भये प्रगट गोपाला दीनदयाला यशुमति के हितकारी। हर्षित महतारी सुर मुनि हारी मोहन मदन मुरारी ॥ कंसासुर जाना मन अनुमाना पूतना वेगी पठाई। तेहि हर्षित धाई मन मुस्काई गयी जहाँ यदुराई॥ तब जाय उठायो हृद
॥दोहा॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं । नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥ श्री रामचन्द्र... कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं । पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नो
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता, आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता। जय शीतला माता… रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता, ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता। जय शीतला माता… विष्णु सेवत ठाढ़े
ऊँ जय करवा मइया, माता जय करवा मइया । जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया ।। ऊँ जय करवा मइया। सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी। यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी ।। ऊँ जय करवा मइया। कार्तिक कृष
जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए। मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥ ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय। ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़रा
आरती श्री रामायण जी की । कीरति कलित ललित सिया पी की ।। आरती श्री रामायण जी की… गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद, बाल्मीकि विज्ञान विशारद । सुक सनकादि शेष अरू शारद, बरनी पवन
आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की। त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि। पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की। । आरती श्री वृषभानुसुता की
आरती अतिपावन पुराण की । धर्म-भक्ति-विज्ञान-खान की ॥ महापुराण भागवत निर्मल । शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल ॥ परमानन्द सुधा-रसमय कल । लीला-रति-रस रसनिधान की ॥ ॥ आरती अतिपावन पुरान की ॥ कलिमथ-म
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला । श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली । तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥ तेरे भक्त जनो पर, भीर पडी है भारी माँ । दानव दल पर टूट पडो, माँ करके सिंह सवारी । सौ-
आरती श्री गैय्या मैंय्या की, आरती हरनि विश्वब धैय्या की, अर्थकाम सुद्धर्म प्रदायिनि अविचल अमल मुक्तिपददायिनि, सुर मानव सौभाग्यविधायिनि, प्यारी पूज्य नंद छैय्या, अख़िल विश्वौ प्रतिपालिनी माता, म
जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा । छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥ ऊँ जय वृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी । जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ऊ
ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनन्द कन्दी । ब्रह्मा हरिहर शंकर रेवा शिव , हरि शंकर रुद्री पालन्ती॥ ॥ ॐ जय जय जगदानन्दी ॥ देवी नारद शारद तुम वरदायक, अभिनव पदचण्डी। सुर नर मुनि जन सेवत, सुर नर मुनि
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम। जो नहीं ध्यावै तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम। अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम॥ ॥ बारम्बार प्रणाम ॥ प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक ना
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता। अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।। जय सन्तोषी माता.... सुन्दर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हो। हीरा पन्ना दमके तन श्रृंगार लीन्हो ।। जय सन्तोषी माता.... गेरू ला
जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता । ॥ जय जय तुलसी माता। ॥ सब योगों के ऊपर, सब लोगों के ऊपर, रुज से रक्षा करके भव त्राता। ॥ जय जय तुलसी माता। ॥ बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या, विष्
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी, तेरा पार न पाया ॥ टेक ॥ पान सुपारी ध्वाजा नारियल, ले तेरी भेंट चढ़ाया ॥ सुन० ॥ सुवा चोली तेरे अंग बिराजे, केसर तिलक लगाया ॥ सुन० ॥ नंगे पैरों अकबर आया, सोने का छत्र चढ़ा
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता। सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ ॥ जय सरस्वती माता ॥ चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी। सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥ ॥ जय सरस्वती माता
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे। खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे॥ ॐ जय श्री श्याम हरे...॥ रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे । तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े ॥ ॐ जय श्री श्याम
सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करुं । कृपा तुम्हारी चाहिये, मैं ध्यान तुम्हरा ही धरूं ॥ मैं चरण छुता आपके,अर्जी मेरी सुन लिजिये । मैं हूं मति का मंद, मेरी कुछ मदद तो किजिये महिमा तुम्हार