कैसी हो ।हम अच्छे है ।देहली शोप पर बैठे है ।तबीयत अभी ठीक नही है ।पर आज रविवार है तो यहां व्यापारी ज्यादा आते है ।इस लिए आना पड़ा। मंच से गुजारिश कि लेखक के वालेट की व्यवस्था सही ढंग से करें। किताब की बिक्री से हुई आमदनी और दैनिक लेखन प्रतियोगिता का शेष 50% लेखक तुरंत निकाल सके ऐसा कुछ होना चाहिए।हमने कुछ सुझाव रखे है मंच के सामने देखो माने जाते है या नही।अब की बार डायरी लेखन का पुरस्कार भी लेट हो गया है ।
परालौकिक शक्तियों के जानकारों के मुताबिक आत्मा के तीन प्रकार होती है जीव आत्मा , प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा, आत्मा इंसान के शरीर में हमेशा रहती है जब आत्मा भौतिक व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करती है तब जीवात्मा होती है, जैसे ही उसका प्रवेश कामना से भरे, इच्छाओं और वासनाओं से भरे शरीर में होता है वह प्रेतात्मा बन जाती है।
इससे आपको भूत और प्रेत में फर्क समझ आ गया होगा, भूत सबसे शुरूआती पद है यानी जब को सीधा साधा आम आदमी मरता है तो वह सबसे पहले भूत ही बनता है। और जब वह व्यक्ति कोई लालसा, इच्छा और आकांशा लेकर मरता है तो वह प्रेत बन जाता है। भूत की बहुत सारी जातियां होती है जैसे भूत, फिर प्रेत, फिर पिचाश , राक्षस वगेरह।पशुयोनि, पक्षीयोनि, मनुष्य योनि में जीवन यापन करने वाली आत्माएं मरने के बाद अदृश्य भूत-प्रेत योनि में चले जाते हैं। आत्मा के प्रत्येक जन्म द्वारा प्राप्त जीव रूप को योनि कहते हैं। ऐसी 84 लाख योनियां है, जिसमें कीट-पतंगे, पशु-पक्षी, वृक्ष और मानव आदि सभी शामिल हैं।
प्रेतयोनि में जाने वाले लोग अदृश्य और बलवान हो जाते हैं। लेकिन सभी मरने वाले इसी योनि में नहीं जाते और सभी मरने वाले अदृश्य तो होते हैं लेकिन बलवान नहीं होते। यह आत्मा के कर्म और गति पर निर्भर करता है। बहुत से भूत या प्रेत योनि में न जाकर पुन: गर्भधारण कर मानव बन जाते हैं।
मरने के बाद प्रेत योनि में जाने का मुख्य कारण तीव्र आकांशाओं और इच्छाओं की अतृप्ति है। नार्मल लाइफ में भी देखा जाता है जब आपके मन में कोई नयी योजना या कुछ करने का विचार आता है तो उसके पूरा करने तक इंसान बैचैन हो जाता है और अगर किसी कारण से वो इच्छा या लालसा पूरी नहीं हो पा रही है या हमे लगता है की हमारी ये योजना या इच्छा अधूरी रह जाएगी तो हमारी कई रातों की नींद उड़ जाती है। प्रेत योनि भी ऐसी ही अशांति और अतृप्त स्तिथि से भरी जीवन दशा का नाम है।
जो व्यक्ति भूखा, प्यासा मरता है, सम्भोग सुख से वंचित रहकर मरता है, गुस्सा, लोभ, वासना आदि लेकर मरता है वह निश्चित तौर पर भूत बन कर भटकता रहता है। जो इंसान एक्सीडेंट में, आत्महत्या करके या जिसकी हत्या की गयी हो ऐसे लोग भी भूत बनकर भटकते रहते है। ये भूत प्रेत हमेशा भटकते रहते है इन्हें शांति नहीं मिलती है इन्हें खाने और पीने की बहुत इच्छा और लालसा रहती है लेकिन इन्हें तृप्ति नहीं मिल पाती है। ये किसी घर में या जंगलों में भटकते रहते है और मुक्ति दिलाने वाली की खोज करते रहते है।
अच्छी और बुरी आत्माएं दोनों ही ऐसे लोगों को तलाश करती है जो उनकी वासनाओं की पूर्ती कर सके। अच्छी आत्माएं अच्छे कर्म करने वाले की तलाश करती है उसी के अनुरूप आत्मा उनमें प्रवेश करती है और तृप्त होकर उसे भी तृप्त करती है।
अधिकतर लोगों को इस बात का पता ही नहीं चल पाता है। बुरी आत्माएं बुरे इंसान के माध्यम से तृप्त होकर उसे और बुराई, कुकर्म करने के लिए प्रेरित करती है और उस इंसान को पता ही नहीं चल पाता की कोई दूसरी शक्ति उसपर राज कर रही है और उसे बुरे कर्मों में लिप्त कर रखा है। इसीलिए धार्मिक होना, भगवान् की पूजा पाठ आदि में लिप्त होना जरूरी है ऐसा बताया गया है ताकि आपका मन, गुण आपके कर्म पवित्र और साफ़ हो। तभी आप ऐसी आत्माओं से बचे रह सकते है।