फूलों और कलियों से आँगन सजाना भी है,
कीचड और काँटों से दामन बचाना भी है,
महकेगा चमन-ऐ- गुलिस्तां अपना तभी,
हर मौसम की गर्दिश से इसे बचाना भी है !!
डी के निवातिया