अजय अपनी पत्नी के साथ बैठा हैं और उसके तीनों लड़के खेल रहें हैं. अजय अखवार पढ़ रहा हैं तभी अजय की पत्नी सरिता आ जाती हैं और चाय साथ लाती हैं सरिता :सुनो बच्चें बड़े हो रहें हैं और उनकी जरूरत बढ़ रही हैं अजय :बताओ क्या करू? सरिता :मैं चाहती हूँ कि हमारा भी अच्छा सा घर बन जाये. अजय :मैं भी चाहता हुँ कि हमारा घर बन जाये पर तुमको तो पता हैं मेरी प्राइवेट नौकरी हैं ज्यादा सैलरी नहीं हैं. सरिता :मुझे पता हैं पर बच्चों के लिए घर भी जरुरी हैं मेरा सपना हैं मेरे तीनों बच्चों के अलग अलग कमरे हों अजय :ठीक हैं मैं लोन लेता हुँ. सरिता खुश हों जाती हैं अपने बच्चों के पास जा कर उनको गले लगा लेती हैं बच्चे खुश हों जाते हैं. अजय अख़बार रख कर उठ कर कमरे में चला जाता हैं चेहरे पर जिम्मेदारी की चमक आ रही हैं तभी अजय का फोन आ जाता हैं वह फोन पर बात करने लगता हैं
मैं लेखक हूँ कहानियां लिखता हूँ कविता लिखता हूं बैस्ट मोटिवेशन स्टोरी राइटर का अवार्ड ब्रिज फेस्टिवल वृंदावन में मिला है मैंने ओपन माइक पर भी परफॉर्मेंस किया है D