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रक्षा बंधन

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~~बनारस~~ घाट जग चुकी है। एक जादू सा प्रतीत होता है, अंधकार को चीरता हुआ सूरज, एक नवीन ऊर्जा और जीवन को लेकर  उदयाचल की ओर से आगमन करता है। गंगा की लहरें किनारों से टकराकर, पुनः पुनः परावर्तित

लोग जल जाते हैं मेरी मुस्कान पर क्योंकि,मैंने कभी दर्द की नुमाइश नहीं की... ज़िंदगी से जो मिला कबूल किया,किसी चीज की फरमाइश नहीं की... मुश्किल है समझ पाना मुझे क्योंकि,जीने के अलग अंदाज हैं म

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शब्द ही सबसे बड़े गुरु हैं ।   कभी गौर कीजियेगा ।  गुरु गोविंद दोउ खड़े,  काके लागूं पाएं  बलिहारी गुरु आपकी,  जिन गोविंद दियो बताय । उपरोक्त में "बताय" शब्द का क्या मतलब है।  किसी ने बताया।

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कविता का संसार गढ़ना है, बन प्रेरणा चले आओ, हाँ, मुझे उड़ना है, तुम पँख बनकर लग जाओ । देखना है मुझे, उस क्षितिज के पार क्या है, जानना है मुझे, सपनों का सँसार क्या है । कल्पना के संसार में,

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 रक्षा बन्धन 2023 का मुहूर्त   भारत में पर्व-त्यौहारों का विशेष महत्व है । कोई न कोई त्यौहार साल भर लगा ही रहता है | किन्तु श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला रक्षा बन्धन का पर्व एक ऐसा पर

बिंदु , मुक्ता ,राकेश   और हेमलता   दोस्त  हैं ! वह सब हर महीने एक दिन किसी के घर पर मिलते हैं ! आज सब मुक्ता  के घर मिलने वाले हैं ! सब उसके घर आतें हैं सब खुश हैं वहां आतें हैं तो देखते हैं की मुक्त

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  भीगे मन को भीगा सावन, सूखा-सूखा लगता है ।  मूक अधर, सूनी नजरों से, चौपाल भला कब सजता है ।   आँखों की कोरें भीगी हों  तो क्या करना सावन का,  मन में यदि न उम्मीदें हों  तो क्या करना सावन का, 

बहना की चिठ्ठी...नहीं चाहिए हिस्सा भैयामेरा मायका सजाए रखनाराखी और भाई दूज परइंतजार बनाए रखनाकुछ ना देना मुझको चाहेबस अपना प्यार बनाए रखनापापा के इस घर मेंमेरी याद सजाए रखनाबच्चों के मन में मेरामेरा म

रक्षा बंधन पर्व आया, लाए खुशियां हजार।भाई बहन पर्व लाया, नेह स्नेह दुलार।।नेह स्नेह दुलार, मेवा मिष्ठान भंडार।राखी रोली सजा, थाल सजाई अपार।।कर में राखी बंधा, रेशम का धागा प्यार।मां भी बलाए लेती, भाई ब

रक्षा बंधन त्यौहार आया।भाई बहन का प्यार आया।।खुशियां लेकर अपार लाया।हर पल साथ में प्यार लाया।।रोली चंदन  राखी  मिठाई।थाल सजाकर लाई  भाई।।टीका लगाकर तुमको भाई।कलाई  भी  सजानी&n

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