अक्सर हम अभिवादन के रूप में अंग्रेजी के गुड मॉर्निंग आदि का अनूदित रूप सुप्रभात, शुभ संध्या आदि कहते हैं।कहीं न कहीं मुझे लगता है कि इस अनूदित रूप का प्रयोग भाषा और अनुवाद की दृष्टि से तो गलत है कि हिंदी भाषा और भारत की सांस्कृतिक पहचान के प्रतिकूल भी है। इस गुड मॉर्निंग आदि के लिए भारतीय संस्कृति के अनुकूल नमस्तुभ्यं, प्रणाम,नमस्कार, नमस्ते, बड़क्कम, अस्सलाम आलेकुम, सत श्री अकाल आदि होना चाहिये। मेरी यह सोच कितनी गलत है या सही है इस संबंध में आप समस्त विद्वज्जनों की टिप्पणी और राय चाहूँगा।