8 सितम्बर 2024
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अपराजिता - जीवन की मुस्कराहटबड़े शहर से शादी करके आई अपराजिता जब से अपने ससुराल एक छोटे से गांव में आई तब से देख रही थी ससुराल में उसकी बुजुर्ग दादी सास का निरादर होता हुआ। ससुराल में उसके पति वि
"चांद पर तिरंगा"चंद्रमा पर आज तिरंगा फहरायेगा,हिंदुस्तानहर हिंदुस्तानी के चेहरे पर छायेगी,मुस्कानजब चंद्रमा सतह पर उतरेगा,हमारा चंद्रयानलड्डू बटेंगे,विश्वभर में होगा हिंद का गुणगानविक्रम लेंडर आज तेरा
शालिनी ( प्यारी सी बालिका ) बात हाल ही के कुछ वर्ष पहले की है । जब हमारे विद्यालय में शालिनी का प्रवेश कक्षा एक में हुआ था । एक बहुत सुंदर - सी, बहुत प्यारी - सी और विद्यालय का गृह कार्य समय पर क
"अम्मा! बच्चा तो बच गया है, पर उसकी माँ को नहीं बचा सके! काफी प्रयास किया टीम ने", आप्रेशन थियेटर से बाहर निकल दादी को ढ़ाढ़स बँधाते हुए बताया नर्स ने। "ओ इज्या मेरि, मेरि आब् कमरै टुटि गे" कहते हुए द
एक चांद आसमान में, दूसरा जमीं पर खिला,दोनों की रौशनी से, जग सारा हीरा बन गया।आसमानी चांद की चमक, जमीं के चांद का प्यार,इन दोनों के मिलन से, सजी रात की बहार।सितारे भी शर्मा गए, इस रोशनी के आगे,एक चांद
तुम्हें देखते ही ये दिल बेकरार होने लगता हैतेरी चाहत पर मुझे इक़रार होने लगता है
अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे, इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए।
नज़र समय पे रखना दोस्त, सुइयां घूमना शुरू हो चुकी है!