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आरती

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ॐ जय यमुना माता, हरि जय यमुना माता । जो नहावे फल पावे सुख दुःख की दाता ।। ॐ जय यमुना माता… पावन श्रीयमुना जल अगम बहै धारा । जो जन शरण में आया कर दिया निस्तारा ।। ॐ जय यमुना माता… जो जन प्रात

जय केदार उदार शंकर,मन भयंकर दुःख हरम | गौरी गणपति स्कन्द नन्दी,श्री केदार नमाम्यहम् | शैल सुन्दर अति हिमालय, शुभ मन्दिर सुन्दरम | निकट मन्दाकिनी सरस्वती, जय केदार नमाम्यहम | उदक कुण्ड है अधम पावन,

पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् । निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥ शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम् । वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम् ॥ ॥

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी । राजेश्वरी जय नमो नमः ॥ करुणामयी सकल अघ हारिणी । अमृत वर्षिणी नमो नमः ॥ जय शरणं वरणं नमो नमः । श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी ॥ अशुभ विनाशिनी, सब सुख दायि

ॐ जय दूलह देवा,    साईं जय दूलह देवा । पूजा कनि था प्रेमी,    सिदुक रखी सेवा ॥ ॥ ॐ जय दूलह देवा...॥ तुहिंजे दर दे केई,    सजण अचनि सवाली । दान वठन सभु दिलि,    सां कोन दिठुभ खाली ॥ ॥ ॐ जय दूलह

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी, मंगलकारी नाथ आपादा हरि, कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी, अगर कपूर बाटी भव से धारी, आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,

ॐ जय जानकीनाथा,   जय श्री रघुनाथा । दोउ कर जोरें बिनवौं,     प्रभु! सुनिये बाता ॥         ॥ ॐ जय..॥ तुम रघुनाथ हमारे,  प्राण पिता माता । तुम ही सज्जन-संगी,  भक्ति मुक्ति दाता ॥ ॥ ॐ जय..॥ लख

आरती कीजै नरसिंह कुंवर की । वेद विमल यश गाउँ मेरे प्रभुजी ॥ पहली आरती प्रह्लाद उबारे । हिरणाकुश नख उदर विदारे ॥ दुसरी आरती वामन सेवा । बल के द्वारे पधारे हरि देवा ॥ तीसरी आरती ब्रह्म पधारे

आरती युगल किशोर की कीजै । तन मन धन न्योछावर कीजै ॥ गौरश्याम मुख निरखन लीजै । हरि का रूप नयन भरि पीजै ॥ रवि शशि कोटि बदन की शोभा । ताहि निरखि मेरो मन लोभा ॥ ओढ़े नील पीत पट सारी । कुंजबिहा

जय चित्रगुप्त यमेश तव,  शरणागतम् शरणागतम्। जय पूज्यपद पद्मेश तव,   शरणागतम् शरणागतम्॥ जय देव देव दयानिधे,  जय दीनबन्धु कृपानिधे। कर्मेश जय धर्मेश तव,   शरणागतम् शरणागतम्॥ जय चित्र अवतारी प्रभो

जय जय आरती वेणु गोपाला वेणु गोपाला वेणु लोला पाप विदुरा नवनीत चोरा जय जय आरती वेंकटरमणा वेंकटरमणा संकटहरणा सीता राम राधे श्याम जय जय आरती गौरी मनोहर गौरी मनोहर भवानी शंकर सदाशिव उमा महेश्व

आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन… दुर्योधन को मेवा त्यागो, साग विदुर घर खायो प्यारे मोहन, आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन… भिलनी के बैर सुदामा के तंडुल रूचि रूचि भोग लगाओ प्यारे मोहन… आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन… व

कालरात्रि जय-जय-महाकाली । काल के मुह से बचाने वाली ॥ दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा । महाचंडी तेरा अवतार ॥ पृथ्वी और आकाश पे सारा । महाकाली है तेरा पसारा ॥ खडग खप्पर रखने वाली । दुष्टों का लहू चखने

ॐ जय कैला रानी, मैया जय कैला रानी । ज्योति अखंड दिये माँ तुम सब जगजानी ॥ तुम हो शक्ति भवानी मन वांछित फल दाता ॥ मैया मन वांछित फल दाता ॥ अद्भुत रूप अलौकिक सदानन्द माता ॥ ॥ॐ जय कैला रानी॥

ॐ जय एकादशी माता, जय एकादशी माता । विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ॥ ॐ॥ तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी । गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ॥ॐ॥ मार्गशीर्ष के कृष्णपक्

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको । दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको । हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको । महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥ जय देव जय देव... जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारा

आरती बाल कृष्ण की कीजै, अपना जन्म सफल कर लीजै॥ श्री यशोदा का परम दुलारा, बाबा के अँखियन का तारा। गोपियन के प्राणन से प्यारा, इन पर प्राण न्योछावर कीजै॥ ॥आरती बाल कृष्ण की कीजै...॥ बलदाऊ के छोटे

त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ती दत्त हा जाणा । त्रिगुणी अवतार त्रैलोक्य राणा । नेती नेती शब्द न ये अनुमाना ॥ सुरवर मुनिजन योगी समाधी न ये ध्याना ॥ जय देव जय देव जय श्री गुरुद्त्ता । आरती ओवाळिता हरली भवच

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,  जय श्री विश्वकर्मा । सकल सृष्टि के करता,  रक्षक स्तुति धर्मा ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,  जय श्री विश्वकर्मा । आदि सृष्टि मे विधि को,  श्रुति उपदेश दिया । जीव मात्र

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता । सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता ॥ ॥ जयति जय गायत्री माता..॥ आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक क‌र्त्री । दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्

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