2017

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बिन तुम्हारे जिंदगी परिहास है। शेष अब तो आस ही बस आस है। भेजते थे तुम कभी जो खत हमें छल रही है आज वो ही लत हमें। अब नही बाकी कोई उल्लास है शेष अब तो आस ही बस आस है....(१) आँसुओं से नम हुई मन वादियाँ बढ़ रहीं हैं बीच अपने दूरियाँ दग्ध मन में जल रहा अहसास है शेष अब तो आस ही बस आस है....(२) सोचती हूँ हौंसले कायम रखूँ। याद तेरी दिल में मैं हरदम रखूँ पतझड़ों के बाद फिर मधुमास है शेष अब तो आस ही बस आस है....(३) ......अनहद गुंजन गीतिका

अनहद गुंजन अग्रवाल की अन्य किताबें

मंजरी सिन्हा

मंजरी सिन्हा

बहुत बहुत सुंदर |

25 अप्रैल 2017

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत अच्छा है गीत | बधाई भी , शुभ कामनाएं भी |

25 अप्रैल 2017

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

अति सुन्दर

18 अप्रैल 2017

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माहिया गीत ....जय माता दी

30 मार्च 2017
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माहिया गीतमाता शेरावालीद्वार पड़े तेरेभर दो झोली खाली।माँ बेग सहारा दोभँवर फँसी कश्तीअब मात किनारा दोजागो मैया काली।आस लगी तुमसेभर दो झोली खाली।सुन लो माँ जगदम्बेराह तके नैनादर्शन दो माँ अम्बे।हे अष्ट भुजा वालीसिंह सवारिन माँभर दो झोली खाली।तुम भाग्य विधाता होहो करुणामय माँसब सुख की दाता होतुम हो लाट

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माहिया गीत

1 अप्रैल 2017
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माता शेरावालीद्वार पड़े तेरेभर दो झोली खाली।माँ बेग सहारा दोभँवर फँसी कश्तीअब मात किनारा दोजागो मैया काली।आस लगी तुमसेभर दो झोली खाली।सुन लो माँ जगदम्बेराह तके नैनादर्शन दो माँ अम्बे।हे अष्ट भुजा वालीसिंह सवारिन माँभर दो झोली खाली।तुम भाग्य विधाता होहो करुणामय माँसब सुख की दाता होतुम हो लाटा वाली।भूल

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मुक्तक

2 अप्रैल 2017
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तुझ पे दिल हारकर दिखाना है।नाम लव पर तेरा सजाना है ।मेरे सागर नदी बनूं तेरी ।सिलसिला बस यही निभाना है ।.....अनहद गुंजन

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छत्रपति शिवाजी महाराज की 337 वीं पुण्यतिथि पर ....समर्पित शब्द सुमन 👐🌸👐 विधा...लावणी छंद में एक गीत

3 अप्रैल 2017
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धन्य हुआ शिवनेर दुर्ग था, धन्य हुई भारत माता।जन्म लिया जब वीर शिवाजी, धन्य हुई जीजा माता। लालन-पालन किया शिवा का, कथा सुनाती वीरों की ।धर्म-जाति पर मिटने वाले,उन सारे रणधीरों की।कूट-कूट कर भाव भरे थे, मातृभूमि के प्रति ज्ञाता।धन्य हुआ शिवनेर दुर्ग था, धन्य हुई भारत माता ............(१)भाले बरछे तीर

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मुक्तक

4 अप्रैल 2017
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मुकम्मल जिंदगी तो है मगर साहिल नही मिलता।जिसे दिल देख के धड़के भरी महफ़िल नही मिलता मुहब्बत का मजा तो डूबने की कश्मकश में हैकिसे करते मुहब्बत हम कहीं वो दिल नही मिलता....अनहद गुंजन

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एक गीत......2122,2122,212 बह्र पर

12 अप्रैल 2017
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बिन तुम्हारे जिंदगी परिहास है।शेष अब तो आस ही बस आस है।भेजते थे तुम कभी जो खत हमें छल रही है आज वो ही लत हमें।अब नही बाकी कोई उल्लास है शेष अब तो आस ही बस आस है....(१)आँसुओं से नम हुई मन वादियाँ बढ़ रहीं हैं बीच अपने दूरियाँदग्ध मन में जल रहा अहसास हैशेष अब तो आस ही बस आस है....(२)सोचती हूँ हौंसले

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एक गीत

17 अप्रैल 2017
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बिन तुम्हारे जिंदगी परिहास है।शेष अब तो आस ही बस आस है।भेजते थे तुम कभी जो खत हमें छल रही है आज वो ही लत हमें।अब नही बाकी कोई उल्लास है शेष अब तो आस ही बस आस है....(१)आँसुओं से नम हुई मन वादियाँ बढ़ रहीं हैं बीच अपने दूरियाँदग्ध मन में जल रहा अहसास हैशेष अब तो आस ही बस आस है....(२)सोचती हूँ हौंसले

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#गजल 212 212 1222

25 अप्रैल 2017
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तुझ पे दिल हारकर दिखाना है।नाम लब पर तेरा सजाना है ।मेरे सागर नदी बनूं तेरी ।सिलसिला बस यही निभाना है ।गम मिले या मिले ख़ुशी अब तो।साथ जीवन तेरे बिताना है।जिंदगी बिन तेरे अधूरी सी । हर कदम साथ ही बढ़ाना है। दूर सबसे नजर छुपाकर के।आशियां प्यार का बनाना है।मीत समझो जरा इशारा भी ।दूर तुमसे न हमको जाना है

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सार्वजनिक रूप से कल केरल में गाय काटकर पकाने की घटना पर एक रचना.....

30 मई 2017
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*ताटंक छंद पर एक रचना....गाय हमारी माता है ये, बच्चा बच्चा गाता है।आज वहीं उस मातृभूमि पर, माँ को काटा जाता है।जिसका दूध दही पीकर के, शक्तिमान कहलाता है भूल गया क्या आज समर्पण, बल अपना दिखलाता है।देव तुल्य उस गौ माता की , गर्दन छुरी चलाता है।राम-कृष्ण की पुण्य भूमि पर, क्यों नाहक इतराता है।गौ वध कर

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पावन पर्व रक्षा बंधन पर एक गीत..

7 अगस्त 2017
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अनमोल बड़ा है ये बंधन।पावन रिश्ता रक्षाबंधन।उमड़ उमड़ के मन है जाता।जबजब रक्षा बंधन आता।मन नेह दीप तब जल उठते।यादों में तेरी जब घिरते।भाई के मस्तक का चन्दन।पावन रिश्ता रक्षाबंधन.......(1)माना हम खूब लड़ा करतेआंखों से भी मोती झरते।पल में यूँ रूठ दिखाना था।इक़ पल में गले लगाना थारोली मौली शुभ ये वंदनपावन र

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गजल कहने का प्रयास...212, 212,1222

8 अगस्त 2017
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दर्द को तो सँभाल रक्खा है।खुद से ज्यादा खयाल रक्खा है।जीस्त ले इम्तिहाँ रही अक्सर-वक़्त पे छोड़ हाल रक्खा है।जा-ब-जा हो भले ही जाएँ हम,इश्क को दिल मे ढाल रक्खा है। शाद *अनहद* मिले भला कैसे वक़्त ने पाएमाल रक्खा है।एक लम्हा उधार लेकर के ,रंग आरिज गुलाल रक्खा है। रहगुजर तुम बनो अगर मेरेरासता देखभाल रक्ख

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एक श्रृंगारिक सृजन सस्वर के साथ

9 अगस्त 2017
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शुभ प्रभात मित्रों......सुबह छेड़ेगीं सब सखियाँ हँसी मेरी न करवाओ ।शरम से हो रही पानी अरे कुछ तो रहम खाओ ।गया गिर कान का झुमका सजन से रात मिलने में ।बताऊँगी भला कैसे ये सबको राज बतलाओ ।मिटा दो इन अँधेरों को मदद कर दो हमारी कुछ ।हमारी बेबसी पर तुम न ऐसे और इतराओ ।बहाना क्या बनाऊँगी रही अब सोच ये "गुं

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आप सभी मित्रों को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं......

15 अगस्त 2017
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श्याम रात श्याम वात श्याम गूँज साथ साथ। चन्द्रमा प्रकाश लुप्त हाथ को दिखे न हाथ। गूँजता रहा विहान कृष्ण जश्न गीत गान। धन्य धन्य देव और धन्य धन्य ये जहान। टूट बेड़ियां गयीं खुले अवाक जेल द्वार। कृष्ण जन्म साथ कंस नीच का ढले खुमार जन्म जश्न गैल गैल ढोल पे उड़े गुलाल। गोल हैं कपोल गाल नंद के भए गुपाल। ..

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तीन तलाक (कुंडलियाँ छ्न्द)

23 अगस्त 2017
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न्यायपालिका ने दिया, सुखद फैसला आज।गौरैया महफूज अब,नौंच न पाये बाज ।नोंच न पाये बाज,दिया है तोड़ सिकंजा ।तोड़ा तीन तलाक,बुरा था खूनी पंजा ।बदल गए हालात, प्रथा ये खत्म हलाला।*अनहद* सा प्रतिमान,लुप्त ये दर्द भाल का।हर्षित नार अपार, धन्य वो न्याय पालिका।....*अनहद गुंजन* सर्वाधिकार सुरक्षित 23/08/17

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तीन तलाक़ (कुंडलियाँ छ्न्द)

23 अगस्त 2017
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न्यायपालिका ने दिया, सुखद फैसला आज।गौरैया महफूज अब,नौंच न पाये बाज ।नोंच न पाये बाज,दिया है तोड़ सिकंजा ।तोड़ा तीन तलाक,बुरा था खूनी पंजा ।*अनहद* सा प्रतिमान,लुप्त ये दर्द भाल का।हर्षित नार अपार, धन्य वो न्याय पालिका।..... अनहद गुंजन सर्वाधिकार सुरक्षित 23/08/17

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प्रणय गीत (सरसी छ्न्द)

29 अगस्त 2017
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सागर से गहरा अम्बर से,है ज्यादा विस्तार ।कुछ लफ्जों में कैसे लिख दूँ, अपने दिल का प्यार ।अवचेतन मन में बस मेरे, तेरा ही तो ठौर।बदल अभी ये दुनिया जाए, बदले चाहे दौर।रोना गाना हँसना तुमसे,जीत तुम्हीं से हार ।छंद गीत तुम गज़ल रुबाई, हो तुम ही अशआर ।आते ही आगोश तुम्हारे, लेती आंखें मूंद।ज्यूँ सहेज के रख

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"मां सरस्वती वंदना"

22 जनवरी 2018
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*सरस्वती वंदना*🙏🏻🌺🙏🏻नमामि मात शारदे, नमामि मात शारदे। विनाश काम क्रोध मोह लोभ मात मार दे। सदैव सत्य लेखनी लिखे डरे न सार दे। अनेक भाव शब्द और शुद्ध से विचार दे।उपासना करूँ प्रभात से बनी उपासनी। प्रकाश ज्ञान पुंज मात तो भरो प्रकाशनी। विचार से विकार को

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कुंडलियाँ

16 मार्च 2018
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खूब महकते फूल से, कभी उड़ाते गंध।कभी करें तकरार ये, दृढ़ करते सम्बंध।दृढ़ करते सम्बंध , कभी खड्ढा ये खोदें।देते बदल रुझान,कभी झट से ये रोदें।बढ़ते ''गुंजन' पाप, प्रजा के बीच लहकते।गंधहीन हैं फ़ूल, मगर ये खूब महकते।अनहद गुंजन 15/03/18

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ताजा हालात पर कुंडलियाँ

28 मार्च 2018
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पुनः परीक्षा ले रहे, रखा न पहले ध्यान।सीबीएसइ ने किया, जारी एक बयान।जारी एक बयान, करो छात्रों तैयारी।कथित रूप से लीक,हुआ परचा है जारी।"अनहद" है आकाश, शेष है लेनी दीक्षा।आया है फरमान, कि दे दो पुनः परीक्षा।..........अनहद गुंजन 28/03/18

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me too

15 अक्टूबर 2018
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