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A Dinner Night

Ashita Sharma

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ये मेरी पहली कहानी है जो मैं लिखने जा रही हूँ ! मेने यहाँ बहुत सी कहानियां पढ़ी हैं उन सभी कहानियो से प्रेरित होकर मुझे भी मेरी कहानी लिखने का मन हुआ | ये दिन भी मेरे लिए हमेशा की तरह थकान भरा और उबाऊ दिन था! मेरे कदम हमेशा की तरह ऑफिस से डांस क्लास की और बढ़ रहे थे! आज डांस क्लास में दी भी आये थे| इन दी से में अपने हॉस्टल के दिनों में ही मिली थी और ऐसा लगता है जैसे सदियों से एक दूसरे को जानते हों| जब मैं उनसे पहली बार मिली थी तब मुझे याद है की मैं अपने बिस्तर के एक कोने में लेट कर रो रही थी और वो वही थी जिन्होंने मुझे चुप कराया और सही रास्ता दिखाया तब से हम साथ थे| और हमारा तालमेल दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा था| हम अपनी बहुत सी बाते शेयर करने लगे थे और इन बातों ही बातों में हमने जाना की हम तो बहुत ही मिलते जुलते हैं| मैं डांस कर रही थी और वो मुझे दूर से देख रही थी| शायद वो मुझे देख के मन ही मन मेरी कोशिशों की सराहना कर रही थी|क्योकि मैं बीमार थी और मैं अपनी जिद में बस नाचे जा रही थी | मैं अपनी क्लास खत्म करके उनके पास आयी और मेने पूछा कैसा था? उन्होंने हाथ से इशारा करके कहा एक दम बढियाँ| मैंने मजाकिया अंदाज में कहा क्या दीदी आप भी मुझे पता है अच्छा नहीं था और दोनों हंस पड़े और साथ चाय पिने चल पड़े | उन्होंने मुझसे मेरी तबियत का हाल लिया मैंने कहा सब बढियाँ है और चाय पिके और बढियाँ | हम चाय की चुस्कियां ले ही रहे थे की अचानक उनके पास एक कॉल आया | वो बातों में मशगूल हो गए और में भी सुन के हंसी में सर हिलाये जा रही थी| कुछ देर की बातचीत के बाद उनका कॉल कटा और उन्होंने कहा की उनका एक दोस्त आ रहा है डिनर के लिए तो आज खाना बाहर ही खाना है| मैंने पूछा कोनसा दोस्त है उन्होंने कहा ये मेरा दिल्ली वाला दोस्त है जो एक बार पहले भी आया था| मैंने अपनी याददास्त पर थोड़ा जोर डाला और मुझे याद आया की बहुत टाइम पहले जब मेरे घर से जयपुर रहने के लिए आयी थी और तब ये दिल्ली से आये थे और हम उस दिन भी डिनर के लिए गए थे और उन्होंने मुझे अपने हाथों से एक निवाला खिलाया था जिससे मेरी आँखे भर आई थी| ऐसा शायद इस लिए हुआ क्योकि उन दिनों मैं सबसे करीबी इंसान को खो चुकी थी और उनके उस निवाले ने उनकी याद दिला दी और इस वजह से उस मुलाकात की छाप कहीं ना कहीं रह गयी थी| पर उस मुलाकात को आज एक साल हो गया था तो याद थोड़ी धुंधली हो गयी थी| लेकिन आज फिर से वो डिनर नाईट वो इंसान मेरे सामने आने वाला था| मन में एक तहलका सा मच गया था|और कॉल कटने के बाद हमारे कदम रूम की और बढ़ने लगे|वो जो मेरे अंदर चल रहा था मैं दी के सामने नहीं दिखा पा रही थी लेकिन मन में जो उनकी छवि थी और उसको याद करते करते मैं तैयार हो रही थी| अचानक फिर से फ़ोन बजा और ये वही ही थे| हम हमारे रूम से निकले और वो हमारा इंतजार कर रहे थे| हमने आपस में सभी को हाई हेलो किया| फिर हम उनकी बाइक पर बैठ कर रेस्टॉरेंट की और निकल पड़े| मैं उनके सामने थी| और हम आपस में बाते कर रह थे|थोड़ी देर की बातचीत के बाद हमने खाना आर्डर किया| हमने बहुत सारी इधर उधर की बाते की और मैं बस उन्हें सुने जा रही थी और मुस्कुराये जा रही थी| जो लड़की बिना बोले एक मिनट नही रह सकती वो आज बिलकुल चुप थी| पता नहीं एक अलग सी चमक थी उनके चेहरे पे की किसी भी इंसान को अपनी और खींच ले| और कही ना कही ये चमक मुझे भी उनकी ओर खींचे जा रही थी| और इसी बीच खाना हमारे सामने| पिछली बार की तरह इस बार भी मेने सोचा की शायद उनका हाथ मुझे खिलाने के लिए बढे लेकिन मैं बस इंतजार करती रह गयी पर इस बार ऐसा नहीं हुआ|खाना खाते खाते वो मुझे पुरानी बात याद दिला रहे थे| जब वो दिल्ली से यह आने वाले थे तब एक दिन रात को उनका कॉल दी के पास आया था| तब दी उनसे बाते कर रही थी तो उस दिन मजाकिया मिजाज के चलते वो दी से बोल रहे थे यार लाइफ बड़ी बोरिंग हो गयी है तेरी कोई फ्रेंड है तो बात करा दे| दी ने भी मजाक मजाक में मेरा नाम ले दिया| और फ़ोन मेरी साइड कर दिया | अब उनके साथ लाइन पर मैं थी और उनसे मेरी बात शुरू हुई| वो बिलकुल मजाक के मूड में थे| और जब उनसे मेने बात शुरू की तो ऐसा लगा की बड़ी ही अलग पर्सनालिटी है | उस आवाज के पीछे चलते चलते मेने उनकी बातों का जवाब बड़े ही मस्त अंदाज में दिया|उनको मुझे सुनके ऐसा लगा की यार बंदी बड़ी जबरदस्त है तो उन्होंने कहा क्यों ना एक ऐसा रेलशनशिप शुरू किया जिसमें खूब सारा प्यार और तकरार हो|कोई उम्मीद ना हो और बस लाइफ को अलग अलग फन करके मजेदार बनाया जाये|उन्होंने ये बात मेरे सामने रखी और मैंने भी डेरिंग दिखाते हुए हामी भर दी|क्योकि तब तक सिर्फ मजाक ह चल रहा था| मुझे याद है वो १० फेब्रुअरी की बात है| तो तू १४ फेब्रुअरी को तैयार रहना मैं आ रहा हूँ उन्होंने मुझसे कहा| हाँ हाँ कोई दिक्कत नहीं है आ जाना मैंने जवाब दिया| १४ फेब्रुअरी की रात आई मैं हमेशा की तरह अपने ऑफिस से निकली| उनके आने की बात मेरे दिमाग से निकल चुकी थी| जैसा की ये १४ फेब्रुअरी था तो सभी अपने पार्टनर के साथ इस दिन को खूब एन्जॉय करते है तो मैं भी सबको देखते आ रही थी| किसी के हाथ में लाल गुलाब तो किसी के हाथ में तोहफे| ये सब देख के मेरे अंदर भी कुछ अरमान जाग गए| मैंने भी सोचा की काश अपनी भी जिंदगी में कोई ऐसा होता और इस दिन को स्पेशल बना पाता|जैसे की हर लड़की सोचती है फिल्मी हीरो जो अपनी हेरोइन के लिए करते है|एक सरप्राइज डेट बहुत सारा रोमांस और खूब सारी हसीन यादें|वो रेड कलर की ड्रेस वो तुम्हारी एंट्री पर तुम्हारे ऊपर रोजेज का गिरना वो धीमे धीमे रोमांटिक सांग पर डांस करना फिर साथ बैठ के एक दूसरे को खिलाना चिढ़ाना|एक परफेक्ट वेलेंटाइन नाईट|इन्ही ख्यालो में खोई हुई थी की बस आ गयी और इस बस ने भी याद दिलाया की बेटा तू ख्वाब ले रही है और इनसे बाहर आ जा| और मैं रूम पर पहुंची हमेशा की तरह दीदी मेरा रूम पर इंतजार कर रहे थे| मैंने कहा किसी का फ़ोन आया|उन्होंने ना में सर हिलाया और फिर यही सवाल मुझसे पूछा और मैंने भी ना में सर हिला दिया और दोनों खामोश| चारो तरफ शांति थी और उस शांति में हम खो गए और दोनों को पुरानी यादों ने घेर लिया|और कुछ देर की ख़ामोशी के बाद हमने सोचा हमे किसी की जरूरत नहीं है खुश रहने के लिए|तो हम उठे और निकल पड़े इस दिन को खास बनाने|हमने खूब मजे किए और ठंडी में ठंडी आइस क्रीम का मजा लेके दुनिया को देखते अपनी मस्ती में मलंग हो कर रूम पर आ गए| दिन निकल रहे थे और वो कॉल भी धीरे धीरे दिमाग से निकल चूका था|और आज 7 मार्च था जब वो हमारे सामने आये थे|ये सब बातें याद दिलाने के बाद मैंने उनसे कहा बड़ा टाइम लगा दिया आने में|अच्छी चीजे वक़्त लेकर ही होती है|उनकी इस बात को सुनके मैं उनको बड़े अचम्भे से देखने लगी|उनकी बाते सुनके ऐसा लग रहा था की शायद ये वही हो जिसका मुझे इंतजार था|बातों बातों में खाना खत्म हुआ और वो हमे वापस छोड़ने आ रहे थे|मेरा बुखार बढ़ रहा था रस्ते में देखती आ रही थी लेकिन सभी मेडिकल बंद हो चुके थे और डर लग रहा था की कही रात को और बीमार ना हो जाऊ|हम सब साथ थे तो इस चीज का जिक्र मैंने नहीं किया|अब टाइम आ गया अपने अपने घर चलने का उससे पहले हम सब फिर से बातों में लग गए| तो तुमने बताया नहीं क्या ख्याल है रिलेशनशिप को लेके उन्होंने मुझसे पूछा| बड़ा ही नेक ख्याल है मैंने जवाब दिया| तो शुरू करे?? बिल्कुल फिर हमने नंबर एक्सचेंज किये| अब जाने का टाइम हुआ तो वो बोले चलो अब चलते है तो उन्होंने दी को बाय हग किया और फिर मेरी और बढ़े तो मैं पीछे हो गयी| अरे ये तो नार्मल है जैसे मैंने मेरी फ्रेंड को किया ये देख उन्होने फिर से दी को हग करके दिखाया पर अभी भी मैं नहीं मानी तो उन्होंने कहा तो एक ड्राइव मैंने कहा हाँ ये ठीक है फिर मैं चलती हूँ दी ने कहा हाँ ठीक है उन्होने कहा (फिर मैं उनके साथ बाइक पर बैठी) कहाँ चले?? उन्होंने मुझसे पूछा मैंने कहा आप जानो आइस क्रीम या कॉफ़ी उन्होंने पूछा कॉफ़ी एक काम करते है मेडिकल शॉप चलते है तुम्हारी तबियत खराब है सो दवाई ले आते है मैं एक पल के लिए चुप हो गयी और मैंने उनको देखा और समझ नहीं आया की कैसे जो भी उस लम्हे में मैंने जो भी महसूस किया वो अब तक शब्दों में आना पॉसिबल नहीं है | फिर हमारे काफी ढूंढने पर एक मेडिकल शॉप हमें खुली मिली फिर वहां से दवाई लेके हम वापस आ रहे थे तो उनके इस रूप को देखते हुए मेरा मन हुआ की उनके कंधे पर हाथ रख लू पर खुद को रोक लिया | और अब बाइक रूम के आगे रुकी और उन्होंने कहा अब एक हग मिल सकती है मैं उनकी उस बात में इतना खोयी हुई थी की मैंने कहा हम्म ओके नहीं अब मैं नहीं कर सकता मैंने पूछा क्यों मेरी फ्रेंड जा चुकी है अगर वो होती तो कर लेता मगर अब ऐसा लगेगा की फ़ायदा उठाया है मैं एक बार फिर से सहम गयी और उस पल को और उस पल और सामने वाले इंसान को बस अपनी आखों में भर लेना चाहती थी| to be continue..................  

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