प्यार की सारे हदे भूल बैठी हु मैं
प्यार जताना नही आता मगर प्यार बेइंतहा है
तुम्हरे खुसियो के लिए कह तो दिया जाओ तुम
हम तुम्हारे बिन जो लगे बस खुस तुम रहो
मगर ये इश्क़ का दस्तूर है कि कभी कभी उसकी
कमी महसूस होने लगती है
हा माना ये दिल की ही मर्जी थी प्यार तुझसे करना
इस बातो पे पछतावा तो नही एक शिकायत है इस
दिल से जब प्यार था तो उसको दूर क्यों जाने दिया
अब जब वो जुड़ा मुझसे हो गया तो
हा कह तो दिया है मुझे तुझसे बात नही करनी तू
खुस हैं ना मेरे बिना अब परेशान नही करनी तुझे
मगर पागल दिल है कि मानता ही नही उसीकी यादो
से जुड़े रहता क्या कहु कैसे इस दिल को समझाउ
ये बतादो सवालों के घेरे में हु मैं तो तुम भी जवाब के
हकदार हो तो जवाब दो जरा मेरी एक तरफा प्यार के
लिए शायद जिम्मेदार तुम भी हो कहि
क्या मेरा प्यार अदूरी ही रह जाएगी