मेरे शहर की गली में रहता था बचपन
और अगली मोड़ में रहती थी खुशी,
वो हर सुबह - शाम मिलते थे अक्सर
उन दोनों में थी काफी गहरी दोस्ती,
बचपन का था थोड़ा रूखा स्वभाव
छोटी सी बात में गरम होता उसका भाव,
खुशी थी होशियार बचपन से था उसे प्यार
उसे हंसाने चली आती सारे काम छोड़-छाड़,
संग-संग करते मस्ती तो कभी-कभी करते लड़ाई
पर कोई भी लड़ाई उनमें दूरी बना नहीं पाई,
जब भी मन होवे खुश याद दिला दे बचपन
जब याद आए बचपन खुश हो जाए मन
मेरे शहर की गली में रहता था बचपन
और अगली मोड़ में रहती थी खुशी,
वो हर सुबह - शाम मिलते थे अक्सर
उन दोनों में थी काफी गहरी दोस्ती |