नमस्कार दोस्त ,
फिर से हाजिर हु आप के लिए नई रचना लेकर - आज की इस रचना को विषय है बचपन की दोस्ती , ऐ विषय और टैग मेरा बहुत पसंदीदा विषय है , इस विषय पे मेरी एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है " लंगोटिया यार" . आप अमेज़न किंडल पर फ्री मे पढ़ सकते है और हिंदी शब्द पर भी उपलब्ध है आप यहां से भी खरीद सकते है।
शुरू करते है आज का लेख
दोस्तों ये कहानी है मेरे सबसे अच्छे दोस्त की जो आप को अपने बचपन की याद दिला देगी ऐसा मेरा मानना है -
बचपन , बचपन की यादें सबसे यादगार और अविस्मरणीय होती हैं। हर किसी ने बचपन मे हर पल का आनंद लिया है स्थिति जो भी रही हो। मेरा भी बचपन का एक बहुत ही अच्छा दोस्त है और मैं उन अद्भुत दिनों को कभी नहीं भूल पाऊंगा जो बचपन में उस के साथ जिए है । वह मेरे लिए बहुत कीमती हैं और मैं उसकी दोस्ती को बहुत महत्व देता हूं। सच में, वह मेरा सबसे अच्छा और सच्चा दोस्त है, थोड़ा लालची है लेकिन हमेसा साथ खड़ा रहने वालो में से है।
"के.के "... मेरा चड्डी बड्डी यार। हमारी दोस्ती का चर्चा होता है आज भी मेरे गांव में। कुछ सालो पहले एक फिलम आयी थी " साड्डा अड्डा " वो फिल्म देखना हमारी दोस्ती उस फिल्म के करेक्टर के जैसी है.
क्या वास्तव में उस दोस्ती की तरह है जिसे हम साझा करते हैं। बचपन से हम साथ है उम्र तो याद नहीं है ..। उसका सेंस ऑफ ह्यूमर कमाल का है , मुझे हंसाने की और मोटीवेट करने की क्षमता है उस मे और उस से देखभाल करने वाले स्वभाव ने उसे आंतरिक रूप से उतना ही स्मार्ट और हैंडसम बनाया है. उस के इस ह्यूमर ने मेरी और उस की दोस्ती में और चार चाँद लगा दिए । हमारा बचपन में दोपहर के समय घर से निकल जाना और खेलना बहुत मजेदार था उसे मै आज तक भी नहीं भुला पाया हु ।
एक बार की बात है हम दोनों घर से खेलने के लिए निकल गए जेठ का महीना रहा होगा ( अप्रैल / मई) गर्मी बहुत अधिक थी जमीन तप रही थी। हां एक बात और बताना मै आप को भूल गया गांव मे गर्मी के दिनों में दोपहर मे सब लोग आराम करते है कुछ लोग सो भी जाते है।
एक दिन के.के मुझे खेलने के लिए बुलाने आता है , उस समय मै अपनी माँ के साथ कमरे में लेटा हुवा था, मेरे सिलीपर मेरी माँ की चारपाई ( खाट) के दूसरे साइड खुले हुए थे , बात याह अटकती है की अगर मे अपने सिलीपर लेने उस साइड जाता हु तो मेरी माँ की नींद खुल जाएगी और फिर घर से बहार जाने नहीं देगी , तो मै ऐसे ही नंगे पाव घर से निकल गया , घर से थोड़ा दूर जाते ही जमीन बहुत गरम थी तो पैर जलने लगे थोड़ी देर मे चलना दुस्वार हो गया, तभी मेने देखा की के.के. बरगद के पेड़ से उस के पत्ते तोड़ रहा है मुझे बहुत बुरा लगा मेरे पैर जल रहे है और वो बरगद के पत्ते तोड़ रहा था .........
लेकिन मेरा छोभ कुछ ही समय के लिए रहा, कहे की मेरी नाराजगी थोड़े टाइम में ही गायब हो गई जब देखा की के.के बरगद के पत्ते लेकर मेरी तरफ ही आ रहा था , मेरे पास आते ही मुझे पत्ते देते हुए बोल ये पकड़ और अपने परो से बांध ले फिर पैर नहीं जलेगे तेरे मेने ऐसा ही किया और फिर आगे बढ़ गए जहां हमे पहुंचना था खेलने के लिए। ऐसे बहुत सारे किस्से है मेरे और कमल के कभी आप ये हमारे लाइव प्रोग्राम में तो सुनाएंगे।
आज कल हम जब भी मिलते है अपना लंच , डिनर ब्रेकफास्ट सब शेयर करते हैं। वह मेरी भावनाओं का सम्मान करते हैं और हमेशा मेरी मदद करता है , मै भी उनका सम्मान करता हु , उस की मदद के लिए तैयार रहता हु । मुश्किल समय में भी उसका चेहरा हमेशा मुस्कुराता रहता है और अपनी मुश्किलों को कभी अपने चेहरे पर नहीं आने देता। मैं उस पल को कभी नहीं भूलता, जब उस ने अभी कुछ सालो पहले २०१८ मे मेरी मदद की जब मेरे साथ कोई नहीं था तो वो मेरे साथ खड़ा था और हमेशा मदद के लिए तैयार रहता है। हमारी पसंद-नापसंद कभी कभी मेल नहीं भी खाती लेकिन हम फिर भी सबसे अच्छे दोस्त हैं।
हर किसी को सच्चे और अच्छे दोस्त मिलना बहुत कठिन होता है लेकिन अगर कोई मिल जाए तो वह बड़ी भीड़ में बहुत भाग्यशाली हो जाता है। एक अच्छा दोस्त जीवन का एक दिव्य और सबसे कीमती उपहार है। सच्चा मित्र मिलना दुर्लभ है और जीवन की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में गिना जाता है। मैं उतना ही खुशनसीब हूं जितना बचपन से मेरा अच्छा दोस्त है।
लंगोटिया यार पुस्तक का यूआरएल निचे दिया है आप मेरी और कमल की दोस्ती के बारे मे और पढ़ सकते है - लंगोटिया यार : डिजिटल ढक्कन और दोस्त