ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे , स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे। शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे। ॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥ शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े, स्वामी भक्त कुबेर बड़े। दैत्य दानव मा
ओम जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय श्री कृष्ण हरे, भक्तन के दुख सारे पल में दूर करे !! ओम जय श्री कृष्ण हरे !! परमानंद मुरारी मोहन गिरधारी, जय रास बिहारी जय जय गिरधारी !! ओम जय श्री कृष्ण हरे !! कर
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची कंठी झलके माल मुकताफळांची जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति जय देव जय
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला । श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंद
हर हर गंगे, जय माँ गंगे, हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥ ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता । जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥ चंद्र सी जोत तुम्हारी जल निर्मल आता । शरण पडें जो तेरी सो नर तर
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। त्रिभुवन – तिमिर – निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥ ॥ जय कश्यप-नन्दन ॥ सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी। दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥ ॥ जय कश्यप-नन्दन ॥
जय जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी | सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी || जय जय जय शनि देव || श्याम अंग वक्र दृष्टि चतुर्भुजा धारी | नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी || जय जय जय शनि देव || क्रीट म
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ उमा,रमा,ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी
आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर की जाके कृपा विपुल सुख कारी दुःख शोक संकट भ्ररहारी आरती श्री साई गुरुवर की … शिर्डी में अवतार रचाया चमत्कार से तत्व दिखाया कितने भक्त शरण में आए वे सुख़
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भवभय दारुणम्। नव कंज लोचन, कंज मुख कर कंज पद कंजारुणम्॥ ॥श्री रामचन्द्र कृपालु..॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरद सुन्दरम्। पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचि
बगलामुखी साधना में महाविद्याओं तथा उनकी उपासना पद्धतियों के बारे में संहिताओं, पुराणों तथा तंत्र ग्रंथों में बहुत कुछ दिया गया है। बगलामुखी देवी की गणना दस महाविद्याओं में है तथा संयम-नियमपूर्वक बगलाम
ॐ जय लक्ष्मीरमणा ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा | सत्यनारायण स्वामी ,जन पातक हरणा || जय लक्ष्मीरमणा रत्नजडित सिंहासन , अद्भुत छवि राजें | नारद करत निरतंर घंटा ध्वनी बाजें ॥ ॐ जय लक्ष्मी
जय पार्वती माता जय पार्वती माता ब्रह्म सनातन देवी शुभफल की दाता । ॥ जय पार्वती माता ॥ अरिकुल पद्दं विनासनी जय सेवक त्राता, जगजीवन जगदंबा हरिहर गुणगाता । ॥ जय पार्वती माता ॥ सिंह को वाहन साजे
ॐ जय अम्बे गौरी , मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशदिन ध्यावत हरी ब्रह्मा शिवजी ॥ ॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥ मांग सिन्दूर विराजत टीको मृगमद को । उज्जवल से दोउ नैना चन्द्रवदन नीको ॥ ॥ ॐ जय अम्बे गौरी
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॐ जय शिव ओंकारा एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे स्वामी पञ्चानन राजे हंसासन गरूड़ासन हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॐ जय
दोहा निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥ चौपाई जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी । जनके काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै ।
दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार चौपाई जय हनुमान ज्ञान
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट दास जनों के संकट क्षण में दूर करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे॥ जो ध्यावे फल पावे -दुःख बिनसे मन का स्वामी दुःख बिनसे मन का सुख सम्पति घर आवे सुख सम्पत
महादेवी महालक्ष्मी नमस्ते त्वं विष्णु प्रिये। शक्तिदायी महालक्ष्मी नमस्ते दुःख भंजनि।। श्रेया प्राप्ति निमित्ताय महालक्ष्मी नमाम्यहम। पतितो द्धारीणि देवी नमाम्यहं पुनः पुनः देवांस्तवा संस्तुवन्ति
ॐ जय लक्ष्मी माता, तुमको निस दिन सेवत, मैया जी को निस दिन सेवत हर विष्णु विधाता || ॐ जय || उमा रमा ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ओ मैया तुम ही जग माता सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता || ॐ