27 सितम्बर 2019
🥀🥀🥀🥀गुलाब🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀तेरी हीं अद्भुत रचना मैं हूँ🥀🥀🥀खुशबू फैला कर मुरझा जाता हूँ🥀🥀सिंचित करता वनमाली पर,🥀🥀अनजाने में चुभ पीड़ा पहुँचाता हूँ🥀🥀चाहा मगर, काँटों को छुपा नहीं पाता हूँ🥀🥀🥀🥀डॉ. कवि कुमार निर्मल 🥀🥀🥀