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गाथा एक वीर की

29 जुलाई 2017

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गाथा एक वीर की

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बहुत सुनी होंगी कहानिया रांझा और हीर की
आओ तुम्हे, आज सुनाये, गाथा एक वीर की
मर मिटते है जो, मातृभूमि पर हॅसते – हँसते
अँखियो में आंसू भरकर सुनाये गाथा वीर की !!


सीमा पर शहीद होने की खबर जब घर आई थी
सन्नाटा था पूरे गांव में शोक की लहर छाई थी
सुनकर दौड़ पड़ा, था हर कोई जो जिस हाल में
चीत्कार की आवाज जब उसके घर से आई थी !!


कैसा अनर्थ हुआ आज धरा पे कैसी विपदा आई थी
कल ही तो उसने, जन्म दिन की खुशिया मनाई थी
इस हाल में तो ना वापस आना था प्यारे राजदुलारे
ऐसे तो न बिटिया ने घर आने की गुहार लगाईं थी !!


सुनी थी जिसने भी ये खबर, ह्रदयाघात घना हुआ था
आँखों से बह रहे थे आंसू, सीना गर्व से तना हुआ था
भाग दौड़ में भी हो सकता सन्नाटा प्रथम बार ये देखा
पार्थिव शरीर आ रहा वीर का जो देश पर फ़ना हुआ था !!


सैनिक दस्ते की अगवानी में आज आया था वीर
तिरंगे में लिपटकर आया था उसका पार्थिव शरीर
भीड़ भाड़ और गहमा गहमी ग़मगीन माहौल में
दर्शन करने को हर कोई आज हुआ जाता अधीर !!


क्षत विक्षत हुए शरीर को जब कांधो से उतारा गया
दर्शन को उमड़े समूह से एक एक कर पुकारा गया
बारी आयी जब सुत की, चीख उठा था वो नन्हा वीर
आह ! कितनी क्रूरता, बेदर्दी से पापा को मारा गया !!


रोती बिलखती बदहवास पत्नी की हालत बुरी थी
देखकर जाबांज का शव धड़ाम से धरा पे गिरी थी
लुट गया था पूर्ण संसार ये कैसी आफत की घड़ी
हाय रे ! नियति तूने ये कैसी किस्मत लिखी थी !!


रोते रोते व्यथा अपने मन कि वो सुनाने लगी
कल हुई थी बाते साजन से उन्हें दोहराने लगी
कह रहे थे चिंता न कर अकेला सब पर भारी हूँ
लौटना था, पर क्या इस हाल में, चिल्लाने लगी !!


इतनी भीड़ क्यों है, क्यों मम्मा रोती मुझे बताओ
आज आने वाले थे पापा कहाँ है मुझे भी मिलाओ
गोद उठाके बच्ची को जब देह के पास लाया गया
रुदन चीत्कार से कह उठी पापा मुझे गले लगाओ !!


देख हाल जिगर के टुकड़े का माँ से रहा न गया
स्तब्ध हुई थी काया, लबो से कुछ कहा न गया
मानो धरती फट गयी, आसमान भी झुक गया
छाती पीट बोली मेरा लाल बिना मिले चला गया !!


खबर मिलते ही ससुराल से बहना दौड़ी आई थी
किस बैरी ने दुनिया लूटी जो दुश्मनी निभाई थी
सुन बहन कि करुण पुकार तीनो लोक हिल गये
कहाँ गया बीर मेरे तूने कसम मेरी रक्षा कि खाई थी !!


एक कोने में बैठे बाप बेचारा का हाल बुरा था
हुआ जीवन में कौन पाप,कर ये मलाल रहा था
मै अभागा किस्मत का मारा क्यों जीवित हूँ
बूढ़े काँधे पे रख बेटे कि अर्थी बेहाल चला था !!


संभाल रहे थे सब मिलकर एक दूजे को अब कहा न जाये
हो रहा था गुणगान किस्से वीरता के सुन साँसे थम जाये
दुःख असहाय था, फिर भी गर्व सीने में हिलोरे मार रहा
निर्झर बहते मेरे भी नैना, किस्सा मुझ से कहा न जाये !!


आँखे रोती, मन भारी है, फिर भी सीना गर्व से फूले
धन्य हो जाये वो प्राणी, जो तुम्हारी चरण धूलि छूले
नमन धरती माता को, नमन है उस सूत जननी को
बार-बार अपनी कोख वारे तुझसा पूत जो आंगन झूले !!

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डी के निवातिया !!

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बहुत उम्दा रचना निवतिया जी ...........

1 अगस्त 2017

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आदरणीय धर्मेन्द्र जी -- वीर सैनिक की अभिभूत करने वाली गाथा सचमुच सबको पढनी चाहिये -- हमें गर्व होना चाहिए ऐसेवीर सपूतों पर और इनके बलिदान को कभी भुलाना नहीं चाहिए -------- परिवार की दयनीय स्थिती तो कल्पना करके भी रौंगटे खड़े होते है --

29 जुलाई 2017

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17 फरवरी 2017
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कलयुगी भक्ति में शक्ति

17 फरवरी 2017
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कलयुगी भक्ति में देखि शक्ति अपार, तभी तो बन बैठे वो महान !कितने मुखड़े छिपे इन चेहरो में, इससे विचलित है स्वंय भगवान !!लूट खसोट कर अमीर बन गए वोजो दिन-रात करते करतूते काली !मंदिर में बैठकर करते पूजा आरतीदर पे बैठे भिखारी को बकते गाली !!कलयुगी भक्ति में देखि शक्ति अपार,

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हमारे नेता—डी के निवातिया

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विकास की डोर थाम ली है हमारे नेताओ ने ।अब नये शमशान और कब्रिस्तान बनायेंगे।।कही भूल न जाओ तुम लोग मजहब की बाते ! याद रखना इंसानियत को इसी से मिटायेंगे ।।!!!डी के निवातिया

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नादान परिंदा

25 फरवरी 2017
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मैं आया नादान परिंदा अनजान की तरह !लौट जाऊँगा एक दिन मेहमान की तरह !! क्या सहरा,क्या गुलिस्ता, हूँ सब से वाकिफ कट जायेगा ये भी सफर जाते तूफ़ान की तरह !!ढूंढ कर अन्धकार में भी प्रकाश की किरण पाउँगा मंजिल मैं मुसाफिर अनजान की तरह !!ना करो ऐ दुनिया वालो मेरे ईमान को बदनाम कहि

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भावी आथित्य संस्कारो की झलकियां

25 फरवरी 2017
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भावी आथित्य संस्कारो की झलकियां ………………परिवर्तन के इस दौर मेंभविष्य का चित्र कुछ ऐसे उभर कर आयेगा !नैतिक मूल्यों के संग संगसंस्कारो का समस्त स्वरुप ही बदल जाएगा !सर्वप्रथम आथित्य सत्कार में,जो आगंतुक को विधिवत लुभायेगा !वही सुधि जन सर्वगुण संपन्न,सस्कारी जमात का गुरु कहलायेगा !!प्रथम काज अतिथि प्रणाम

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मै सिस्टम लाचार मुझे लाचार रहने दो……………..

28 फरवरी 2017
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मै सिस्टम लाचार मुझे लाचार रहने दो दुनिया कहे बीमार मुझे बीमार रहने दो !! कठपुतली बनके रहा गया हूँ चन्द हाथो कीहावी शाशन के चाबुक का शिकार रहने दो !! बहुत भटका हूँ दर बदर पहन ईमान का चोला बदले में मिला कटु नजरो का त्रिस्कार रहने दो !! बिक

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28 फरवरी 2017
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लाज बचा ले मेरे वीरक्यों वेदना शुन्य हुई क्यों जड़ चेतन हुआ शरीरअस्तित्व से वंचित हुआ कँहा खो गया शूरवीरनही सुनी क्या चीत्कार क्यों सोया है तेरा जमीरपुकार रही तुझे धरती माता लाज बचा ले मेरे वीर – १न ले पर ीक्षा अब मेरे धैर्य की बहुत हुआ अत्याचारसहनशीलता दे रही चुनौत

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मन की बाते

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आवश्यक सूचना (यह राजनितिक हालातो के परिपेक्ष्य पर लिखी गयी है इसका किसी व्यक्ति विशेष से कोई सम्बन्ध नहीं है )(मन की बाते)कभी जनता को मन की बातों से बहला रहे है ।कभी दुनिया को धन की बातों में टहला रहे है ।।क्या कहे शख्सियत वतन वजीर-ए-आला की।भाई सरीखे को भी रेनकोट में

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14 मार्च 2017
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खुली अगर जुबान तो किस्से आम हो जायेंगे।इस शहरे-ऐ-अमन में, दंगे तमाम हो जायेंगे !!न छेड़ो दुखती रग को, अगर आह निकली ! नंगे यंहा सब इज्जत-ऐ-हमाम हो जायेंगे !!देकर देखो मौक़ा लिखने का तवायफ को भी ! शरीफ़ इस शहर के सारे, बदनाम हो जायेंगे।।दबे हुए है शुष्क जख्म इन्हें दबा ही

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23 मार्च 2017
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दोहेमोल तोलकर बोलिये, वचन के न हो पाँव !कोइ कथन बने औषधि, कोइ दे घने घाव !!………..(१)दोस्त ऐसा खोजिये, बुरे समय हो साथ !सुख में तो बहुरे मिले, संकट न आवे पास !!……..(२)संगती ऐसी राखिये, जित मिले सुविचार !झूठा सारा जग भया, सुसंगत तारे पार !! ………(३)विद्या मन से पाइये,

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28 अप्रैल 2017
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सत्ता कितनी प्यारीमेरे देश के हुक्मरानो को सत्ता कितनी प्यारी हैरोज़ मरे मजदूर किसान सैनिको ने जान वारी हैआदि से अंत तक का इतिहास उठाकर देख लो कब किसी प्रधान ने की इसके निवारण की तैयारी है !!डी के निवातिया

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3 मई 2017
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वो हमारे सर काटते रहेहम उन्हें बस डांटते रहे !!वो पत्थरो से मारते रहेहम उन्हें रेवड़ी बाटते रहे !!लालो की जान जाती रहीहम खुद को ही ठाटते रहे !!माँ बहने बिलखती रहीनेता जी गांठे साँठते रहे !!जान हमारी निकलती रहीहम धैर्य को अपने डाटते रहे !! राजनीति का खेल

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कैसे मुकर जाओगे+++ *** +++यंहा के तो तुम बादशाह हो बड़े शान से गुजर जाओगे ।ये तो बताओ खुदा कि अदालत में कैसे मुकर जाओगे !! चार दिन की जिंदगानी है मन माफिक गुजार लो प्यारे।आयेगा वक्त ऐसा भी खुद की ही न

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गाथा एक वीर की

29 जुलाई 2017
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रचना के पूर्ण रसास्वादन के लिए कृपया पूरा पढ़े …!गाथा एक वीर की******************बहुत सुनी होंगी कहानिया रांझा और हीर कीआओ तुम्हे, आज सुनाये, गाथा एक वीर कीमर मिटते है जो, मातृभूमि पर हॅसते – हँसतेअँखियो में आंसू भरकर सुनाये गाथा वीर की !!सीमा पर शहीद होने की खबर जब घर आई

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1 अगस्त 2017
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काव्य रो रहा है***साहित्य में रस छंद अलंकारो का कलात्मक सौंदर्य अब खो रहा है।काव्य गोष्ठीयो में कविताओं की जगह जुमलो का पाठ हो रहा है ।हास्य के साथ व्यंग की परिभाषा अब इस कदर बदल गयी है ।हंस रहे है कवी स्रोता सभी नये सृजन के अभाव में काव्य रो रहा है ।।***डी के निवात

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दो बहनो का मिलन – वार्ता – (हिंदी अंग्रेजी) !दरवाजे पर ..दस्तक होती है ….डिंग-डोंग …डिंग-डोंग ..डिंग-डोंग …डिंग-डोंग ..हू इस आउट साइड ऑन द डोर …..(अंदर से आवाज आई)जी …..जी मै….मै हूँ हिंदी …….!आपसे मिलने आई हूँ !ओह….. वेल … !यू आर ……कम इन …!प्रणाम ….अंग्रेजी बहन ………!(हिंदी बोली)वेलकम म

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20 फरवरी 2018
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काहे भरमाये***काहे भरमाये, बन्दे काहे भरमायेनवयुग का ये मेला हैबस कुछ पल का खेल ा हैआनी जानी दुनिया केरंग मंच पे नहीं तू अकेला हैमन मर्जी से सब चलते जब,फिर तू ही, काहे घबराये, बन्दे काहे भरमाये !!कहने को सब साथ साथ हैनहीं किसी के कोई ह

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तेरी नज़रो में

26 जून 2019
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विषय : लेखन विधा : ग़ज़ल /गीतिका शीर्षक : तेरी नज़रो में तिथि : २६/०६/२०१९ तेरी नज़रो में मेरी कीमत रही कुछ ख़ास नही,इसलिए मैं आता तुम्हे अब ज़रा भी रास नही ।संग में जिए होंगे कुछ पल कभी तो ख़ुशी के,पलट के देख जिंदगी इतनी भी तो उदास नही ।नफरत का नकाब उतार गौर से देख कभीक्या

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सोचा न था

23 सितम्बर 2019
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सोचा न था !एक रोज़ इस मोड़ से गुजरना पड़ेगा, जिंदगी को मौत से यूँ लड़ना पड़ेगा,चलते चलते लड़खड़ायेंगे पग राहो में गिरते गिरते खुद ही सम्भलना पड़ेगा !!!डी के निवातिया

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