मै सिस्टम लाचार मुझे लाचार रहने दो
दुनिया कहे बीमार मुझे बीमार रहने दो !!
कठपुतली बनके रहा गया हूँ चन्द हाथो की
हावी शाशन के चाबुक का शिकार रहने दो !!
बहुत भटका हूँ दर बदर पहन ईमान का चोला
बदले में मिला कटु नजरो का त्रिस्कार रहने दो !!
बिक गया बड़े सस्ते में रिश्वत को हाथो हाथ
बईमानी का सदा रहा गर्म बाजार रहने दो !!
हर जगह चलते देखा राज चमचागिरी का
चलती अब तो उनकी ही सरकार रहने दो !!
दम घुटता है “धर्म” का देखकर हालात अपने
नाम आजादी है मेरा मुझे पराधीन लाचार रहने दो !!
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डी. के. निवातियाँ ______________@