बुरा समय आपके जीवन के उन सत्यों से सामना करवाता है ,जिनकी आपने अच्छे समय में कभी कल्पना भी नहीं की होती .आप के अच्छे समय मे आप के हितैसी बहुत होंगे, लेकिन जब भी तकलीफ का समय आएगा तब कुछ चुनिंदा
सृष्टी रचनाप्रभु प्रेमी आत्माऐं प्रथम बार निम्न सृष्टी की रचना को पढेंगे तो ऐसे लगेगा जैसे दन्त कथा हो, परन्तु सर्व पवित्र सद्ग्रन्थों के प्रमाणों को पढ़कर दाँतों तले उँगली दबाऐंगे कि यह वास्तविक अमृत
पाठकजनों ने अभी तक भाग-02 पढ़ा, अब भाग- 03 पढ़िए:- संतान होना या ना होना यह आपके पूर्व के कर्मों का फल है। यदि संतान को धर्म-कर्म का ज्ञान नहीं है तो वह चाहे कितनी ही नेक है, कभी न कभी गलती कर ही देगी
एक स्त्री थी जिसे 20साल तक संतान नहीं हुई।कर्म संजोग से 20वर्ष के बाद वो गर्भवती हुई और उसे पुत्र संतान की प्राप्ति हुई किन्तु दुर्भाग्यवश 20दिन में वो संतान मृत्यु को प्राप्त हो गयी।वो स्त्री हद से ज
एक राजा के पास राजा के गुरु आये । राजा ने बड़ा आदर सत्कार किया । एक बड़ी सर्वरा की थाली लेकर सुंदर रेशमी कपड़े और रेशमी जूता और धन थाली में डालकर गुरुदेव के सम्मुख रखा । तब गुरुदेव ने कहा राजन यह
एक अमीर आदमी अपने बेटे की किसी बुरी आदत से बहुत परेशान था. वह जब भी बेटे से आदत छोड़ने को कहते तो एक ही जवाब मिलता अभी मैं इतना छोटा हूँ..धीरे-धीरे ये आदत छोड़ दूंगा, पर वह कभी भी आदत छोड़ने का प्रयास
एक बार एक गांव में एक सज्जन पुरूष रहते थे, वे बहुत ही दयालू तथा हृदय ग्राही थे, किसी को भी कभी अपशब्द नहीं कहते थे। जो भी उनके घर आता वे अच्छे से उसका आथित्य सत्कार करते। लोग उनसे सलाह मशविरा लेने आया
18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस के रूप में मनाया जाता है. पुरसीवाडा (पंजाब) से आए पंडित रामचंद्र जी के तीन पुत्रों हकीम शिवनाथ जी, पंडित शिव प्रसाद जी और पंडित शिव सिंह जी द्वारा वर्ष 1800 म
बुरा समय आपके जीवन के उन सत्यों से सामना करवाता है ,जिनकी आपने अच्छे समय में कभी कल्पना भी नहीं की होतीआप के अच्छे समय मे आप के हितैसी बहुत होंगे, लेकिन जब भी तकलीफ का समय आएगा तब कुछ चुनिंदा ही दिखें
वह दोनों सगे भाई थे। गुरु और माता पिता के द्वारा शिक्षा पाई थी, पूजनीय आचार्यों से प्रोत्साहन पाया था, मित्रों द्वारा सलाह पाई थी। उन्होंने वर्षों के अध्ययन, चिन्तन और अन्वेषण के पश्चात जान
रिश्तों" की कदर भी पैसों की तरह ही करनी चाहिए क्यों कि दोनों को कमाना &
इतिहास कहता है कल सुख था..विज्ञान कहता है कल सुख होगा..लेकिन धर्म कहता है अगर मन सच्चा और दिल अच्छा है तो हर दिन सुख होगा...सुना है... नया सवेरा होंने वाला है... औऱ बदलते दिन के साथ वक़्त बदल जाता
यह सच है कि ब्रह्मांड में केवल एक ही समय है, जो कभी नहीं रुकता। वह हमेशा अपनी गति से चलता रहता है। उनके जीवन का एक-एक पल इतना कीमती है कि दुनिया का सबसे अमीर आदमी भी यह सब खर्च नहीं कर सकता।इस
संसार में कोई भी ऐसा मनुष्य नहीं है, जिसके कुल या वंश में कोई दोष अथवा अवगुण न हो। यदि गहनता से परीक्षण किया जाए तो प्रत्येक व्यक्ति के कुल में कोई--न--कोई दोष अवश्य निकल आएगा। इसी प्रकार संसार में को
तुम परमात्मा को अपना मित्र बनाओ हर घड़ी अपने को उसकी गोदी में बैठा हुआ अनुभव करो । यह मत सोचो कि वह अदृश्य है, शरीर धारी नहीं है, इसलिए उससे मैत्री किस प्रकार की जा सकती है ? जितना ही तुम उ
ब्रह्मा विष्णु तथा शिव भगवान की आयु गीता अध्याय 8 का श्लोक 17सहस्त्रायुगपर्यन्तम्, अहः,यत्,ब्रह्मणः, विदुः,रात्रिम्,युगसहस्त्रान्ताम्, ते, अहोरात्राविदः, जनाः।।17।।अनुवाद: (ब्रह्मणः) पर
मुलेठी का काढ़ा बनाकर ठंडा कर व छानकर दिन में ३-४ बार गरारा करने से मुंह व जीभ के छाले ठीक हो जाते है।हरे धनिया का रस मुंह के छालो पर लगाने और सूखे धनिये को पानी में उबालकर उस पानी को छान कर व ठंडा कर
डायरी दिनांक १७/०४/२०२२ दोपहर के तीन बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । मनुष्य जितना अधिक प्राकृतिक माहौल में रहता है, उतना ही स्वस्थ रहता है। आज भी गांव के लोग कम बीमार होते हैं। तथा बीमार हो जान
सबरी को आश्रम सौंपकर महर्षी मतंग जब देवलोक जाने लगे तब सबरी भी साथ जाने की जिद करने लगी।सबरी की उम्र दस वर्ष थी। वो महर्षि मतंग का हाथ पकड़ रोने लगीमहर्षि सबरी को रोते देख व्याकुल हो उठे! सबरी को समझाय
पाठकजनों ने अभी तक भाग-01 पढ़ा, अब भाग- 02 पढ़िए:- भविष्य के लिए कुछ नहीं किया। जिस कारण से उस व्यक्ति का मानव जीवन व्यर्थ गया। कबीर जी ने कहा है कि:- क्या मांगुँ कुछ थिर ना र