ग़ज़ल - अक्षरों में खुदा दिखाई दे
ग़ज़ल –२१२२ १२१२ २२अक्षरों में खुदा दिखाई देअब मुझे ऐसी रोशनाई दे | हाथ खोलूं तो बस दुआ मांगूँ,सिर्फ इतनी मुझे कमाई दे | रोशनी हर चिराग में भर दूं ,कोई ऐसी दियासलाई दे | माँ के हाथों का स्वाद हो जिसमें,ले ले सबकुछ वही मिठाई दे | धूप तो शहर वाली दे दी है,गाँव वाली बरफ मलाई दे | बेटियों को दे खूब आज़ादी