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आज कहाँ गुम हुई री गुंजा झलक दिखलाती नहीं गलियारों में।।

hindi articles, stories and books related to Aaj kahan gum hui re gunja jhalak dikhlati nahin galiyaron men।।


"गीतिका"काश कोई मेरे साथ होता तो घूम आता बागों बहारों मेंबैठ कैसे गुजरे वक्त स्तब्ध हूँ झूम आता यादों इशारों में पसर जाता कंधे टेक देता बिछी है कुर्सी कहता हमारी हैराह कोई भी चलता नजर घूमती रहती खुशियाँ नजारों में॥प्यार करता उन दरख्तों को जो खुद ही अपनी पतझड़ी बुलाते हैं आ

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