वो हमारे सर काटते रहे
हम उन्हें बस डांटते रहे !!
वो पत्थरो से मारते रहे
हम उन्हें रेवड़ी बाटते रहे !!
लालो की जान जाती रही
हम खुद को ही ठाटते रहे !!
माँ बहने बिलखती रही
नेता जी गांठे साँठते रहे !!
जान हमारी निकलती रही
हम धैर्य को अपने डाटते रहे !!
राजनीति का खेल यूँ हुआ
वो हमे आपस में बाँटते रहे !!
चलता रहा वार्ता का दौर पे दौर
धर्म दिलो की खाई पाटते रहे !!
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डी के निवातिया