जो उनके खेलने की उम्र में उनसे खेल जाते हैंबताइये इतनी दरिंदगी कहाँ से लाते हैंनासमझ ने गुड्डे को गिर जाने पर बड़े प्यार से सहलाया थावो गुड्डे-गुड़ियों को गिराते हैं फिर नोच जाते हैं।वो जो सबकी नाक में दम कर देता थाउसके चेहरे की शरारत को गुम क्यूँ पाते हैंव्यस्त ज़िन्दगी