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पाँचवा सीन

25 अप्रैल 2023

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अजय जंगल में पहाड़ के पास जाकर बैठ जाता है वहां बेड का सोचने लगता है कि आज मेरे जीवन का आखरी दिन है और इस संसार से विदाई ले लूंगा क्योंकि ऐसे जीवन किसी मतलब का नहीं है जिसमें उसकी औलाद उसे अपने घर में रहने के लिए जगह भी ना दे सके. अजय बैठकर अपने बच्चों के बचपन को याद कर रहा है कि बच्चों की हर डिमांड को पूरी करने के लिए देर रात दिन मेहनत करता था और अपनी सब जरूरतों में कटौती करके अपने बच्चों की पूर्ति करता था और अपनी पत्नी सरिता को भी अपने बच्चों की खातिर पूरी तरह से सुख नहीं देख पाया वह मेरे से दूर चली गई बहुत दुख है मुझे इस बात का कि मैंने अपनी औलाद के लिए बहुत किया लेकिन आज मेरी औलाद ने अपने स्वार्थ के लिए मुझे ही छोड़ दिया. सच आज मेरी समझ में आ रहा है कि जितने भी माता-पिता हैं हमेशा अपने लिए कुछ ना कुछ संपत्ति बचा कर रखें अपने बच्चों से अलग ताकि वह अपने जीवन के अंतिम क्षणों को उसके साथ बिता सकें क्योंकि अलग से संपत्ति होगी तो बच्चे उसकी सेवा जरूर करेंगे और यदि संपत्ति नहीं होगी सब कुछ अपने बच्चों को दे देंगे तो वह  बच्चे अपने माता-पिता को घर से निकाल देंगे जैसे मेरे साथ उन्होंने किया है. विचार और मजबूत होते जा रहे हैं अपने मन से कह रहा है सरिता चिंता मत करो मैं भी जल्दी तुम्हारे पास आ रहा हूं. तभी अजय के फोन पर एक फोन आ जाता है अजय फोन उठाता कहता है" कौन बोल रहा है? " उधर से आवाज आती है" मैं तुम्हारा दोस्त बोल रहा हूं अजय तुम कहां पर हो? " अजय कहता है "मैं कुछ काम से आया हूं बताओ कोई काम है क्या" अजय का दोस्त कहता है" नहीं दोस्त मेरा मन कर रहा था तुमसे मिल लूं तुम्हारी बहुत याद आ रही थी इसलिए फोन कर लिया." अजय उसकी बात सुनकर रोने लगता है वह कहने लगता है "यार तुझे मेरी याद आ रही थी लेकिन दोस्तों मैं तो किसी के कोई काम का नहीं हूं मैं तो बेकार हो गया हूं आज मेरी औलाद ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया है और कहां है मंदिर पर जाकर सो जाया करो. पर मैं मंदिर पर सोने की जगह पर जंगल में आ गया हूं आज मैं अपने आप को मारकर आत्महत्या कर लूंगा". अजय की बात सुन कर कर उसका दोस्त बोला "ऐसा मत करना मेरे भाई तुमने तो हमेशा सब हिम्मत बढ़ाई है ऐसी गलती कैसे कर सकते हो" अजय ने जवाब दिया" क्या करूं दोस्त मेरे बच्चों ने मेरी हिम्मत तोड़ दी है" तभी  इतना कहते ही मोबाइल स्विच ऑफ कर देता है

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रचनाएँ
आधुनिकता (पिता जरूरत या बेकार)
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एक पिता अपने जीवन के सब सुनहरे पलो को छोड़ देता हैं अपने बच्चों को कामयाब बनता हैं और पिता की कीमत उससे पूछो जिसके पिता नहीं हैं
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पहला सीन

25 अप्रैल 2023
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अजय अपनी पत्नी के साथ बैठा हैं और उसके तीनों लड़के खेल रहें हैं. अजय अखवार पढ़ रहा हैं तभी अजय की पत्नी सरिता आ जाती हैं और चाय साथ लाती हैं &

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दूसरा सीन

25 अप्रैल 2023
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अजय बैंक में बैठा हैं और बैंक मैनेजर का इंतजार कर रहा हैं और कुछ सोच रहा हैं &nbsp

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तीसरा सीन

25 अप्रैल 2023
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अजय का लोन हो जाता है और अजय अपना मकान बनवा लेता है और उसके बच्चे बड़े हो गए हैं और बच्चे पढ़ लिख कर नौकरियों पर चढ़ गए हैं आज है उनकी शादी भी कर देता है सरिता का देहांत हो जाता है अजय बहुत दुखी

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चौथा सीन

25 अप्रैल 2023
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अजय अकेला बैठा है और बहुत दुखी हो रहा है अपने मन की बात किससे कहें अपनी अपनी पत्नी को बार-बार याद कर रहा है और आजकल की आधुनिक बच्चों को देख रहा है कि एक पिता ने अपना पूरा जीवन अपने बच्चों के लिए

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पाँचवा सीन

25 अप्रैल 2023
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अजय जंगल में पहाड़ के पास जाकर बैठ जाता है वहां बेड का सोचने लगता है कि आज मेरे जीवन का आखरी दिन है और इस संसार से विदाई ले लूंगा क्योंकि ऐसे जीवन किसी मतलब का नहीं है जिसमें उसकी औलाद उसे अपने घर में

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छठवा सीन

26 अप्रैल 2023
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अजय बैठ कर सोच रहा है तभी वहां पर एक कार रूकती है कार में से 28 साल की उम्र का एक लड़का जो शक्ल से बिजनेस में लग रहा है उतरता है और कार का दरवाजा खोलकर उसका ड्राइवर बाहर आ जाता है लड़का ड्राइवर से इशा

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सातवा सीन

26 अप्रैल 2023
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अजय शांत बैठा है फिर अचानक उठता है अजय पहाड़ की ओर जाने लगता है सोचता अब मैं आत्महत्या कर लेता हूं और अपनी जीवन से छुटकारा पा लेता हूं क्योंकि मेरा जीवन सबके लिए बेकार है और संहिता कुछ देर में मैं तुम

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आठवॉ सीन

26 अप्रैल 2023
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अजय की कहानी सुनकर ड्राइवर राजा की आंखों में आंसू आ जाते हैं राजा कहता हैं “सच में आपके बच्चों ने आपके साथ गलत किया है ऐसे बच्चों को नहीं करना चाहिए अपने पिता को इतना परेशान नहीं करना चाहिए “ ड्राइवर

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नौवा सीन

26 अप्रैल 2023
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बोलना शुरू करता कहता है “बाबूजी जब मैं छोटा था मेरी मां का देहांत हो गया मेरे पिता ने मां और बाप दोनों की जिम्मेदारी निभाई और मुझे हर प्रकार की सुविधाएं दी रात दिन मेहनत करके मेरे लिए कमाया और मुझे ला

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दसवा सीन

26 अप्रैल 2023
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बात करते-करते ड्राइवर कहता है” रात ज्यादा होती जा रही है घर चलना है” तभी अजय घड़ी देखता कहता है “हाँ बच्चों रात ज्यादा हो रही आप लोगों अपने घर चले जाओ मेरा क्या है मैं तो यहां बैठा रहूंगा”अजय कहता है

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