बात करते-करते ड्राइवर कहता है” रात ज्यादा होती जा रही है घर चलना है” तभी अजय घड़ी देखता कहता है “हाँ बच्चों रात ज्यादा हो रही आप लोगों अपने घर चले जाओ मेरा क्या है मैं तो यहां बैठा रहूंगा”अजय कहता है “आप यहां बैठे रहोगे और हमारे जाने के बाद फिर से आत्महत्या करने की कोशिश करोगे” अजय कहता है इसके अलावा मेरे पास कोई चारा भी तो नहीं है मैं कहां जाऊं क्या करूंगा अपनी कैसे व्यतीत करूंगा”. सोचने के बाद अजय कहता है “मैं पिता की तलाश के लिए यहां बैठता हूं अपने पिता को याद करता हूं हो सकता है मेरे पिताजी ने ही आपको भेजा हो आप के रूप में इसलिए आज से आप मेरे पिता हो आप मेरे घर चलो वहीं पर रहना मेरा ख्याल रखना मेरे बेटे का भी ख्याल रखना और रोज मुझे डांटना मुझे मेरे पिता के जाने का एहसास ना हो और मैं और मेरी पत्नी और बेटा आपका भी ख्याल रखेगा और आपको आपका बेटा मिल जाएगा मुझे मेरे पिता मिल जाएंगे.” इतना सुनते ही ड्राइवर खुश होकर कहता हैं “अरे वाह इस तरह से एक दूसरे के सहारा बन कर जीवन भी कट जाएगा और अच्छा भी लगेगा और जीवन का यही आधार एक दूसरे के पूरक बनकर जिंदगी को जीना” शांत हो जाता है और चुप हो जाता है खड़ा हो जाता है और कहता है नही बेटा आप दोनों अपने घर जाओ आपने मुझे अपने पिता का दर्जा दिया यहीं मेरे लिए बहुत है हमेशा यादगार बना रहेगा . जिद करने लगा. तभी राजा की पत्नी का फोन आ जाता है राजा अपनी पत्नी का फोन उठाकर से बातचीत करने लगता है और पूरी घटना बता देता यह सुनकर की पत्नी बहुत खुश हो जाती है और कहती है जल्दी से बाबूजी को कर ले आओ हमारा परिवार पूरा हो जाएगा. राजा और उसकी पत्नी की बात सुनकर अजय और वह राजा का हाथ पकड़ लेता है चलो बेटा घर पर बहु इंतजार कर रही है राजा खुश हो जाता है और बाबूजी का हाथ पकड़ता है और चलने लगता है ड्राइवर दौड़कर की ओर जाने लगता है कार स्टार्ट करता है तीनों बैठते हैं कार जंगल से बाहर की ओर जाने लगती है.
मैं लेखक हूँ कहानियां लिखता हूँ कविता लिखता हूं बैस्ट मोटिवेशन स्टोरी राइटर का अवार्ड ब्रिज फेस्टिवल वृंदावन में मिला है मैंने ओपन माइक पर भी परफॉर्मेंस किया है D